रामपुर रियासत या रोहिलखंड राज्य का चिह्न, अंग्रेजों से कैसे था संबंधित?

अवधारणा II - नागरिक की पहचान
07-08-2023 09:40 AM
Post Viewership from Post Date to 07- Sep-2023 (31st Day)
City Readerships (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2238 532 0 2770
* Please see metrics definition on bottom of this page.
रामपुर रियासत या रोहिलखंड राज्य का चिह्न, अंग्रेजों से कैसे था संबंधित?

रोहिलखंड राज्य का अपना एक अनूठा राज्य-चिह्न था। आज भी हम इस चिन्ह को कोठी खास बाग और हमारे शहर रामपुर के पुराने नुमाइश मैदान में देख सकते हैं। आइए समझते हैं कि,यह चिन्ह अर्थात कोट ऑफ आर्म्स (Coat of Arms) क्या है तथा यूरोपीय शाही परिवार के इतिहास में इसकी उत्पत्ति कैसे हुई है?
रोहिल्ला राजवंश ने रोहिलखंड और बाद में, हमारे देश को 1947 में स्वतंत्रता मिलने तक, रामपुर रियासत के रूप में उत्तर-पश्चिम उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्से पर शासन किया।जब यह राजवंश अपनी शक्ति के चरम पर था,तब इसने रोहिलखंड साम्राज्य पर शासन किया और कुमाऊं एवं गढ़वाल साम्राज्य पर आधिपत्य रखा।रामपुर के नवाबों (इस राजवंश के राजा) ने अपने शासनकाल के दौरान सांप्रदायिक हिंसा को समाप्त कर दिया था। जब विभाजन के दंगों के दौरान सिख, अलवर और भरतपुर राज्यों में मुस्लिम लोगों की व्यापक जातीय सफाई हुई थी, उस समय भी रामपुर के नवाबों ने तटस्थता की भूमिका निभाई थी।साथ ही, नवाबों ने राज्य के अमीर को गैर-मुसलमान लोगों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक हमले करने से सख्ती से मना किया था।
रोहिलखंड साम्राज्य, भारत में स्थित एक मुस्लिम राज्य था, जो नाममात्र रूप से मुगल आधिपत्य के अधीन था। 1721 में यह राजवंश घटते मुगल साम्राज्य के तहत अस्तित्व में आया और 1774 तक अस्तित्व में रहा, जब तक कि अंग्रेजों द्वारा इस पर हुए कब्जे के बाद इसकी सीमा रामपुर की रियासत में बदल गईं। नवाब अली मोहम्मद खान रोहिलखंड के पहले नवाब बने। पहले चौदह साल की उम्र में ही उन्हें विभिन्न अफगान प्रमुखों द्वारा वंश के अधिपति के रूप में चुना गया था। ढहते हुए मुगल साम्राज्य उभरते हुए उन्होंने भविष्य का राज्य बनाया और इस तरह रोहिल्ला राजवंश की स्थापना हुई। 1774 में यह राज्य समाप्त होने तक ताज रोहिल्लाओं के पास ही रहा और उसके बाद इसी राजवंश ने हमारे रामपुर रियासत पर शासन किया। दरअसल, रोहिल्ला वंश के लोग पश्तून हैं; जो 17वीं और 18वीं शताब्दी के दौरान अफगानिस्तान से उत्तर भारत में आकर बस गए थे। हालांकि, रोहिल्ला राजवंश के व्यक्ति, रोहिलखंड साम्राज्य के संस्थापक, नवाब अली मुहम्मद खान के वंशज थे। नवाब अली मुहम्मद खान वास्तव में एक जाट थे, और उन्हें आठ साल की उम्र में ही,बरेच जनजाति के सरदार दाउद खान रोहिल्ला ने गोद लिया था।