खौफ का दूसरा नाम रामपुरी चाकू, आज बन गया है, कला की दुर्लभ कृति

हथियार और खिलौने
11-05-2023 09:30 AM
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खौफ का दूसरा नाम रामपुरी चाकू, आज बन गया है, कला की दुर्लभ कृति

हमारे रामपुर की शान रहे रामपुरी चाकू को देश की रसोई से अधिक बॉलीवुड (Bollywood) की फिल्मों में देखा जाता है! इस चाकू की लोकप्रियता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यदि आज देश में किसी भी हथियार में धार की तीक्ष्णता, चमक और तेजी जैसे पैमानों को मापना हो, तो रामपुरी चाकू का ही उदाहरण दिया जाता है। हमारे रामपुर की कोठी खासबाग में मौजूद शस्त्रागार में भी रामपुर के प्राचीन चाकू सहित राजघराने की कुछ दुर्लभ बंदूकें, राइफलें (Rifles) और तलवारें मौजूद हैं। भारतीय सेना द्वारा रामपुर के शाही परिवार से कोठी खासबाग में मौजूद शस्त्रागार में रखे गए दुर्लभ हथियारों को भारतीय सेना के संग्रहालयों को दान करने पर विचार करने का अनुरोध भी किया गया है। यदि आप भी हथियारों की विशेषताओं और उनके इतिहास में रुचि रखते हैं , तो आप देश भर में मौजूद कई प्रमुख सैन्य संग्रहालयों का दौरा कर सकते हैं, जिनके बारे में आगे विस्तार से बताया गया है। भारत का सैन्य इतिहास कई सहस्राब्दी पुराना है। वर्तमान में ‘भारतीय सशस्त्र बल’ (Indian Armed Forces) को दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में गिना जाता है। भारतीय सेना देश का गौरव है, जो जल, थल और वायु में देश के 1.4 बिलियन निवासियों की रक्षा करती है। देश के सशस्त्र बलों ने स्वतंत्रता से पूर्व प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में तथा स्वतंत्रता के बाद भारत-पाकिस्तान युद्ध सहित कई संघर्षों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यदि आप भारत के सैन्य इतिहास में रुचि रखते हैं, तो आप नीचे दिए गए भारत के इन प्रमुख सैन्य संग्रहालयों का भ्रमण कर सकते हैं। इन संग्रहालयों में वर्षों से भारतीय सेना द्वारा उपयोग किए गए हथियारों, वाहनों और विमानों का प्रदर्शन किया गया है- १. भारतीय वायु सेना संग्रहालय, नई दिल्ली: इस संग्रहालय में वर्षों के दौरान भारतीय वायु सेना द्वारा हासिल की गई उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया है। यहां आप दूसरे विश्व युद्ध तथा 1966 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान बहादुरी से लड़ने वाले सैन्य अधिकारियों की तस्वीरें देख सकते हैं। इस संग्रहालय में पुराने विमान, हेलीकॉप्टर (Helicopter), जेट इंजन (Jet Engine), विमान बंदूकें, और दुश्मन के बरामद विमान तथा सेना के टैंक आदि रखे गए हैं। २. भारतीय युद्ध स्मारक संग्रहालय, नई दिल्ली: नई दिल्ली में लाल किला परिसर के नौबत खाना में स्थित, यह संग्रहालय अंग्रेजों के अधीन रहकर सेना द्वारा की गई कार्रवाइयों को समर्पित है। संग्रहालय इमारत की पहली और दूसरी मंजिल में किले के दीवान-ए-आम से पहले स्थित है और इसमें पानीपत की पहली लड़ाई को दर्शाने वाली एक आश्चर्यजनक चित्रावली शामिल है जिसके परिणामस्वरूप मुगल साम्राज्य का गठन हुआ था। यहां आप मशीन गन (Machine Gun), रिवाल्वर (Revolver), गोले, तलवारें, तीर, खुखरी, खंजर, युद्ध कुल्हाड़ी, छाती कवच, हेलमेट, तलवारें, पिस्तौल, गोलियां, और गनपाउडर फ्लास्क (Gunpowder Flask) आदि को प्रदर्शित देख सकते हैं। ३. जैसलमेर युद्ध संग्रहालय, राजस्थान: यह संग्रहालय भारतीय सेना द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों की याद दिलाता है। 2015 में खोले गए इस संग्रहालय में 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों, विशेष रूप से लोंगेवाला (Longewala) युद्ध से जुड़ी यादों को शामिल किया गया है। जैसलमेर के भारतीय सेना स्टेशन (Indian Army Station) में स्थित, इस संग्रहालय में इन संघर्षों के दौरान सैनिकों के बलिदान को प्रदर्शित किया गया है। ४. नौसेना उड्डयन संग्रहालय, गोवा: नौसेना उड्डयन संग्रहालय भारत में नौसेना को समर्पित दो प्रमुख संग्रहालयों में से एक है। यहां उन सभी विमानों को प्रदर्शित किया गया है, जिनका उपयोग भारतीय नौसेना ने अपने सुशोभित इतिहास में किया था। 1998 में खोले गए इस संग्रहालय की आंतरिक संरचना को आईएनएस विराट विमानवाहक पोत (INS Viraat Aircraft Carrier) की भांति डिज़ाइन किया गया है, और इसमें नौसैनिक उपकरण, प्रमुख लड़ाइयों की तस्वीरें, देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शूरवीरों की याद में एक पट्टिका तथा एक सिमुलेशन कक्ष (Simulation Room) शामिल हैं। ५. समुद्रिका नौसेना समुद्री संग्रहालय, अंडमान और निकोबार: यह संग्रहालय अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के समुद्री जीवन को प्रदर्शित करता है। यह संग्रहालय द्वीपों के इतिहास और संस्कृति के साथ-साथ वहां रहने वाले आदिवासी समुदायों पर भी प्रकाश डालता है। हमें आशा है कि इन सभी संग्रहालयों को देखने के बाद आपको भारत के सैन्य इतिहास और विभिन्न लड़ाइयों में इस्तेमाल किए गए औजारों तथा हथियारों के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त होगी।
