भारत की रहस्यमय बीमारियों के पीछे का कारण क्या है?

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
19-02-2021 10:37 AM
Post Viewership from Post Date to 24- Feb-2021 (5th day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
3016 0 0 3016
* Please see metrics definition on bottom of this page.
भारत की रहस्यमय बीमारियों के पीछे का कारण क्या है?
कोरोनावायरस (corona virus) रोग द्वारा उत्पन्न किये गए कहर ने हमें इस बात की याद दिला दी है कि हम बीमारियों के प्रकोप को नियंत्रित करने के बारे में कितना कम जानते हैं। हालांकि कोविड-19 के मामले में उम्मीद की किरण कम से कम इतनी तो है कि यह कोरोनवायरस (SARS-CoV-2) के कारण उत्पन्न हुआ है। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां वैज्ञानिक समूह यह पता लगाने में विफल रही है कि बीमारी का कारण क्या हो सकता है और भारत में भी ऐसी कई बीमारियों के उदाहरण देखने को मिल सकते हैं। अगस्त 2019 में, असम के तेजपुर में 164 लोगों ने एक रहस्यमय बुखार की सूचना दी। रोगियों में सभी उम्र के लोग शामिल थे और महिला और पुरुष दोनों प्रभावित थे। यद्यपि रोगियों का मलेरिया (Malaria) के लिए परीक्षण किया गया था, लेकिन सभी का परिणाम नकारात्मक आया, हालांकि कारण का पता नहीं चल सका है लेकिन लक्षणों के आधार पर रोगियों का इलाज किया जा सकता है।

इसी तरह, राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के चान गांव में सितंबर 2019 में बुखार के 1,000 से अधिक मामलों के पीछे का कारण क्या हो सकता है, इस बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। कुल 28 रक्त नमूने एकत्र किए गए और आधे डेंगू (Dengue), चिकनगुनिया (Chikungunya) या स्क्रब टाइफस (Scrub typhus) के लिए सकारात्मक पाए गए। तीन बच्चों ने कोरिनेबैक्टीरियम (Corynebacterium) के लिए सकारात्मक परीक्षण किया जो डिप्थीरिया (Diphtheria) और मलेरिया के लिए एक और तीन का कारण बनता है। हालांकि, बड़ी संख्या में कई मामलों को अज्ञात कारणों की सूची में रखा गया। एसोसिएटेड प्रेस (Associated Press) का विवरण है कि आंध्र प्रदेश राज्य के एलुरु में, कोविड-19 महामारी की चपेट में आने के बाद 800,000 से अधिक मामले सामने आए। हालांकि, किसी भी मरीज में कोरोनावायरस या किसी अन्य वायरल (Viral - जिसमें मच्छर जनित बीमारियां जैसे डेंगू बुखार और चिकनगुनिया शामिल हैं) बीमारी का परीक्षण सकारात्मक नहीं आया।

हिंदुस्तान टाइम्स (Hindustan Times) के अनुसार, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में कुछ रोगियों के रक्त के नमूनों में लेड (Lead) और निकल (Nickel) के निशान पाए गए। जबकि भारी धातुओं का मानव शरीर में न्यूरोटॉक्सिक (Neurotoxic) प्रभाव हो सकता है, लेकिन अभी तक इसका एक स्पष्ट स्रोत नहीं सामने आया है। जल, दूध, खाद्य स्रोत और संभावित संदूषण के अन्य तरीकों का अब तक परीक्षण किया गया है, लेकिन कोई सबूत नहीं मिला है।
एनसीडीसी (NCDC) भारत के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम को लागू करता है जो उन्हें देश के प्रत्येक गांव से विवरण को इकट्ठा करने में मदद करता है। एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम सिंड्रोमिक (Syndromic) निगरानी करता है, जो लक्षणों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, ग्राम स्वयंसेवक और गैर-औपचारिक चिकित्सक पर आधारित है और प्रकोप एक नजर रखता है। बीमारियों के उपचार को करने के लिए छह लक्षणों को वर्गीकृत किया गया है:
• बुखार
• तीन सप्ताह से अधिक की अवधि के लिए खांसी
• तीव्र शिथिल पक्षाघात
• दस्त
• पीलिया
• असामान्य घटनाओं के कारण मृत्यु या अस्पताल में भर्ती होना
नवंबर 2007 से, एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम प्रत्येक हफ्ते प्रकोपों का प्रेषण कर रहा है और औसतन प्रति सप्ताह 30-40 प्रकोपों की सूचना दी जाती है। अक्सर, प्रकोपों को मीडिया (Media) द्वारा भी दिखाया जाता है और जुलाई 2008 के बाद से निगरानी बढ़ाने के लिए एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम मीडिया विवरणों की भी जांच करता है। हालांकि, कई प्रकोप एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम द्वारा उत्पन्न सूची में भी नहीं आते हैं। फरवरी 2020 में, ओडिशा के मलकानगिरी जिले से एक रहस्यमय बुखार की सूचना दी गई थी, और लगभग 400 आबादी वाले सिर्फ एक गांव केंदुगुडा से 15 मौतें हुईं। 15-35 वर्ष के बीच के रोगियों को पैरों में सूजन और पेट में सूजन की शिकायत थी और वे खड़े भी नहीं हो सकते थे। वे श्वसन संबंधी गंभीर समस्याओं से भी पीड़ित थे। मीडिया विवरणों के मुताबिक, मलकानगिरी की एक मेडिकल टीम (Medical team) ने गांव का दौरा किया और उन्हें संदेह था कि मृतक वृक्क या दिल की बीमारियों या रक्ताल्पता या क्षय से पीड़ित हो सकते हैं।

अक्टूबर 2019 में, सूरत में एक रहस्यमय बुखार की सूचना मिली थी। यह डेंगू होने का अनुमान था लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, किसी भी रोगी के रक्त बिम्बाणु (Platelets) प्रभावित नहीं हुए थे। अगस्त, सितंबर और अक्टूबर 2018 में, एक रहस्य बुखार ने उत्तर प्रदेश के छह जिलों में कई लोगों की जान ले ली है। बरेली में, चार भवन समूह में 202 मौतें हुईं और कुछ मामलों में इसके पीछे के कारणों की पहचान मलेरिया, डेंगू या जापानी मस्तिष्क कलाशोथ के रूप में की गई। हालांकि, अधिकांश मामले अज्ञात रहे और मीडिया ने अक्सर इस बीमारी को रहस्य बुखार के रूप में संदर्भित किया। मृत व्यक्तियों में से केवल 24 लोगों का परीक्षण किया गया था, और इनमें से दो में मलेरिया पाया गया था जबकि अन्य को पुरानी बीमारियों (क्षय, किडनी की विफलता, दिल की विफलता, अस्थमा) के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। कुल मिलाकर, 178 मौतों के कारणों का पता नहीं चल पाया है। साथ ही किसी भी तरह की बीमारी के लक्षण नजर आने पर प्रशिक्षित चिकित्सक के पास ही जाएं, इससे समय पर, उचित उपचार किया जा सकता है।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3qsFQQh
https://bit.ly/37rcavi
https://bit.ly/2NBrtuo
https://bit.ly/3bcGcEg
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में चिकित्सा उपकरण को दिखाया गया है। (पिक्साबे)
दूसरी तस्वीर में कोरोनावायरस SARS-CoV-2 दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
तीसरी तस्वीर में मेडिकल टीम को एक साथ काम करते हुए दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
अंतिम तस्वीर कोरोना रोगियों के लिए विशेष अस्पताल को दर्शाती है। (विकिमीडिया)