कैसे मॉर्निंग ग्लोरी, रामपुर के बाग़ों में हर सुबह रंगों और खुशबू की नई शुरुआत करती है

फूलदार पौधे (उद्यान)
31-10-2025 09:20 AM
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कैसे मॉर्निंग ग्लोरी, रामपुर के बाग़ों में हर सुबह रंगों और खुशबू की नई शुरुआत करती है

रामपुरवासियो, हमारे शहर की पहचान सिर्फ़ अपनी तहज़ीब, नज़ाकत और संगीत की परंपरा से ही नहीं, बल्कि अपने खूबसूरत बाग़-बगीचों से भी जुड़ी है। यहाँ के लोगों को हमेशा से फूलों की खुशबू और हरियाली से गहरा लगाव रहा है - चाहे वह पुराने हवेलियों के आँगन हों या नई कॉलोनियों के छोटे-छोटे बगीचे। इन्हीं बगीचों की शोभा को और बढ़ाने वाला एक बेहद ख़ास पौधा है - मॉर्निंग ग्लोरी (Morning Glory)। जैसे ही रामपुर की सुबह अपनी सुनहरी रोशनी से धरती को जगाती है, वैसे ही यह पौधा अपने नीले, गुलाबी, बैंगनी और सफ़ेद फूलों के साथ मुस्कुराने लगता है। इसके ट्रंपेट (trumpet) आकार के फूल हवा के हल्के झोंकों में झूमते हुए मानो सूरज का स्वागत करते हैं। दिन चढ़ने के साथ ही ये फूल धीरे-धीरे मुरझा जाते हैं, लेकिन अगले दिन फिर नई कलियाँ खिलकर वही ताज़गी लौटा लाती हैं - यही इसका सबसे सुंदर गुण है। इसकी लहराती बेलें जब दीवारों या बाड़ों पर फैलती हैं, तो ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने उन पर रंगों की चादर बिछा दी हो। दिल के आकार की पत्तियाँ और फूलों की विविधता इसे हर बगीचे का आकर्षण बना देती है। रामपुर का मौसम, जहाँ गर्मी में धूप प्रचुर मात्रा में मिलती है और सर्दियाँ अपेक्षाकृत हल्की होती हैं, मॉर्निंग ग्लोरी की खेती के लिए एकदम अनुकूल है। यही कारण है कि चाहे आप इसे घर की बालकनी में लगाएँ, छत पर गमलों में, या आँगन के किनारों पर - यह पौधा हर जगह अपनी सुंदरता बिखेर देता है। जो रामपुरवासी अपने घरों को प्रकृति की गोद में रंगना चाहते हैं, उनके लिए मॉर्निंग ग्लोरी सिर्फ़ एक पौधा नहीं, बल्कि एक सुबह की मुस्कान है।
आज के इस लेख में हम मॉर्निंग ग्लोरी नामक उस मनमोहक पौधे के बारे में जानेंगे जो हर बगीचे में रंग, ताज़गी और जीवन का संचार कर देता है। हम देखेंगे कि यह पौधा अपनी प्राकृतिक सुंदरता से कैसे हर आँगन को सजाता है और इसकी कौन-कौन सी प्रजातियाँ भारत में आमतौर पर पाई जाती हैं, जैसे बीच मॉर्निंग ग्लोरी, कॉमन मॉर्निंग ग्लोरी (Common Morning Glory) और हेवेनली ब्लू (Heavenly Blue)। इसके साथ ही हम यह भी समझेंगे कि इसे बोने का सही समय क्या है, कौन-सी मिट्टी इसके लिए सबसे उपयुक्त रहती है, और इसकी बेलों को स्वस्थ रखने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। अंत में, हम जानेंगे कि मॉर्निंग ग्लोरी न केवल बगीचे की शोभा बढ़ाता है बल्कि पर्यावरण के लिए भी एक लाभकारी पौधा है, जो तितलियों और परागण करने वाले जीवों को आकर्षित कर जैव विविधता को प्रोत्साहित करता है।

