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लखनऊ के नागरिकों, ऑस्मोसिस (Osmosis) या परासरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें पानी के छोटे-छोटे कण (अणु) कम सांद्रता वाली जगह से ज़्यादा सांद्रता वाली जगह की ओर एक विशेष झिल्ली (अर्ध-परगम्य झिल्ली) के माध्यम से जाते हैं। यह प्रक्रिया पौधों के लिए बहुत ज़रूरी होती है। पौधों की जड़ें मिट्टी से पानी सोखकर उन्हें बढ़ने और स्वस्थ रहने में मदद करती हैं।
हमारे घरों में भी ऑस्मोसिस का उपयोग होता है। आर ओ (RO) वॉटर प्यूरीफायर इसी प्रक्रिया के जरिए पानी को साफ़ करता है, जिससे हम शुद्ध पानी पी सकें। यानी, चाहे पौधों की बढ़त हो या हमारे पीने के पानी की सफ़ाई, ऑस्मोसिस प्रकृति और मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
आज हम समझेंगे कि परासरण पौधों के लिए क्यों ज़रूरी है और यह पानी व पोषक तत्वों को सोखने में कैसे मदद करता है। फिर, हम सरल भाषा में जानेंगे कि ऑस्मोसिस कैसे काम करता है। इसके बाद, हम रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ऑस्मोसिस के कुछ उदाहरण देखेंगे, जिससे इसकी उपयोगिता साफ़ समझ आएगी ।अंत में, हम ऑस्मोसिस और रिवर्स ऑस्मोसिस के बीच का अंतर जानेंगे और यह देखेंगे कि दोनों प्रक्रियाएं कहां-कहां उपयोगी होती हैं।
पौधों में ऑस्मोसिस का महत्व
पौधे मिट्टी से पानी को ऑस्मोसिस के ज़रिए सोखते हैं। इस प्रक्रिया से बड़ी मात्रा में पानी जड़ों द्वारा अवशोषित किया जाता है, जिससे पौधों को आवश्यक नमी मिलती है। कोशिकाओं में पानी और घुले हुए पोषक तत्वों का एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक पहुंचना भी ऑस्मोसिस के कारण ही संभव होता है।
पत्तों में मौजूद छोटे-छोटे छिद्र, जिन्हें रंध्र (stomata) कहा जाता है, उनके खुलने और बंद होने की प्रक्रिया ऑस्मोसिस पर निर्भर करती है। यह प्रक्रिया रक्षक कोशिकाओं (guard cells) के टर्गर दबाव (turgor pressure) के कारण होती है। इसके अलावा, ऑस्मोसिस की वजह से कोशिकाओं की टर्गर दबाव बनी रहती है, जिससे पौधों के अंगों का आकार और उनकी संरचना ठीक रहती है।
पौधे जब सूखे या ठंडे मौसम का सामना करते हैं, तो उनका ऑस्मोटिक दबाव (osmotic pressure) बढ़ जाता है, जिससे वे इन परिस्थितियों को सहन करने में सक्षम होते हैं। जब बीज अंकुरित होते हैं, तो कोशिकाओं की टर्गर दबाव ही उन्हें मिट्टी से बाहर निकलने में मदद करती है, जिससे नए पौधों का विकास संभव हो पाता है।
ऑस्मोसिस क्या है?