फिर,वह अपने पालक पिता सरदार दाउद खान की मृत्यु के पश्चात रोहिल्ला वंश के प्रमुख बन गए। रोहिलखंड वंश की स्थापना और रोहिल्ला के सामान्य इतिहास में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका के कारण, उन्हें रोहिल्ला प्रमुख के रूप में पहचान मिली थी। हालांकि, वह जन्म से अफगान नहीं थे। इस राजवंश का चिन्ह “कोट ऑफ आर्म्स” था, यह एक ढाल, सरकोट(Surcoat) या टैबर्ड(Tabard)पर बना एक चिन्ह है। यहां,सरकोट एवं टैबर्ड से अभिप्राय बाहरी वस्त्रों से हैं।जबकि,कोट ऑफ आर्म्स का शाब्दिक अर्थ ‘हथियारों का चिन्ह’ हो सकता है।एक ढाल पर यह चिन्ह एक कुल चिन्ह के रूप में उपलब्धि का केंद्रीय तत्व बनता है।इसमें एक ढाल, समर्थक, एक शिखा और एक आदर्श वाक्य होता है। कोट ऑफ आर्म्स एक सरदार, जिसे कुल चिह्न धारण करने का अधिकार होता है, के लिए अद्वितीय होता है।यह शब्द, आधुनिक समय में केवल वंश परंपरा से संबंधित चिन्ह का वर्णन करता है।हालांकि, इसकी उत्पत्ति युद्ध या उसके बाद की जाने वाली तैयारी में उपयोग किए जाने वाले मध्ययुगीन ‘सरकोट’ परिधान के वर्णन के रूप में हुई है।
इंग्लैंड(England) और स्कॉटलैंड(Scotland) की वंश परंपराओं में, एक परिवार के बजाय एक व्यक्ति के पास ही यह चिन्ह होता था। उन परंपराओं में यह चिन्ह एक पिता से पुत्र को हस्तांतरित की जाने वाली कानूनी संपत्ति थी।साथ ही,चिन्ह धारक की पत्नी और बेटियां भी हथियार धारक के साथ अपने संबंध को इंगित करने हेतु संशोधित चिन्ह का उपयोग कर सकती थीं। अविभाजित चिन्ह का उपयोग, एक समय में केवल एक ही व्यक्ति द्वारा किया जाता है। जबकि, मूल वाहक के अन्य वंशज पैतृक चिन्ह को केवल कुछ समय के लिए ही धारण कर सकते थे।एक विशिष्ट पहचान में उनके महत्व के कारण, इस चिन्ह के उपयोग को सख्ती से विनियमित किया गया था। स्कॉटलैंड में, लॉर्ड ल्योन किंग ऑफ आर्म्स (Lord Lyon King of Arms) के पास इन चिन्हों के उपयोग को नियंत्रित करने का क्षेत्राधिकार है। इंग्लैंड, उत्तरी आयरलैंड(Ireland) और वेल्स(Wales) में इन चिन्हों का उपयोग नागरिक कानून का मामला है और कॉलेज ऑफ आर्म्स (College of Arms) एवं हाई कोर्ट ऑफ चिवलरी(High Court of Chivalry) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। समय के साथ, ऐसे चिन्हों का उपयोग सैन्य संस्थाओं से लेकर शैक्षणिक संस्थानों और अन्य कई प्रतिष्ठानों तक भी फैल गया।

संदर्भ
https://tinyurl.com/bdrz2h4f
https://tinyurl.com/4u5e679x
https://tinyurl.com/yx2k86ws
https://tinyurl.com/2jwm99ss
https://tinyurl.com/5n8bv8vz

चित्र संदर्भ
1. रामपुर का कोट ऑफ़ आर्म्स को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. रामपुर के नवाब सैय्यद सर मुहम्मद रज़ा अली खान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. लगभग 1700 के दशक में ईस्ट इंडिया कंपनी के हथियारों का प्रतीक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. शस्त्रों के राजा लॉर्ड ल्योन के आधिकारिक शस्त्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.

D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.

E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.