मॉर्निंग ग्लोरी : बगीचे की शोभा बढ़ाने वाला पौधा
मॉर्निंग ग्लोरी एक मनमोहक लता है जो अपनी अद्भुत सुंदरता और तेज़ी से बढ़ने की क्षमता के कारण बाग़प्रेमियों की पहली पसंद बन चुकी है। यह बेल न केवल देखने में आकर्षक होती है बल्कि बगीचे को प्राकृतिक रंगों और जीवन से भर देती है। इसके फूल ट्रंपेट के आकार के होते हैं और प्रायः सुबह की धूप में पूरी तरह खिल जाते हैं, जबकि दोपहर के बाद धीरे-धीरे बंद हो जाते हैं - इसी विशेषता के कारण इसे “मॉर्निंग ग्लोरी” नाम मिला है। इसके फूल नीले, बैंगनी, गुलाबी, लाल और सफ़ेद जैसे मनोहारी रंगों में खिलते हैं, जो किसी भी दीवार, बाड़ या ट्रेलिस (Trellis) को सौंदर्य का नया आयाम दे देते हैं। यह पौधा सामान्यतः 10 से 15 फ़ीट तक ऊँचा बढ़ सकता है और इसका फैलाव 4 से 5 फ़ीट तक होता है, जिससे यह छोटे से बगीचे में भी गहराई और हरियाली का प्रभाव पैदा करता है। दिल के आकार की पत्तियाँ इसे एक विशिष्ट आकर्षण प्रदान करती हैं, जो सूर्य की किरणों में चमककर पूरे वातावरण में हरियाली का आभास देती हैं। मॉर्निंग ग्लोरी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे बहुत अधिक देखभाल की आवश्यकता नहीं होती। साधारण मिट्टी, पर्याप्त धूप और नियमित पानी ही इसके लिए पर्याप्त हैं। यही कारण है कि यह बेल शहरी छतों से लेकर ग्रामीण आँगनों तक हर जगह सहजता से उगाई जा सकती है।

मॉर्निंग ग्लोरी की प्रमुख प्रजातियाँ और उनका परिचय
मॉर्निंग ग्लोरी की विश्वभर में लगभग 1,000 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, लेकिन भारत में मुख्यतः चार प्रजातियाँ लोकप्रिय हैं -

  1. बीच मॉर्निंग ग्लोरी (Beach Morning Glory) – यह प्रजाति समुद्र तटीय इलाक़ों में पाई जाती है और रेत को स्थिर रखने में मदद करती है। यह बेल खारे पानी, तेज़ हवाओं और धूप में भी जीवित रह सकती है। इसकी चौड़ी, चमकदार पत्तियाँ और हल्के गुलाबी-बैंगनी फूल इसे उष्णकटिबंधीय तटीय क्षेत्रों का मुख्य आकर्षण बनाते हैं। यह ग्राउंड कवर (ground cover) के रूप में भी उपयोगी होती है।
  2. कॉमन मॉर्निंग ग्लोरी (Common Morning Glory) – यह प्रजाति सबसे व्यापक रूप से पाई जाती है। इसके बैंगनी, नीले और सफ़ेद रंगों के फूल 6 से 9 फ़ीट ऊँचाई तक की बेलों पर खिलते हैं। यह मैक्सिको (Mexico) और मध्य अमेरिका की मूल निवासी है, परंतु भारत की जलवायु में भी अच्छी तरह पनपती है। इसकी पत्तियाँ दिल के आकार की होती हैं और इसकी तेज़ी से फैलने की क्षमता इसे फेंसिंग (Fencing) के लिए आदर्श बनाती है।
  3. हेवेनली ब्लू (Heavenly Blue) – यह प्रजाति अपने गहरे आसमानी नीले फूलों के लिए प्रसिद्ध है। इसके फूलों का व्यास 3 से 5 इंच तक होता है और इनके बीच सफ़ेद गले जैसी आभा दिखाई देती है। यह पौधा गर्म और नम वातावरण में बेहतरीन ढंग से उगता है और हिरण-प्रतिरोधी होने के कारण इसे कम रखरखाव की आवश्यकता होती है।
  4. रेलवे क्रीपर (Railway Creeper) – यह तेजी से फैलने वाली बेल है, जो रेलवे ट्रैकों, दीवारों और बाड़ों के किनारे आम तौर पर दिखाई देती है। इसकी पत्तियाँ कई खंडों में बँटी होती हैं और यह बहुत कम समय में बड़ी जगह घेर सकती है। यह पौधा मिट्टी की ऊपरी परत को सुरक्षित रखने और धूल-कणों को रोकने में भी सहायक होता है।

मॉर्निंग ग्लोरी को उगाने का सही समय और तरीका
मॉर्निंग ग्लोरी को सफलतापूर्वक उगाने के लिए मौसम और मिट्टी का चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। बीज बोने का सबसे उपयुक्त समय वसंत ऋतु है, जब ठंड समाप्त हो चुकी हो और मिट्टी का तापमान लगभग 15°C से 25°C के बीच हो। बीजों को बोने से पहले 24 घंटे तक पानी में भिगोकर रखना चाहिए, जिससे उनकी बाहरी परत नरम हो जाती है और अंकुरण की संभावना बढ़ जाती है। बीजों को हल्की, जलनिकासी वाली मिट्टी में ¼ इंच की गहराई तक बोएँ और उनके बीच कम से कम 6 इंच की दूरी रखें। मिट्टी को हल्का नम रखें, लेकिन अत्यधिक पानी से बचें क्योंकि इससे जड़ें सड़ सकती हैं। अंकुरण आमतौर पर 7 से 10 दिनों में हो जाता है, पर कभी-कभी 15 दिनों तक का समय भी लग सकता है। जैसे ही पौधा बढ़ने लगे, उसे चढ़ने के लिए ट्रेलिस, बाड़ या लकड़ी के सहारे दें। धूप में यह बेल तेज़ी से बढ़ती है और कुछ ही हफ्तों में दीवारों या फेंस को हरे-नीले फूलों की परत से ढक देती है।