इसी क्रम में भारतीय सेना ने रामपुर शाही परिवार से अनुरोध किया है कि वे रामपुर की कोठी खासबाग में स्थित शस्त्रागार में रखे गए दुर्लभ हथियारों (प्राचीन बंदूकें, राइफलें, तलवारें और रामपुरी चाकू) को भारतीय सेना को दान करने पर विचार करें। ये हथियार रामपुर की कोठी खास बाग में हाल ही में खोले गए शस्त्रागार में मिले हैं, जिसे रामपुर के भारत में विलय के बाद अंतिम नवाब ने भारत सरकार को सौंप दिया था। यह शस्त्रागार परिवार की विभिन्न शाखाओं के बीच एक संपत्ति विवाद के संबंध में चल रही कानूनी प्रक्रिया के तहत मूल्यांकन के लिए खोला गया था। नवाब के पौत्रों में से एक, काजिम अली खान (Kazim Ali Khan), जो अब रामपुर के नूर महल में रहते हैं, को संग्रहालयों में रखे जाने वाले कुछ हथियारों को दान करने के लिए भारतीय सेना से प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। सेना का मानना है कि सदियों पहले बनाए गए ये अनोखे आग्नेयास्त्र (Firearms) और हथियार बेहद दुर्लभ और रुचिकर हैं, इसलिए इन्हें सेना के संग्रहालयों और मेस (Mess) में प्रदर्शित किया जाना चाहिए। हालांकि, हथियार सौंपे जाने से पहले, परिवार के सभी सदस्यों से परामर्श करना और कानूनी मामले को सुलझाना जरूरी होगा। 1966 में जब नवाब रजा अली खान की मृत्यु हुई, तब उनकी तीन पत्नियाँ, तीन बेटे और छह बेटियाँ थीं। सरकार ने उनके सबसे बड़े बेटे मुर्तजा अली खान (Murtaza Ali Khan) को अपने पिता की सभी निजी संपत्तियों के एकमात्र उत्तराधिकारी के रूप में मान्यता दी और इस विषय में एक प्रमाण पत्र भी जारी किया। लेकिन उनके भाई ने इस निर्णय को दीवानी अदालत में चुनौती दे दी, जिससे 47 साल पुराना संपत्ति विवाद खड़ा हो गया। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था कि रामपुर के शाही परिवार के सभी सदस्यों को शरीयत कानून के अनुसार शाही संपत्ति का समान हिस्सा मिलना चाहिए। इसी क्रम में रामपुर की जिला अदालत द्वारा शाही विरासत का मूल्यांकन करने का काम किया जा रहा है। नवाब के ग्रीष्मकालीन निवास ‘कोठी खासबाग’ के शस्त्रागार और एक स्ट्रांग रूम (Strongroom), इसी मूल्यांकन का एक हिस्सा थे। हालांकि जब स्ट्रांग रूम खोला गया तो वह पूरी तरह खाली मिला। लेकिन वहां के शस्त्रागार में कुछ दुर्लभ हथियार मौजूद थे, जिनमें रामपुर का प्रसिद्ध रामपुरी चाकू भी शामिल था। इस शानदार चाकू की धार आज दशकों बाद भी कमजोर नहीं हुई है! इसीलिए रामपुर प्रशासन ने जिले की पहचान रहे रामपुरी चाकू को जन-जन में लोकप्रिय बनाने की पहल शुरू की है। इस अनोखी पहल के तहत शहर में एक चौराहे पर 20 फुट लंबा रामपुरी चाकू स्थापित किया गया है, जिसे 52.52 लाख रुपये की लागत से बनाया गया है। इस चाकू को जंग लगने से बचाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली पीतल (Brass) और स्टील (Steel) धातु का प्रयोग किया गया है। इस चाकू का आधिकारिक तौर पर उद्घाटन किया गया, और अधिकारी इसे ‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ (Guinness World Records) में भेजने की योजना भी बना रहे हैं। एक दौर में रामपुरी चाकू को खौफ का दूसरा नाम माना जाता था, लेकिन अब यह एक कला कृति के रूप में हमारे शहर की पहचान बन गया है।

संदर्भ
https://rb.gy/rscyh
https://rb.gy/4bad9
https://rb.gy/c1w2b

चित्र संदर्भ
1. जौहर चौक पर लगे रामपुरी चाकू को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. रामपुर की कोठी खास बाग़ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारतीय वायु सेना संग्रहालय, नई दिल्ली को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारतीय युद्ध स्मारक संग्रहालय, नई दिल्ली को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. जैसलमेर युद्ध संग्रहालय, राजस्थान: को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. नौसेना उड्डयन संग्रहालय, गोवा को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
7. समुद्रिका नौसेना समुद्री संग्रहालय, अंडमान और निकोबार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. रामपुर की कोठी खास बाग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
9. जौहर चौक पर लगे रामपुरी चाकू को दर्शाता एक चित्रण (youtube)