रामपुर के किसानों को राहत: अब ट्रैक्टर और मशीनें मिलेंगी किराए पर, जब ज़रूरत हो

वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली
02-08-2025 09:30 AM
रामपुर के किसानों को राहत: अब ट्रैक्टर और मशीनें मिलेंगी किराए पर, जब ज़रूरत हो

रामपुर जैसे कृषि प्रधान जिले में, जहाँ बड़ी संख्या में किसान सीमांत या छोटे जोत वाले हैं, आधुनिक कृषि उपकरणों तक पहुँच अभी भी एक चुनौती बनी हुई है। खेतों में समय पर जुताई, बुआई और कटाई के लिए ट्रैक्टर (tractor) या थ्रेशर (thresher) जैसे यंत्रों की आवश्यकता तो होती है, परंतु इनकी भारी कीमतें रामपुर के अधिकतर किसानों के बजट (budget) से बाहर होती हैं। ऐसे में प्रति उपयोग भुगतान (Pay-as-you-use) सेवा अब रामपुर जैसे ज़िलों में किसानों के लिए नई रोशनी लेकर आई है। अब किसानों को ट्रैक्टर (tractor), पावर टिलर (power tiller), या अन्य यंत्र खरीदने की आवश्यकता नहीं, वे इन्हें तब इस्तेमाल कर सकते हैं जब ज़रूरत हो, और उतना ही किराया दें। यह सुविधा न केवल कृषि कार्य को सरल बना रही है, बल्कि रामपुर के ग्रामीण जीवन में आर्थिक बदलाव भी ला रही है।

इस लेख में हम समझेंगे कि रामपुर जैसे ज़िलों में छोटे किसानों को कृषि मशीनीकरण में किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, और कैसे 'पे-एज़-यू-यूज़' सेवाएँ उन्हें इससे उबरने का मौका दे रही हैं। फिर हम एरिस और हैलो ट्रैक्टर (Eris and Hello Tractor) जैसी कंपनियों की साझेदारी और उनके आईओटी (IoT) आधारित समाधानों की चर्चा करेंगे, जो ट्रैक्टर और मशीनरी (machinery) को उपयोग के आधार पर किराए पर उपलब्ध करा रहे हैं। इसके बाद हम भारत की कंपनी ईएम3 (EM3) और राज्य सरकारों की साझेदारी पर भी बात करेंगे, जिन्होंने किराए पर कृषि सेवाओं को व्यवहार में उतारा है। अंत में हम जानेंगे कि इन तकनीकी सेवाओं से रामपुर के किसानों की ज़िंदगी और आय में क्या बदलाव आए हैं, और यह मॉडल (model) भारतीय कृषि के भविष्य के लिए कितना आशाजनक है।

छोटे जोत वाले किसानों के लिए कृषि मशीनीकरण की चुनौतियाँ

रामपुर ज़िले में अधिकतर किसान सीमांत या छोटे जोत वाले हैं, जिनकी ज़मीन का रकबा 5 एकड़ से भी कम है। ऐसे किसान ट्रैक्टर, रोटावेटर (Rotavator), सीड ड्रिलर (Seed Driller) या कटाई मशीन जैसे यंत्र खरीदने में असमर्थ होते हैं। कई बार इन्हें खरीदने के लिए किसानों को कर्ज लेना पड़ता है, जो खराब मौसम या कम उपज के चलते और बड़ा बोझ बन जाता है। साथ ही, आधुनिक कृषि तकनीक की जानकारी की कमी भी खेती की उत्पादकता को प्रभावित करती है। वर्तमान में भारत में मात्र 30% से कम किसान ही मशीनरी का प्रभावी उपयोग कर पा रहे हैं। रामपुर में भी यही स्थिति है, जहाँ किसानों को या तो मंहगे किराए पर यंत्र लेने पड़ते हैं या फिर पारंपरिक साधनों से काम चलाना पड़ता है। ऐसे में 'प्रति उपयोग भुगतान' मॉडल जैसे समाधान ही इस समस्या का व्यावहारिक हल बन सकते हैं।

'पे-एज़-यू-यूज़' सेवा मॉडल का आगमन और इसकी विशेषताएँ

पे-एज़-यू-यूज़ (Pay As You Use) सेवा एक अभिनव मॉडल है जिसमें किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार यंत्र किराए पर ले सकता है, जैसे ट्रैक्टर, पावर टिलर (Power Tiller) या स्प्रेयर (Sprayer)। रामपुर के किसानों के लिए यह व्यवस्था अत्यंत उपयोगी है क्योंकि इससे उन्हें पूरे यंत्र खरीदने की आवश्यकता नहीं रहती। इसके पीछे की तकनीक में Aeris Mobility Platform (AMP) जैसे आईओटी प्लेटफॉर्म (IoT Platform) होते हैं जो ट्रैक्टर के उपयोग का समय, दूरी और क्षेत्र मापते हैं। किसान को सिर्फ उतना ही किराया देना होता है जितना उसने यंत्र का उपयोग किया। इस पारदर्शी प्रणाली से किसान को भरोसा होता है और वह बिना झिझक आधुनिक यंत्रों को अपनाने की ओर बढ़ता है। रामपुर में अब किसान मोबाइल ऐप (mobile app) या स्थानीय सेवा केंद्र के माध्यम से इस सेवा को आसानी से बुक कर सकते हैं।

