| Post Viewership from Post Date to 04- Mar-2021 (5th day) | ||||
|---|---|---|---|---|
| City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Messaging Subscribers | Total | |
| 2629 | 92 | 0 | 2721 | |
| * Please see metrics definition on bottom of this page. | ||||
लखनऊ में भी इन पक्षियों को जलीय वनस्पति की सतह पर विचरण करते देखा जा सकता है। कांस्य पंख वाले जाकाना को 1790 में पक्षी विज्ञानी जॉन लैथम (John Latham) द्वारा औपचारिक रूप से वर्णित किया गया था और द्विपद नामपद्धति (binomial name) में पार्रा इंडिका (Parra Indica) नाम दिया गया था। उन्होंने इसे अन्य सभी जाकानों के साथ जीनस पार्रा (Parra) में रखा। इसके बाद 1832 में जर्मन प्राणी विज्ञानी जोहान जॉर्ज वैगलर (Johann Georg Wagler) द्वारा इसे इसकी विशेषताओं के कारण मेटोपिडियस वंश में रखा गया। यह प्रजाति व्यापक रूप से भारतीय उपमहाद्वीप (लेकिन श्रीलंका या पश्चिमी पाकिस्तान नहीं) और दक्षिण पूर्व एशिया में कम ऊंचाई वाले स्थानों पर पायी जाती है। ये पानी में जलकुंभी जैसे खरपतवारों से घिरे दलदली क्षेत्रों का उपयोग करने में सक्षम होते हैं और प्रजनन के समय ये इपोमिया एक्वाटिका (Ipomoea Aquatica) द्वारा प्रदान किए गए आवरण का उपयोग करते हैं। ये पक्षी मुख्य रूप से भोजन के लिए पौधों पर निर्भर रहते हैं, परंतु तैरती हुई जलीय वनस्पति या पानी की सतह से कीड़ो और अन्य अकशेरुकीय जीवों का शिकार भी कर लेते हैं। विभिन्न गतिविधियों के लिए ये पक्षी सीक-सीक-सीक (Seek-Seek-Seek) की ध्वनि उत्पन्न करते हैं और जब भी इन्हें खतरा महसूस होता है तो ये पानी में खुद को डूबा कर छिपा लेते हैं।
इनमें अंडों को सेने तथा स्थानों की रक्षा करने का कार्य नर पक्षी को सौंपा जाता है। संकट या भय की स्थिति में नर पक्षी युवा पक्षियों को अपने पंखों के नीचे रखकर इधर-उधर ले जाने में सक्षम होते हैं। वजनी नर पक्षी अपने पंखों को फैलाकर तथा गर्दन को खींचकर अन्य नर पक्षियों से अपने क्षेत्र की रक्षा करते हैं। क्षेत्र के रखरखाव की गतिविधियाँ लगभग 9 से 11 बजे तक होती है। ये अपना घोंसला जलीय वनस्पति में मौजूद पिस्टिया (Pistia), निम्फाइड्स (Nymphoides), हाइड्रिला (Hydrilla) आदि के पत्तों पर बनाते हैं, परन्तु ये अंडे कमल के पौधे के पत्तों पर भी दे सकते हैं। अंडे बहुत ही शंक्वाकार, अनियमित काले ज़िग-ज़ैग (Zig-Zag) चिह्नों के साथ चमकदार भूरे रंग के होते हैं, जोकि 29 दिनों में तैयार हो जाते हैं। जब ये बच्चे लगभग दस सप्ताह के हो जाते हैं, तो वे अपने पिता से स्वतंत्र हो जाते हैं। इनमें प्रजनन का मौसम बारिश के बाद शुरू होता है (भारत में जून से सितंबर तक, लेकिन राजस्थान में मार्च में होने वाली बारिश में प्रजनन होता है)।
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.
D. Total Viewership - This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.