ऑस्मोसिस एक महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रिया है, जिसमें घोलक (जैसे पानी) के अणु कम वाले क्षेत्र से अधिक सांद्रता वाले क्षेत्र की ओर एक अर्ध-परगम्य झिल्ली (semi-permeable membrane) के माध्यम से जाते हैं। यह प्राकृतिक प्रक्रिया कोशिकाओं में संतुलन बनाए रखने में मदद करती है और पौधों, जानवरों और मनुष्यों में कई शारीरिक कार्यों का समर्थन करती है।
ऑस्मोसिस एक निष्क्रिय प्रक्रिया है, यानी इसके लिए किसी ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती। यह तब तक जारी रहती है जब तक झिल्ली के दोनों ओर घुलित पदार्थों (solutes) की सांद्रता बराबर नहीं हो जाती। इस प्रक्रिया में घोलक अणु, जैसे पानी, अर्ध-परगम्य झिल्ली के आर-पार जाकर घोल के सांद्रता को संतुलित करते हैं।
ऑस्मोसिस केवल जीवित प्रणालियों में ही नहीं, बल्कि निर्जीव प्रणालियों में भी स्वाभाविक रूप से होता है। उदाहरण के लिए, पौधे मिट्टी से पानी सोखने के लिए ऑस्मोसिस का उपयोग करते हैं, जिससे वे हाइड्रेटेड रहते हैं और उनकी कोशिकाएं तुरगोर दबाव बनाए रखती हैं ।
रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ऑस्मोसिस के कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण
ऑस्मोसिस हमारे दैनिक जीवन में कई जगह देखने को मिलता है और यह पौधों और जानवरों की कोशिकाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसे हम कई जैविक प्रक्रियाओं में देख सकते हैं, जैसे कि पौधों की जड़ों द्वारा पानी का अवशोषण, हमारे गुर्दों (किडनी) का कार्य और शरीर की कोशिकाओं में पानी का संतुलन बनाए रखना।
सबसे आम उदाहरण पौधों की जड़ों द्वारा पानी को सोखने का है। मिट्टी में मौजूद पानी की मात्रा जड़ों की कोशिकाओं की तुलना में अधिक होती है, इसलिए ऑस्मोसिस के कारण पानी मिट्टी से जड़ों में चला जाता है। यह प्रक्रिया पौधों के जीवित रहने के लिए बहुत जरूरी होती है, क्योंकि यह उन्हें प्रकाश-संश्लेषण (फोटोसिंथेसिस) और अन्य जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक पानी प्रदान करती है।
ऑस्मोसिस का एक और महत्वपूर्ण उदाहरण हमारे गुर्दों का कार्य है। किडनी हमारे शरीर से अवशिष्ट पदार्थों (वेस्ट प्रोडक्ट्स) को छानने और पानी का संतुलन बनाए रखने का काम करती है। जब खून को छानकर फिल्ट्रेट (छना हुआ तरल) बनता है, तो उसमें से ज़रूरी पानी को फिर से खून में लौटाया जाता है। यह प्रक्रिया ऑस्मोसिस के कारण होती है, क्योंकि खून में घुले पदार्थों की मात्रा ज़्यादा होती है, जिससे पानी फिल्ट्रेट से खून की ओर खिंच जाता है।
हमारे शरीर की कोशिकाओं में भी ऑस्मोसिस का अहम योगदान होता है। कोशिकाएं एक अर्ध-परगम्य झिल्ली से घिरी होती हैं, जो पानी को अंदर-बाहर जाने देती है। अगर कोशिका के अंदर घुलित पदार्थों की मात्रा ज्यादा होती है, तो पानी बाहर से कोशिका के अंदर आ जाता है ताकि संतुलन बना रहे। यही कारण है कि पानी पीना सेहत के लिए बहुत ज़रूरी है, क्योंकि यह हमारी कोशिकाओं को हाइड्रेट रखता है और निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) से बचाता है।
ऑस्मोसिस और रिवर्स ऑस्मोसिस में क्या अंतर है?
ऑस्मोसिस और रिवर्स ऑस्मोसिस में मुख्य अंतर इनके काम करने के तरीके और उद्देश्य में होता है।ऑस्मोसिस एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें पानी कम घुलित पदार्थों वाले स्थान से ज्यादा घुलित पदार्थों वाले स्थान की ओर जाता है ताकि संतुलन बना रहे। वहीं, रिवर्स ऑस्मोसिस में इस प्रक्रिया को उलट दिया जाता है। इसमें बाहरी दबाव (एक्सटर्नल प्रेशर) डालकर पानी को अधिक घुलित पदार्थों वाले स्थान से कम घुलित पदार्थों वाले स्थान की ओर भेजा जाता है।
ऑस्मोसिस अपने आप होता है और इसमें किसी ऊर्जा (एनर्जी) की जरूरत नहीं होती, जबकि रिवर्स ऑस्मोसिस के लिए बाहरी मशीनों की मदद से ऊर्जा लगाई जाती है ताकि प्राकृतिक ऑस्मोटिक दबाव को पार किया जा सके। ऑस्मोसिस पौधों और कोशिकाओं में पोषक तत्वों को सोखने जैसी जैविक प्रक्रियाओं में मदद करता है, जबकि रिवर्स ऑस्मोसिस को खासतौर पर पानी को शुद्ध करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह पानी से नमक, भारी धातुओं और हानिकारक जीवाणुओं को हटाकर उसे पीने योग्य बनाता है।
संदर्भ
मुख्य चित्र में पेड़ और रंध्र का स्रोत : Wikimedia, flickr
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