मॉर्निंग ग्लोरी की देखभाल और रखरखाव के सुझाव
मॉर्निंग ग्लोरी भले ही कम देखभाल वाला पौधा हो, लेकिन इसकी सुंदरता बनाए रखने के लिए कुछ विशेष ध्यान आवश्यक है। सबसे पहले, इसे पूरी धूप मिलना चाहिए, क्योंकि छाँव में यह पर्याप्त फूल नहीं देता। पौधे को नियमित रूप से पानी दें, परंतु पानी जमा न होने दें - नमी तो जरूरी है, लेकिन जलभराव हानिकारक हो सकता है। खाद के रूप में हल्की जैविक खाद या गोबर की सड़ी खाद का उपयोग करें। अधिक खाद देने से बेल में अधिक पत्तियाँ तो आ जाएँगी, लेकिन फूलों की संख्या घट जाएगी। बेल को सहारा देने के लिए मजबूत संरचना जैसे ट्रेलिस या आर्च का प्रयोग करें, ताकि यह ठीक से चढ़ सके। सर्दियों के मौसम में जब तापमान गिरता है, तब पौधा सुप्त अवस्था में चला जाता है। इस दौरान इसे ठंड से बचाना आवश्यक है - चाहे पौधे को इनडोर (indoor) ले जाएँ या जड़ों के चारों ओर मल्च की परत डालें।

बगीचों में मॉर्निंग ग्लोरी के उपयोग और पर्यावरणीय लाभ
मॉर्निंग ग्लोरी केवल एक सजावटी पौधा नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी वरदान है। इसके चमकीले फूल तितलियों, मधुमक्खियों और अन्य परागण करने वाले जीवों को आकर्षित करते हैं, जिससे बगीचों में जैव विविधता बढ़ती है। यह न केवल सौंदर्य बढ़ाता है बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र को भी संतुलित रखता है। बगीचों में इसका उपयोग दीवारों और फेंसिंग को सजाने, या किसी खुले हिस्से को प्राकृतिक छाया देने के लिए किया जाता है। यह बेल गर्मियों में प्राकृतिक ठंडक भी प्रदान करती है, जिससे बगीचे का तापमान नियंत्रित रहता है। कुछ प्रजातियों के बीजों का उपयोग पारंपरिक हर्बल चिकित्सा में भी किया जाता रहा है, हालांकि यह केवल विशेषज्ञों की देखरेख में ही किया जाना चाहिए। इस प्रकार, मॉर्निंग ग्लोरी सुंदरता के साथ-साथ पर्यावरणीय और सांस्कृतिक दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण पौधा है।

सामान्य समस्याएँ और उनके समाधान
हालाँकि मॉर्निंग ग्लोरी एक मजबूत पौधा है, फिर भी इसे कुछ सामान्य समस्याओं से बचाना आवश्यक है। सबसे आम कीट ऑरेंज ब्लिस्टर बीटल (Orange Blister Beetle) है, जो पत्तियों को खाकर पौधे को कमजोर कर देता है। इसके नियंत्रण के लिए नीम का तेल, जैविक कीटनाशक या साबुन-पानी का छिड़काव किया जा सकता है। यदि पौधे की पत्तियाँ पीली पड़ने लगें, तो यह पानी या पोषक तत्वों की अधिकता या कमी का संकेत है। ऐसे में मिट्टी की नमी और खाद की मात्रा को नियंत्रित करें। ठंड के मौसम में यदि पौधा मुरझाने लगे, तो उसे ग्रीनहाउस (Greenhouse) में रखें या प्लास्टिक कवर से ढकें ताकि तापमान स्थिर बना रहे। इसके अलावा, बीज बनने से पहले मुरझाए हुए फूलों को काटते रहना चाहिए, ताकि पौधा नई कलियाँ बनाने के लिए ऊर्जा केंद्रित कर सके और पूरे मौसम खिलता रहे।

संदर्भ
https://tinyurl.com/bdeyy5d8 
https://tinyurl.com/2ccm6z23 
https://tinyurl.com/3bbuhzyu 
https://tinyurl.com/2dxz48a5 
https://tinyurl.com/yabk3ryw
https://tinyurl.com/dwysuhsz 



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