भारत की नई ऊर्जा क्रांति: लिथियम भंडार की खोज से आत्मनिर्भरता की ओर

गतिशीलता और व्यायाम/जिम
17-12-2025 09:28 AM
भारत की नई ऊर्जा क्रांति: लिथियम भंडार की खोज से आत्मनिर्भरता की ओर

लखनऊवासियों, आज हम बात करने जा रहे हैं एक ऐसी खोज की, जिसने भारत के ऊर्जा भविष्य को एक नई दिशा दे दी है - जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िले में लिथियम भंडार की ऐतिहासिक खोज। यह केवल एक खनिज की खोज नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता और हरित तकनीक की ओर बढ़ते कदम का प्रतीक है। अनुमानित 5.9 दशलक्ष टन लिथियम का यह भंडार न सिर्फ़ हमारे इलेक्ट्रिक वाहन (Electrical Vehicle) उद्योग के लिए वरदान साबित हो सकता है, बल्कि यह भारत को वैश्विक ऊर्जा मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में स्थापित करने की क्षमता रखता है।
लखनऊ जैसे प्रगतिशील और जागरूक शहर के लोगों के लिए यह खोज विशेष रूप से दिलचस्प है - क्योंकि आने वाले वर्षों में लिथियम से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन, स्मार्टफ़ोन, लैपटॉप, और ऊर्जा भंडारण प्रणालियाँ हमारे रोज़मर्रा के जीवन का अहम हिस्सा बनने वाली हैं। जिस तरह लखनऊ हमेशा से शिक्षा, तकनीक और नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी रहा है, उसी तरह यह खोज भी एक ऐसे भविष्य की ओर संकेत करती है, जहाँ स्वच्छ ऊर्जा, टिकाऊ विकास और वैज्ञानिक प्रगति एक साथ आगे बढ़ेंगे। यह लेख आपको बताएगा कि यह खोज भारत के लिए क्यों ऐतिहासिक है, और कैसे यह आने वाले वर्षों में हमारी अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और जीवनशैली - तीनों को गहराई से प्रभावित करेगी।
आज के इस लेख में हम समझेंगे कि जम्मू-कश्मीर में हुए लिथियम भंडार की यह खोज भारत के लिए इतनी अहम क्यों है। हम जानेंगे कि लिथियम कैसे आधुनिक तकनीक और इलेक्ट्रिक वाहनों की ताकत बन चुका है, और यह खोज भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की राह पर कैसे आगे बढ़ा सकती है। साथ ही, हम इस खोज के पर्यावरणीय पहलुओं और सतत विकास के लिए इसके संतुलित उपयोग पर भी नज़र डालेंगे।

जम्मू–कश्मीर में लिथियम भंडार की ऐतिहासिक खोज
फरवरी 2023 में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िले में लगभग 5.9 दशलक्ष टन लिथियम भंडार की खोज कर देश को ऊर्जा क्रांति की दिशा में एक नया अवसर प्रदान किया। यह खोज इसलिए ऐतिहासिक है क्योंकि भारत में पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में लिथियम का भंडार पाया गया है - जो अब तक केवल ऑस्ट्रेलिया, चिली और अर्जेंटीना जैसे देशों से आयात किया जाता था। अनुमान लगाया गया है कि इस भंडार का आर्थिक मूल्य 34 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। यह न केवल भारत के ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि वैश्विक लिथियम बाज़ार में भारत को एक नई स्थिति प्रदान करेगा। अब तक भारत अपनी बढ़ती इलेक्ट्रिक वाहन और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग की मांगों को पूरा करने के लिए विदेशी आपूर्ति पर निर्भर था, परंतु इस खोज से यह निर्भरता घटेगी और भारत की रणनीतिक ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूती मिलेगी। यह खोज भविष्य में भारत को “लिथियम महाशक्ति” के रूप में स्थापित करने की दिशा में पहला बड़ा कदम साबित हो सकती है।

लिथियम: इलेक्ट्रिक वाहनों और आधुनिक तकनीक की रीढ़
लिथियम, जिसे अक्सर "व्हाइट गोल्ड (White Gold)" कहा जाता है, आज की आधुनिक तकनीक की ऊर्जा-धारा है। यह वह तत्व है जो हमारे दैनिक जीवन की कई महत्वपूर्ण चीज़ों - जैसे स्मार्टफोन, लैपटॉप, सोलर स्टोरेज सिस्टम (Solar STorage System), और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) - को शक्ति देता है।
लिथियम-आयन बैटरी आज वैश्विक ऊर्जा प्रणाली की रीढ़ बन चुकी है। इन बैटरियों की खासियत यह है कि वे हल्की होती हैं, ज़्यादा समय तक चार्ज रखती हैं और पुनः चार्ज की जा सकती हैं। यही कारण है कि लिथियम आज सस्टेनेबल एनर्जी ट्रांज़िशन (Sustainable Energy Transition) का सबसे अहम घटक बन गया है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर लिथियम की मांग तीव्र गति से बढ़ रही है - क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण और डिजिटल उपकरणों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आने वाले वर्षों में यह मांग कई गुना बढ़ने की संभावना है, और ऐसे में भारत का यह भंडार वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक नया संतुलन स्थापित कर सकता है।

