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वे मशीन जिनके द्वारा थोड़ी सी मेहनत से ज्यादा काम को कम समय में पूरा किया जाता है, सरल मशीन कहलाती है। उत्तोलक (लीवर-Lever)एक सरल मशीन की तरह कार्य करता है। यह एक निश्चित बिंदु अवलम्ब (fulcrum) पर चारों ओर घुम सकता है। उत्तोलक की सहायता से आप एक बिन्दु पर कम बल लगाकर उसके दूसरे बिन्दु पर अधिक भारी वस्तु को उठा सकते हैं। जैसे सौ किलोग्राम का भार उत्तोलक की सहायता से एक किलोग्राम भार (बल) से उठाया जा सकता है। यह एक साधारण सी मशीन है जो एक छड़ (rod) के रूप में होती है।
अवलम्ब, भार, और आयास के आधार पर इसे तीन भागों में बांटा गया है। इसके भागों के बारे में जानने से पहले हम आपको बता दे की ये अवलम्ब, भार,आयासहोते क्या हैं और इनकी उत्तोलक में क्या भूमिका है:
1. अवलम्ब (Fulcrum): जिस निश्चित बिन्दु के चारों ओर उत्तोलक की छड़ घूम सकती है, उसे अवलम्ब कहते है।
2. आयास (श्रम): उत्तोलक की साहयता से भार को उठाने के किये उसके विपरित सिरे पर जो बल लगाया जाता है, उसे आयास कहते हैं।
3. भार (प्रतिरोध): उत्तोलक के द्वारा जो भारी वस्तु उठायी जाती है, उसे भार कहते हैं।
इन तीनों के आधार पर उत्तोलक को तीन भागों में बांटा गया है:
इस वर्ग के उत्तोलक में अवलम्ब, आयास तथा भार के बीच में स्थित होता है।इसमें भार की गति की दिशा आयास की गति के विपरित होती है।उदाहरण: सी-सा झूला, नाव पर पतवार, कैंची, गुलेल, शू हॉर्न (Shoehorn) आदि।
इस वर्ग के उत्तोलक में आयास तथा अवलम्ब के बीच में भारस्थित होता है। द्वितीय श्रेणी का उत्तोलक में भार की गति की दिशा और आयास की गति की दिशा के सामान होती है। उदाहरणत: एक पहिये की ठेला गाड़ी, सरौता, लोहदंड आदि।
इस वर्ग के उत्तोलक में अवलम्ब और भार के बीच में आयास स्थित होता है। भार और आयास की गति की दिशा सामान होती है। उदाहरण: चिमटा, चूहादानी, झाड़ू, हॉकी की स्टीक आदि।
उत्तोलक प्राकृतिक रूप से ही पाया जाता है यहां तक की आपका जबड़ा और बांह भी उत्तोलक का ही उदाहरण है। यह कहना मुश्किल होगा की इसका मशीन के रूप में आविष्कार कब कहां और किसने किया। माना जाता है की मनुष्य पाषाण काल से ही यांत्रिक उत्तोलक का उपयोग कर रहा है। प्राचीन काल में मिस्र के बिल्डर 100 टन से अधिक वजन वाले स्मारक-स्तंभों को ऊपर उठाने के लिए उत्तोलक का उपयोग किया करते थें।
क्या आपको पता है माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) के एवरेस्ट अर्थात जॉर्ज एवरेस्ट (इन्ही के नाम पर माउंट एवरेस्ट का नाम पड़ा) ने भी मेरठ शहर से 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मवाना तहसील (यह पाण्डवों के शहर हस्तिनापुर का एक द्वार (मुहाना) था) मेंउत्तोलक का उपयोग टावर के निर्माण में किया था जब वो भारत के महान त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण परियोजना को संचालित कर रहे थें (इसको शुरूआतमें विलियम लैम्बटन द्वारा चलाया गया था और बाद में जॉर्ज एवरेस्ट के द्वारा)। इसके अंतर्गत ब्रिटिश भारत में मानचित्र बनाना, हिमालय क्षेत्रों की ऊंचाइयां नापना आदि आता था।इस बीच उन्होंने कई सर्वेक्षण टावरों का निर्माण करवाया जिनका उपयोग वे उपकरणों का निर्माण करने के लिए करते थें। उनमे से एक टावर (लगभग 1830 दशक पुराना)मेरठ के बाहरी इलाके में मवाना के रास्ते में पड़नेवालीएक पहाड़ी परअभी भीखड़ा है, जिसकी दिशा: 29°6'0" उत्तर तथा 77° 55'0" पूर्व है।
उत्तोलक कई रूपों में हमारे आस-पास विद्यमान होते हैं। यह अपने सरलतम रूप में एक लम्बी छड़ हो सकता है जिसके एक सिरे पर अवलम्ब लगाकर किसी भारी वस्तु को आसानी से उठाया जा सकता है। आम जीवन में उत्तोलक का बहुत ही महत्व है और हर जगह इसे देखा जा सकता है। इमारतों के निर्माण से लेकर कृषि तक में उत्तोलक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
संदर्भ:
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Lever
2.https://en.wikibooks.org/wiki/Wikijunior:How_Things_Work/Lever
3.https://www.school-for-champions.com/machines/levers_classess.htm#.W86rE2gzbIU
4.https://goo.gl/x4TkJi
5.https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%BE
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