जौनपुर: इत्र और चमेली का तेल मरणासन्न!!

गंध - सुगंध/परफ्यूम
13-11-2017 06:09 PM
जौनपुर: इत्र और चमेली का तेल मरणासन्न!!
"दुनिया को खुशबू देने वाले आज मुफलिसी का शिकार हैं, जो गुण था उनका संसार मे छाया आज वही लाचार है।" यही हाल जौनपुर के इत्र व चमेली का तेल बनाने वालों का है। यह विषय इतना गम्भीर है जिसका पता इस बात से लगाया जा सकता है कि एक समय जौनपुर में इत्र और चमेली के तेल से भरी दुकाने गुलजार हुआ करती थी, पर वहीं आज यहाँ कितनी ही बंद हो गयी और जो बाकी बच गयी हैं वो खंडहर में तब्दील हो गयी। जौनपुर कभी "शिराज़-ए-हिंद" के नाम से मशहूर था और इसके इत्र की खुशबू पूरे भारत ही नही अपितु विश्व भर में मशहूर थी। जौनपुर के इत्र का ज़िक्र विध्यापति की अपभ्रंश काव्य रचना में भी हुआ है तथा अन्य कई विदेशी किताबें भी जौनपुर के इत्र का जिक्र करती हैं। जौनपुर कोतवाली के पास का नवाब युसूफ रोड वही स्थान है जो इत्र के लिए जाना जाता था। परन्तु अब खराब व्यवस्था के चलते जौनपुर की इत्र की दुकाने मरणासन्न है। जौनपुर का चमेली का तेल भी विश्व प्रसिद्ध है। आज भी कुछ एक दुकानों पर हमे इस प्राचीन एवं प्रसिद्ध इत्र और तेल की खुशबु मिल जाती है जो सबका मन मोह लेती है। यदि इन कलाओं के प्राचीनता की बात की जाये तो ये कलायें तकरीबन सल्तनत काल तक जाती हैं जो जौनपुर का स्वर्ण युग माना जाता है। मशीनीकरण व सेंथेटिक इत्र के आ जाने के कारण हाँथ व प्राचीन तकनीकी के बने इत्रों का बाजार पूर्णरूप से टूट गया है। प्राचीन तकनीकी में इत्र बनाने में ज्यादा समय व धन लगता है परन्तु मशीन का बना इत्र कुछ रसायनों के सहारे जल्द बन जाता है। यहाँ के कारीगरों के घरों के युवा मुम्बई, दिल्ली जैसे शहरों में रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं जो इस समस्या की गहराई को प्रदर्शित करता है।