आत्मनिर्भर भारत और ऊर्जा सुरक्षा की ओर बड़ा कदम
भारत लंबे समय से ऊर्जा आयात पर निर्भर रहा है - विशेष रूप से कच्चे तेल और महत्वपूर्ण खनिजों के लिए। ऐसे में जम्मू–कश्मीर में लिथियम भंडार की खोज भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता की दिशा में एक मील का पत्थर है। इस खोज से भारत अब ऑस्ट्रेलिया, चीन और दक्षिण अमेरिका से आयात किए जाने वाले लिथियम पर अपनी निर्भरता कम कर सकता है। इससे न केवल विदेशी मुद्रा की बचत होगी बल्कि देश का आयात बिल और व्यापार घाटा भी घटेगा। ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से भी यह खोज बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब भारत के पास अपने घरेलू स्रोत से बैटरी-निर्माण हेतु आवश्यक कच्चा माल उपलब्ध रहेगा। यदि सरकार नीतिगत प्रोत्साहन, पर्यावरणीय सावधानी, और तकनीकी नवाचार के साथ इस संसाधन का सही प्रबंधन करती है, तो भारत आने वाले दशक में वैश्विक बैटरी निर्माण केंद्र बन सकता है। यह न केवल ऊर्जा क्षेत्र में बल्कि रोजगार, निवेश और विनिर्माण के क्षेत्रों में भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा।

इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में नई क्रांति की शुरुआत
भारत का इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग तेजी से बढ़ रहा है - और लिथियम इस उद्योग का सबसे महत्वपूर्ण आधार है। सरकार पहले ही फेम इंडिया (FAME India) जैसी योजनाओं के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित कर रही है। इसके अतिरिक्त, प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजनाएँ बैटरी निर्माण और इलेक्ट्रिक वाहन कम्पोनेंट्स (components) के उत्पादन को बढ़ावा दे रही हैं। वर्तमान में भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक सड़क पर चलने वाले वाहनों में से कम से कम 30% इलेक्ट्रिक वाहन हों। रियासी में मिली लिथियम खोज इस लक्ष्य को तेज़ी से प्राप्त करने में मदद करेगी। इसके साथ ही, देश में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (charging infrastructure), बैटरी निर्माण इकाइयाँ, और ईवी सप्लाई चेन का भी विस्तार होगा। यह परिवर्तन केवल पर्यावरण के लिए लाभदायक नहीं है, बल्कि इससे नई नौकरियों का सृजन, तकनीकी नवाचार, और सतत आर्थिक विकास की भी संभावना बढ़ेगी। लिथियम भंडार की खोज इस ‘ग्रीन मोबिलिटी क्रांति’ को वास्तविक रूप देने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

पर्यावरणीय और भौगोलिक चुनौतियाँ
हर बड़ी खोज के साथ कुछ बड़ी जिम्मेदारियाँ भी आती हैं। लिथियम का खनन और प्रसंस्करण एक ऊर्जा-गहन और संसाधन-खपत वाली प्रक्रिया है। अनुमान है कि एक टन लिथियम निकालने के लिए 170 घन मीटर पानी की आवश्यकता होती है और लगभग 15 टन कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) का उत्सर्जन होता है। जम्मू-कश्मीर का भौगोलिक क्षेत्र पहले से ही भूकंपीय रूप से संवेदनशील और पर्यावरणीय दृष्टि से नाजुक है। यहाँ पर खनन गतिविधियाँ यदि सावधानीपूर्वक न की जाएँ, तो यह स्थानीय पारिस्थितिकी, कृषि, पशुपालन और पर्यटन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। इसके अलावा, लिथियम को खनन करते समय उत्पन्न होने वाला वेस्ट मटेरियल (waste material) और जल प्रदूषण स्थानीय समुदायों के लिए स्वास्थ्य और जल संकट का कारण बन सकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि इस संसाधन का दोहन संतुलित और पर्यावरण-सुरक्षित तरीके से किया जाए। भारत को इस अवसर का उपयोग केवल आर्थिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि सतत विकास (Sustainable Development) और पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में एक उदाहरण के रूप में करना चाहिए।

संदर्भ-
https://bit.ly/40zN72D 
https://bit.ly/40xuooF 
https://bit.ly/3lX7IyT 
https://tinyurl.com/4wfkb74y 



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