लखनऊ के बदलते मौसम में अस्थमा से कैसे बचें? आइए जानते हैं, इलाज के बेहतरीन विकल्प

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
06-05-2025 09:22 AM
लखनऊ के बदलते मौसम में अस्थमा से कैसे बचें? आइए जानते हैं, इलाज के बेहतरीन विकल्प

हमारे शहर लखनऊ में, और देश के कई अन्य शहरों की तरह, अस्थमा एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है। इसकी मुख्य वजह बढ़ता प्रदूषण और बदलती जीवनशैली है। अस्थमा एक पुरानी बीमारी है, जो फेफड़ों को प्रभावित करती है और सांस लेने में कठिनाई पैदा करती है। इस बीमारी के आम लक्षणों में सांस फूलना, सीटी जैसी आवाज़ आना, खासकर रात या सुबह के समय खांसी आना और सीने में जकड़न महसूस होना शामिल है।

धूल, धुआं, परागकण और ठंडी हवा जैसे कारक अस्थमा को और बढ़ा सकते हैं। इसे नियंत्रित करने के लिए ज़रूरी है कि हम इनसे बचें, डॉक्टर की दी हुई दवाएं सही समय पर लें और अपनी जीवनशैली को स्वस्थ बनाएं। सही जानकारी होने पर लोग अस्थमा के  लक्षणों को जल्दी पहचान सकते हैं और सही समय पर इलाज करवा सकते हैं।

आज हम जानेंगे कि अस्थमा क्या होता है। फिर हम इसके शुरुआती लक्षणों पर चर्चा करेंगे, जिससे इसे जल्दी पहचाना और रोका जा सकता है। इसके बाद, हम समझेंगे कि कब डॉक्टर के पास जाना ज़रूरी है, खासतौर पर उन स्थितियों में जब तुरंत इलाज की ज़रूरत हो। आखिर में, हम जानेंगे कि अस्थमा का इलाज कैसे किया जाता है और इसे कंट्रोल करने के लिए किन दवाओं और आदतों को अपनाना फ़ायदेमंद होता है।

अस्थमा से प्रभवित फेफड़े | चित्र स्रोत : Wikimedia

अस्थमा क्या है?

अस्थमा एक पुरानी (लंबे समय तक रहने वाली) फेफड़ों की बीमारी है। यह हमारे सांस की नलियों को प्रभावित करता है, जो फेफड़ों तक हवा पहुंचाने का काम करती हैं। जब किसी को अस्थमा होता है, तो उसकी सांस की नलियां सूज जाती हैं और संकरी हो जाती हैं। इससे सांस लेने में दिक्कत होती है और कभी-कभी सीटी जैसी आवाज़ (Wheezing) आने लगती है। इसके अलावा, खांसी आ सकती है और सीने में जकड़न महसूस हो सकती है। जब ये लक्षण सामान्य से ज्यादा बढ़ जाते हैं, तो इसे अस्थमा अटैक या अस्थमा का तेज़ दौरा कहा जाता है।

अस्थमा के शुरुआती लक्षण

अस्थमा का दौरा पड़ने से पहले कुछ बदलाव महसूस हो सकते हैं। ये संकेत अस्थमा के बड़े लक्षणों से पहले आते हैं और बताते हैं कि समस्या बढ़ रही है। अगर इन शुरुआती लक्षणों को समय पर पहचान लिया जाए, तो अस्थमा के दौरे को रोका या इसकी तीव्रता को कम किया जा सकता है।

अस्थमा के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं:

  • बार-बार खांसी आना, खासकर रात में
  • जल्दी सांस फूलना या सांस लेने में कठिनाई होना
  • व्यायाम करते समय बहुत जल्दी थक जाना या कमज़ोर महसूस करना
  • कसरत के बाद घरघराहट जैसी आवाज़ आना या खांसी होना
  • हर समय थकान महसूस होना, चिड़चिड़ापन या मूड खराब रहना
  • फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी, जिसे पीक फ्लो मीटर (Peak flow meter) से मापा जा सकता है
  • सर्दी या एलर्ज़ी (Allergy) के लक्षण जैसे छींक आना, बहती नाक, बंद नाक, खांसी, गले में खराश और सिर दर्द
  • ठीक से न सो पाना या सोते समय सांस लेने में परेशानी होना
अस्थमा इनहेलर | चित्र स्रोत : pexles

अगर ये लक्षण दिखें, तो समय पर डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है ताकि अस्थमा को बिगड़ने से रोका जा सके।

कब डॉक्टर को दिखाना चाहिए?

