अंगा चक्रवर्ती राजा करकंदु के जैन साम्राज्य की मूल्यवान अंतर्दृष्टि, अपभ्रंश भाषा में

ध्वनि II - भाषाएँ
01-12-2023 12:14 PM
Post Viewership from Post Date to 01- Jan-2024 (31st day)
City Readerships (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2825 203 0 3028
* Please see metrics definition on bottom of this page.
अंगा चक्रवर्ती राजा करकंदु के जैन साम्राज्य की मूल्यवान अंतर्दृष्टि, अपभ्रंश भाषा में

लगभग 900 ईसा पूर्व के “करकंड कारिउ (Karakanda Cariu)” नामक एक उल्लेखनीय अपभ्रंश पाठ में राजा करकंदु के जीवन पर प्रकाश डाला गया है, जिन्होंने ओडिशा/उत्तरी आंध्र क्षेत्र पर शासन किया। भिक्षु कनकमरा द्वारा लिखित, यह एक उल्लेखनीय “अपभ्रंश” पाठ है, जो करकंदु के द्वारा शासित क्षेत्र के इतिहास एवं संस्कृति तथा जैन समुदाय के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। अपभ्रंश छठी और 13वीं शताब्दी ईस्वी के बीच, उत्तर भारत में बोली जाने वाली भाषाओं का एक समूह था। इन भाषाओं को भारत की शास्त्रीय भाषा संस्कृत का "भ्रष्ट" या "गैर-व्याकरणिक" संस्करण माना जाता था। भाषावैज्ञानिक, अपभ्रंश को भारतीय आर्यभाषा के मध्यकाल की अंतिम अवस्था मानते हैं, जो कि प्राकृत और आधुनिक भाषाओं के बीच की स्थिति है। चौथी से आठवीं शताब्दी तक उत्तर भारत में बोली जाने वाली स्थानीय भाषाओं के एक समूह को "प्राकृत" नाम से जाना जाता था। आगे चलकर यही भाषाएँ अपभ्रंश बोलियों में विकसित हुईं, जिनका उपयोग लगभग 13वीं शताब्दी तक किया जाता है। अंततः यही अपभ्रंश बोलियाँ, हिंदी, उर्दू और मराठी जैसी आधुनिक इंडो-आर्यन भाषाओं में बदल गईं। “करकंड कारिउ (Karakanda Cariu)” नामक इस उल्लेखनीय पाठ को भी अपभ्रंश में लिखा गया है!
करकंद को अवाकिन्नायो करकंदु, के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें अपने समय के चार चक्रवर्ती राजाओं में से एक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उनका शासनकाल 9वीं शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास रहा होगा। करकंदु “अंगा साम्राज्य” के राजा दधिवाहन और रानी पद्मावती के पुत्र थे। अंगा साम्राज्य का इतिहास भी बेहद दिलचस्प रहा है! अंगा एक प्राचीन इंडो-आर्यन जनजाति थी जो लौह युग के दौरान पूर्वी भारत में रहती थी। इनका उल्लेख बौद्ध और जैन लेखों सहित विभिन्न ऐतिहासिक ग्रंथों में मिलता है। प्राचीन भारत में अंगा को "सोलह महान राष्ट्रों" में से एक माना जाता था। इनका उल्लेख जैन व्यवहार प्रज्ञप्ति की प्राचीन जनपदों की सूची में भी किया गया था, जो राजनीतिक और जनजातीय प्रभाग थे। अंगा साम्राज्य भारत के पूर्वी भाग में, पश्चिम में चंपा नदी और पूर्व में राजमहल पहाड़ियों के बीच स्थित था। अंगा की राजधानी का नाम चंपा था और यह उस स्थान पर स्थित थी, जहाँ चंपा और गंगा नदियाँ मिलती थीं। आज, यह स्थान भारत के बिहार राज्य के कैम्पापुरी और चंपानगर गांवों से मेल खाता है। जातक कथाओं में उल्लेख है कि चंपा को काला-चंपा के नाम से भी जाना जाता था, जबकि प्राचीन पौराणिक ग्रंथों में इसे मालिनी के नाम से जाना जाता है। छठी शताब्दी ईसा पूर्व में राजा करकंदु के पिता राजा दधिवाहन ही अंगा के राजा हुआ करते थे। उनका विवाह लिच्छविका गणराज्य की राजकुमारी पद्मावती से हुआ था। पद्मावती के पिता, सेकाका, जैन धर्म के कट्टर अनुयायी थे।
