मानव के क्रमिक विकास के साक्ष्य

मानव : 40000 ई.पू. से 10000 ई.पू.
03-06-2018 12:17 PM
मानव के क्रमिक विकास के साक्ष्य

मानव का क्रमिक विकास कई लाख साल में हुआ है। इसने कपि से मानव बनने में अनेकों बदलावों को देखा है। मानव के विकास से सम्बंधित कई साक्ष्य हमें प्राप्त हुए हैं जैसे कि लूसी का कंकाल। लखनऊ से अभी तक आदिमानवों से जुड़े किसी भी पुरास्थल की प्राप्ति नहीं हुयी है। हाँ, यह कहा जा सकता है कि यहाँ से ताम्र पाषाण कालीन अवशेष जरूर दादुपुर से प्राप्त हुए हैं। परन्तु यदि देखा जाए तो लखनऊ के समीप स्थित बुंदेलखंड, मिर्जापुर, प्रतापगढ़ आदि स्थान से आदिमानवों के रहने के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। मिर्जापुर से आदिकालीन मानवों द्वारा बनाये गए कई शैलचित्र प्राप्त हुए हैं। ये शैल चित्र आदिकालीन मानवों द्वारा बनाये गए थे तथा ये उनके जीवन के कार्यकलापों व उस क्षेत्र में पाए जाने वाले जानवरों का अंकन समेटे हुए हैं। भारत का पहला शैलचित्र मिर्जापुर की सोहागी पहाड़ी से मिला था। इस शैलचित्र की खोज कार्लाइल ने की थी। यह भारत ही नहीं बल्कि विश्व के पहले खोजे गए शैल चित्र थे। मिर्ज़ापुर के शैल चित्रों को 9000 साल से 10,000 साल पुराना तक माना जा सकता है तथा ये शुरुवाती मध्यकालीन तक बनाये गए हैं।

ये शैल चित्र जल प्रपातों, जल के संसाधनों आदि के पास पाए जाते हैं जो इस बात की तरफ इशारा करता है कि मानव अपना बसाव वहीँ रखता था जहाँ पर जल व खाने की आपूर्ति आराम से हो जाती थी। ये चित्र गेरू, खड़िया आदि से बनाये जाते थे तथा कभी-कभी लार का भी प्रयोग किया जाता था। लखनऊ के पूरब में बसा प्रतापगढ़ भी आदिकालीन पुरस्थालों से यहाँ मानव जीवन के कई प्रमाण प्रस्तुत करता है। प्रतापगढ़ का दमदमा, महदहा और सरायनाहरराय से आदिकालीन मानवों के साक्ष्य प्राप्त होते हैं। महदहा से कुल 28 कब्र मिली हैं जिनमें से पुरुष और महिला की कब्र अत्यंत मशहूर है। यहाँ से प्राप्त साक्ष्यों से यह पता चलता है कि उस काल में मानव कद में लम्बे हुआ करते थे (पुरुषों का कद 190 सेंटीमीटर और महिलाओं का कद 162-175 सेंटीमीटर)। यहाँ से और अन्य दोनों पुरस्थालों से मनुष्यों द्वारा पहने जाने वाले आभूषण आदि की भी प्राप्ति हुयी है। भारत का पहला मानव अवशेष नर्मदा नदी के किनारे हथनोरा नामक जगह से मिला था। इसकी खोज अरुण सोनाखिया ने की थी।

इस प्रकार प्राप्त साक्ष्यों के आधार पर हम कह सकते हैं कि उस समय का मानव शिकारी हुआ करता था और वह शिकार के लिए आस-पास के क्षेत्रों में घूमा करता था। लखनऊ और आसपास के क्षेत्र में आदिमानवों की बड़ी आबादी निवास करती थी, इसके भी प्रमाण हमें प्राप्त होते हैं।

1. रॉक आर्ट ऑफ़ मिर्ज़ापुर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण
2. http://www.bradshawfoundation.com/india/pachmarhi/index.php
3. http://homeoftaj.com/rock-painting-uttar-pradesh-travel-back-pre-historic-times/
4. https://www.athensjournals.gr/humanities/2016-3-4-3-Chattopadhyaya.pdf
5. http://groovyganges.org/wp-content/uploads/2012/08/rock_painting_low.pdf
6. https://www.indianetzone.com/43/mesolithic_sites_india.htm