अगर अस्थमा का दौरा गंभीर हो जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है। इसलिए, डॉक्टर से सलाह लेकर पहले से यह सुनिश्चित  करें कि लक्षण बिगड़ने पर क्या कदम उठाने चाहिए और कब आपातकालीन इलाज की ज़रूरत होगी।

अस्थमा की इमरजेंसी के संकेत:

  • सांस लेने में अचानक ज़्यादा दिक्कत होना या घरघराहट जैसी आवाज़ आना
  • जल्दी राहत देने वाले इनहेलर (Inhaler) का इस्तेमाल करने के बाद भी कोई सुधार न होना
  • हल्की शारीरिक गतिविधि करने पर भी सांस फूलना 

यदि ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर संपर्क करें या आपातकालीन चिकित्सा सहायता लें।

साल्बुटामोल मीटर्ड डोज़ इनहेलर का उपयोग आमतौर पर अस्थमा के हमलों के इलाज के लिए किया जाता है |

 चित्र स्रोत : Wikimedia

अस्थमा का इलाज कैसे किया जाता है?

अस्थमा का इलाज दो तरह की दवाओं से किया जाता है—तुरंत राहत देने वाली दवाएं और लंबे समय तक असर करने वाली दवाएं।

1. तुरंत राहत देने वाली दवाएं (Quick Relief Medicines)

ये दवाएं अस्थमा के दौरे के दौरान तुरंत राहत देने में मदद करती हैं। हल्के अस्थमा या सिर्फ़ शारीरिक गतिविधियों के कारण होने वाली सांस की दिक्कत में ये दवाएं प्रभावी होती हैं।

सामान्य राहत देने वाली दवाएं:

  • इन्हेलर में शॉर्ट-एक्टिंग बीटा2-एगोनिस्ट (Inhaled selective short-acting β-2 agonists/SABA): ये दवा सांस की नलियों को खोलकर हवा के प्रवाह को बेहतर बनाती है। इसके कुछ नुक़सान हो सकते हैं जैसे हाथ कांपना और दिल की धड़कन तेज़ होना शामिल हो सकता है।
  • ओरल कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स (Oral Corticosteroid): ये दवा फेफड़ों की सूजन को कम करती है।
  • शॉर्ट-एक्टिंग एंटीकोलिनर्जिक्स (Short-acting anticholinergics): ये दवा भी सांस की नलियों (Airways) को तेज़ी से खोलने में मदद करती है, लेकिन एस ए बी ए (SABAs) की तुलना में इसका असर थोड़ा कम हो सकता है।

2. लंबे समय तक असर करने वाली दवाएं (Long-term control medicines)

अगर आपका अस्थमा बार-बार बिगड़ता है, तो डॉक्टर ऐसी दवाएं लिख सकते हैं जिन्हें रोज़ लेना ज़रूरी होता है।

इन दवाओं में शामिल हैं:

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroid): शरीर में सूजन को कम करने के लिए दी जाने वाली स्टेरॉयड (Steroid) दवाएं।
  • बायोलॉजिक मेडिसिन्स (Biological Medicine): ये उन लोगों के लिए होती हैं जिनका अस्थमा सामान्य दवाओं से कंट्रोल नहीं होता।
  • ल्यूकोट्रिएन मॉडिफ़ायर्स (Leukotriene modifiers): ये दवा सूजन को कम करके श्वसन मार्ग को खुला रखने में मदद करती है।
  • इन्हेल्ड मास्ट सेल स्टेबलाइज़र्स (Inhaled mast cell stabilizers): जब कोई व्यक्ति एलर्ज़ी फैलाने वाले तत्वों या अस्थमा ट्रिगर के संपर्क में आता है, तो यह दवा फेफड़ों की सूजन को रोकने में मदद करती है।
  • इन्हेल्ड लॉन्ग-एक्टिंग ब्रोंकोडाइलेटर्स (Inhaled long-acting bronchodilators (LABAs) or long-acting muscarinic antagonists (LAMAs): ये सांस की नलियों को सिकुड़ने से रोकते हैं और इन्हेलर (inhaler) के साथ दिए जा सकते हैं।
  • एलर्ज़ी शॉट्स (Allergy Shots): ये दवा शरीर की एलर्ज़ी प्रतिक्रिया को कम करने में मदद करती है।

अस्थमा को कंट्रोल में रखने के लिए सही दवाएं लेना और ट्रिगर से बचना बहुत ज़रूरी है। अगर लक्षण बिगड़ने लगें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

संदर्भ

https://tinyurl.com/yexk9pe3 

https://tinyurl.com/4ptrvcez 

https://tinyurl.com/k8ndp5f9

https://tinyurl.com/mphk98w6

मुख्य चित्र स्रोत : Pexels 

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