शायद इसीलिए करकंदु को जैन और बौद्ध दोनों धर्मग्रंथों में एक महान नायक और एक प्रबुद्ध व्यक्ति के रूप में सम्मानित किया जाता है। वह 23वें जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ के कट्टर अनुयायी थे, जिन्होंने लगभग 850 ईसा पूर्व कलिंग में जैन धर्म का प्रसार किया था। करकंदु के शासनकाल को कलिंग में जैन समृद्धि का स्वर्णिम काल माना जाता है! एक लंबे और सफल शासन के बाद, करकंदु ने अपना सिंहासन त्याग दिया और जैन मठवाद अपना लिया। जैन भिक्षु कनकमार की "कारकंडा कारिउ" करकंदु के जीवन का सबसे व्यापक और भरोसेमंद विवरण माना जाता है। इसमें करकंदु को एक बहादुर और वीर राजा के रूप में चित्रित किया गया है जो विभिन्न विषयों और कौशल में उत्कृष्ट थे। विभिन्न कविताओं में भी उनका उल्लेख ("पिन्नासिया-अरियाना-जीवयेना (Pinnasiya-ariyana-jivayena)", जिसका अर्थ है "दुश्मनों के जीवन को नष्ट करने वाला," और "अरिदुसाहा-मोदाना-मोदुसाहौ (Aridusaha-modana-modusahau)," जिसका अर्थ है "सामने की लड़ाई में उनके शरीर को मोड़कर अप्रतिरोध्य दुश्मनों को पराजित करना ) के रूप में किया गया है।" एक किंवदंती के अनुसार, जैन श्रमणों यशोभद्र और वीरभद्र की सलाह के बाद, उन्होंने कलिंग के सिंहासन पर चढ़ने के बाद एक श्मशान में एक खोपड़ी की आंख के छिद्र से निकले जंगली बांस के डंडों से अपना राजदंड, शाही छत्र और हाथी का अंकुश बनाया।
जैन साहित्य में करकंदु, नागकुमार, श्रीपाल, यशोभद्र और जलवंधरा जैसे धार्मिक नायकों से जुड़ी कहानियाँ अक्सर पढ़ने को मिल जाती हैं। ये कहानियाँ इन व्यक्तियों के जीवन और गुणों को प्रदर्शित करती हैं, जो जैन अनुयायियों के लिए मार्गदर्शक के रूप में काम करते हैं। धार्मिक नायकों की कहानियों के अलावा, जैन साहित्य में राजमती, पद्मावती और अमृतमती जैसी पवित्र गृहस्थों और महिलाओं की कहानियाँ भी पढ़ने को मिल जाती हैं। ये कहानियाँ रोजमर्रा की जिंदगी में जैन व्रतों और प्रथाओं की भक्ति और पालन के महत्व पर प्रकाश डालती हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mshzk33b
https://tinyurl.com/mu4y8z94
https://tinyurl.com/p4ctyd8s
https://tinyurl.com/2nh6mxf9

चित्र संदर्भ
1. जैन अभिलेखों और करकंड कारिउ नामक पुस्तक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia,Internet Archive)
2. अपभ्रंश को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
3. करकंड कारिउ के प्रथम पृष्ठ को दर्शाता एक चित्रण (Internet Archive)
4. जैन साधक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.

D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.

E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.