एरिस और हैलो ट्रैक्टर साझेदारी: कृषि तकनीक का वैश्विक विस्तार

एरिस (Aeris) और हैलो ट्रैक्टर (Hello Tractor) ने मिलकर भारत सहित कई कृषि प्रधान देशों में इस सेवा को लागू किया है। हैलो ट्रैक्टर का अफ्रीका में अनुभव और एरिस का आईओटी समाधान मिलकर ट्रैक्टर मालिक, किसान, डीलर (dealer) और सरकारी एजेंसियों (government agencies) को एक साझा प्लेटफॉर्म पर लाते हैं। इससे पारदर्शिता, विश्वसनीयता और दक्षता सुनिश्चित होती है। रामपुर जैसे ज़िलों में जहाँ अब तक किसान पारंपरिक विधियों पर निर्भर थे, अब उन्हें डिजिटल (digital) रूप से ट्रैक्टर सेवाएँ मिल रही हैं। यह मॉडल न केवल लागत घटाता है बल्कि मशीनीकरण को ज़मीनी स्तर तक पहुँचाता है।

EM3 एग्रीसर्विसेज और राज्य सरकारों की सहभागिता

भारत में ईएम3 एग्रीसर्विसेज (EM3 Agri Services) जैसी कंपनियों ने मशीनीकरण को किराए पर उपलब्ध कराने का काम तेज़ी से शुरू किया है। राजस्थान सरकार ने ईएम3 के साथ मिलकर 300 केंद्रों की स्थापना की, जहाँ किसान ऑन-डिमांड (on-demand) यंत्र किराए पर ले सकते हैं। यह मॉडल इतना सफल हुआ कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (Bill & Melinda Gates Foundation) ने भी इसमें निवेश किया। अब यह सेवाएं मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में पहुँच चुकी हैं। रामपुर में भी यदि राज्य सरकार इस मॉडल को प्रोत्साहित करे तो हजारों किसानों को समय पर और सस्ते कृषि यंत्र मिल सकते हैं, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और खेती टिकाऊ होगी।

मशीनीकरण सेवाओं का किसानों पर सामाजिक व आर्थिक प्रभाव

किसानों पर इस सेवा का असर दोहरा रहा है, खेती के काम समय पर हो पा रहे हैं और मशीनों को खरीदने की मजबूरी खत्म हो रही है। इससे लागत घटती है और उत्पादकता बढ़ती है। साथ ही, ट्रैक्टर ऑपरेटर (operator), सर्विस एजेंट्स (service agents) और मशीन मैनेजर के रूप में स्थानीय युवाओं को भी रोजगार मिल रहा है। महिलाएं भी अब खेत के काम में इन सेवाओं की मदद से भागीदारी निभा रही हैं। यह बदलाव न केवल आर्थिक है बल्कि सामाजिक रूप से भी किसानों का आत्मविश्वास बढ़ा रहा है। अब रामपुर के किसान नई तकनीक को अपनाकर बदलते कृषि परिदृश्य में टिके रह सकते हैं।

भारतीय कृषि में किराए पर मशीनों की बढ़ती प्रवृत्ति और भविष्य की संभावनाएँ

रामपुर जैसे ज़िलों में जहाँ ट्रैक्टर रखने की क्षमता सीमित है, वहाँ पे-एज़-यू-यूज़ (Pay As You Use) मॉडल कृषि का भविष्य बन सकता है। यह मॉडल संसाधनों के न्यायसंगत वितरण के साथ पर्यावरणीय संरक्षण की दिशा में भी सहायक है। देश में 12 करोड़ किसानों के लिए 60 लाख ट्रैक्टर पर्याप्त नहीं हैं, ऐसे में साझा मशीनीकरण ही एकमात्र हल है। सरकार, स्टार्टअप्स (startups) और स्थानीय संस्थाओं के सहयोग से यदि इस सेवा को और विस्तार मिले तो यह पूरे जिले की कृषि अर्थव्यवस्था को बदल सकता है। यह सेवा रामपुर में युवाओं को उद्यमिता की दिशा में भी प्रेरित कर सकती है। किसानों को अब मंहगी मशीनें खरीदने के लिए कर्ज में डूबने की ज़रूरत नहीं,  किराए पर मिल रही यह सेवा उन्हें न केवल राहत दे रही है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बना रही है। 'पे-एज़-यू-यूज़' मॉडल ने कृषि को सरल, तेज़ और सस्ती बना दिया है। आज रामपुर का किसान भी आधुनिक ट्रैक्टर, सीड ड्रिलर या थ्रेशर का उपयोग कर रहा है, वो भी तब, जब उसे ज़रूरत हो। यह बदलाव सिर्फ तकनीकी नहीं है, यह रामपुर के खेतों में समृद्धि और किसानों के जीवन में स्थिरता लाने की ओर एक बड़ा कदम है।

संदर्भ-

https://tinyurl.com/mryh7bmm 

पिछला / Previous


Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.