 
                                            समय - सीमा 260
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                                            लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी है यहाँ की विशेषता यह है की यहाँ पर अनेकों प्रकार के धरोहर मौजूद हैं जो की इसकी नवाबी ठाट को प्रदर्शित करते हैं। लखनऊ के हुसैनाबाद में स्थित घंटाघर भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण धरोहर है जो आज अनेकों पर्यटकों को अपनी ओर खीचने का कार्य करता है। यह घंटाघर सन 1881 में बनवाया गया था जिसे की लन्दन स्थित बिग बेन नामक कंपनी ने बनाया था। भारत में वैसे तो अनेकों स्थानों पर घंटाघर का निर्माण किया गया है जिनका की प्रमुख कार्य होता था शहर के लोगों को समय के बारे में बताना। क्या आपको पता है कि एक ऐसी ही मीनार है जो कि वंडर ऑफ़ द वर्ल्ड यानी के अन्तर्गत आता है?
 
यह मीनार भी एक घंटाघर था जिसे पीसा की मीनार के रूप में जाना जाता है। आइये इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं की आखिर यह पीसा की मीनार झुकी हुयी क्यूँ है और इसका इतिहास क्या है? पीसा की मीनार मध्ययुगीन यूरोप की सबसे उल्लेखनीय वास्तु संरचना है जो की इटली में स्थित है। यह मीनार कैंपो डी मिर्स्कोली या चमत्कारी क्षेत्र के रूप में जाना है जो की बैप्टिस्ट कैथेड्रल के प्रांगण में स्थित है। इस मीनार का निर्माण सन 1173 में शुरू हुआ था तथा यह करीब दो शताब्दियों में बन कर तैयार हुआ था।
इस मीनार के निर्माण के शुरू होने के कुछ समय के उपरान्त युद्ध आदि की वजहों से इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया था परन्तु बाद में यह फिर से शुरू हुआ। यह मीनार निर्माण के समय से ही झुकनी शुरू हो गयी थी। यह मीनार जब बन कर तैयार हुयी थी तब यह यूरोप की सबसे बड़ी घंटी मीनार थी। इस मीनार का निर्माण पीसा शहर को गौरवशाली और शक्तिशाली दोनों दिखाने के उद्देश्य से किया गया था। यह मध्ययुगीन रोमन शैली में संगमरमर के पत्थर से गोलाकार आकार में बनाया गया था। इस मीनार के निर्माण के पहले किसने इसका नक्शा बनाया था इसपर कोई जानकारी उपलब्द नहीं है परन्तु यह कहा जाता है की इसका निर्माण बोनानो पिसानो के निर्देश में किया गया था। निर्माण का दूसरा चरण गिओवान्ना पिसानो और गिओवान्नी डी सिमोनी के देखरेख में किया गया था।
 
अंत में इस मीनार का निर्माण टामासो पिसानो ने 1399 में पूरा करवाया था। इस मीनार में कुल 8 मंजिल हैं और इसकी कुल मूल ऊंचाई 60 मीटर की है। इस मीनार के निचले तल में कुल 15 मेहराब हैं और बाकी के बचे 6 तलों पर 30-30 मेहराब हैं। शीर्ष ताल अर्थात 8वीं तल पर घंटा कक्ष स्थित है और इसपर कुल 16 मेहराब हैं। इस मीनार के अन्दर 2 सर्पीली प्रकार की सीढियां बनी हुयी हैं। यह मीनार तीसरी ताल के बाद पतली होनी शुरू होती है। पतला करने के पीछे यह विचार था की शायद यह मीनार झुकना बंद कर दे लेकिन इससे कुछ फर्क नहीं पड़ा और यह मीनार लगातार झुकती रही। इस मीनार के झुकने का प्रमुख कारण था जमीन का कमजोर होना और इसका दलदली होना। जमीन के दलदली होने के कारण यह मीनार झुकना शुरू कर दी थी। इस मीनार को सीधा करने के लिए कई प्रयोजनों पर चर्चा की गयी।
सन 1920 में इस मीनार के आस पास के क्षेत्र में सीमेंट को जमीन में डाला गया था जो की एक अल्पावधि तक इस मीनार को स्थिरता प्रदान करने का कार्य किया था। समय समय पर इसको झुकने से रोकने का कार्य किया गया था। साल 1990 में इस मीनार को आधिकारिक रूप से बंद कर दिया गया था क्यूंकि उस समय एक परियोजना के तहत इसकी नीवं के नीचे से मिटटी निकालने का कार्य किया जा रहा था। उस दौरान इस मीनार में 44 सेंटी मीटर का सीधापन आया था। 1995 में यह मीनार करीब 2.5 मीमी झुक गया था जिसके बाद इसपर कार्य किया जाना शुरू हुआ और इसमें कई बदलाव आये। 2001 में यह मीनार फिर से आम नागरिकों के लिए खोल दिया गया था और 2008 में यह पता चला की यह मीनार अगले 200 सालों तक स्थिर खड़ा रहेगा।

सन्दर्भ:-
1. https://www.designingbuildings.co.uk/wiki/Leaning_Tower_of_Pisa
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Leaning_Tower_of_Pisa#Architect
3. http://www.towerofpisa.org/
4. http://mentalfloss.com/article/28544/why-does-leaning-tower-pisa-lean
5. https://www.livescience.com/33379-leaning-tower-pisa-fall-over.html
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        