हमारे बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक देश में शैक्षिक जगत से विलुप्‍त होता भाषा अध्‍ययन के प्रति रूझान

ध्वनि II - भाषाएँ
17-05-2022 02:06 AM
हमारे बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक देश में शैक्षिक जगत से विलुप्‍त होता भाषा अध्‍ययन के प्रति रूझान

भारत में अधिकांश अंग्रेजी माध्यम के छात्र फ्रेंच (French) या जर्मन (German) जैसी भाषाओं को अपनी तीसरी वैकल्पिक भाषा के रूप में चुनते हैं। वे भारतीय भाषाओं सहित भाषा के पेपर को बड़ी निपुणता से पास कर लेते हैं। लेकिन कुछ ही फ्रेंच, जर्मन या संस्कृत भाषा के साथ अपना अध्‍ययन जारी रखते हैं, बल्‍कि वे इन भाषाओं का उपयोग केवल "स्कोरिंग विषयों" के रूप में अपने अंकों की संख्या बढ़ाने के लिए करते हैं, न कि वे इन्हें करियर विकल्पों के रूप में आगे बढ़ाने के लिए, भाषा के प्रति लगाव तो बहुत दूर की बात है! यहां तक ​​कि हिंदी का उपयोग न केवल गैर-हिंदी भाषी राज्यों में बल्कि उत्‍तर भारत के अधिकांश राज्‍यों में भी किया जाता है, यहां प्रमुख दैनिक भाषा हिंदी ही है।
दक्षिणी राज्यों में, विशेष रूप से तमिलनाडु में, हिंदी का विरोध किया जाता है।लोगों के इसी रवैये के कारण, संस्कृत की कार्यात्मक और बोलचाल की उपयोगिता दशकों पहले समाप्त हो गई, हालाँकि भारत में अभी भी ऐसे विद्वान हैं जो संस्कृत को भली भांति जानते हैं।
बड़े- बड़े कॉलेजों में शायद ही कोई उर्दू विभाग या उर्दू विषय पढ़ाया जाता हो। छोटे कॉलेजों ने भी उर्दू को खत्म कर दिया है। उर्दू को अपमानजनक रूप से 'उल्टी' भाषा कहा जा रहा है क्योंकि यह दाएँ से बाएँ ओर लिखी जाती है। ऐसी निराशाजनक परिस्थितियों में, भाषाओं का अध्ययन अप्रासंगिक और कालानुक्रमिक हो जाता है।एक समय में फारसी भारत में कुलीन परिवारों की भाषा हुआ करती थी जो आज विलुप्‍त हो चुकि है।अमीर खुसरो जैसे कवियों ने, जो कभी ईरान (Iran) नहीं गए, इस भाषा में लिखा। फ़ारसी इतनी सुरीली भाषा है कि भले ही आप इसे स्‍पष्‍ट न समझें, लेकिन भाषा की ध्वन्यात्मकता आपको एक अलग दायरे में ले जा सकती है।हालांकि भारत में अभी भी कुछ विश्वविद्यालय हैं जो फारसी में मास्टर डिग्री (master's degree) प्रदान करते हैं, फ़ारसी भाषा और साहित्य के भारतीय छात्र एक पूरा पृष्ठ सही फ़ारसी में नहीं लिख सकते हैं, और न ही वे इसे आत्मविश्वास से बोल सकते हैं। और शायद इन विश्वविद्यालयों में एक भी गैर-मुस्लिम फारसी नहीं पढ़ रहा है। लेकिन क्या वे कम से कम सही उर्दू लिख सकते हैं? एक ऐसे देश में जहां उर्दू को बढ़ावा नहीं दिया जाता है क्योंकि इसे गलत तरीके से एक विशेष समुदाय से संबंधित माना जाता है। भाषाविज्ञान भाषा के वैज्ञानिक अध्ययन को संदर्भित करता है। 'भाषाविज्ञान' (linguistics) शब्द लैटिन शब्द 'लिंगुआ' (lingua) से बना है जिसका अर्थ है 'जीभ' और 'इस्टिक्स' (istics) का अर्थ 'ज्ञान' है। कैम्ब्रिज डिक्शनरी (cambridge dictionary) के अनुसार, भाषाविज्ञान 'सामान्य या विशेष भाषाओं में भाषा की संरचना और विकास के वैज्ञानिक अध्ययन' को संदर्भित करता है। भाषा विज्ञान के अध्ययन का उद्देश्य भाषा की प्रकृति का अध्ययन करना और भाषा के सिद्धांत की स्थापना करना है. भाषाविज्ञान में एक औपचारिक अध्ययन हमें विभिन्न कोणों के माध्यम से मानव भाषा का मूल्यांकन और विश्लेषण करने में मदद करता है।
उद्योग और चिकित्सा क्षेत्र में विशिष्ट अवसरों की तलाश करने वाले छात्रों के लिए भाषाविज्ञान में शोध करने के लिए बहुत कुछ है। भाषा विज्ञान में एक अच्छा प्रशिक्षण एक छात्र को विविध क्षेत्रों में अज्ञात तथ्‍यों (विभिन्‍न भाषाओं , मानव भाषा की संरचना की पहेलियों को सुलझाना, और अत्याधुनिक तकनीक में प्रवेश करना) की खोज कर उनका दस्तावेजीकरण करने का अच्‍छा अवसर देता है जो कि उनके करियर के लिए एक अच्‍छा विकल्‍प हो सकता है।
विभिन्न उद्योगों में भाषाविदों की मांग आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता, संचार विज्ञान और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण और समझ, सूचना विज्ञान और अन्य उच्च-प्रौद्योगिकी गतिविधियों में कंप्यूटर अनुप्रयोगों के विकास के बाद बढ़ रही है। भारत में लगभग पांच भाषा परिवार हैं जिनमें 200 से भी अधिक भाषाएं बोली जाती हैं। ऐसे बहुभाषी, बहुसांस्कृतिक देश भाषा संरचना और भाषा उपयोग के सिद्धांतों और मॉडलों के परीक्षण के लिए एक समृद्ध परीक्षण क्षेत्र प्रदान करता है।भाषा संकट और लुप्तप्राय/कम-ज्ञात/जनजातीय भाषाओं और बोलियों के दस्तावेज़ीकरण की तात्कालिकता ने प्रशासकों और भाषाविदों दोनों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। खनन, बांधों के निर्माण आदि जैसी विकासात्मक गतिविधियों के प्रभाव और परिणामी विस्थापन ने विशेष रूप से आदिवासी समुदायों के बीच भाषाविज्ञान के प्रति मोह जागृत किया है। भाषा परिवर्तन की इन प्रक्रियाओं का दस्तावेजीकरण किया जा रहा है।
इसके अलावा, भाषाविज्ञान में अनुसंधान अधिक प्रायांगिक होता जा रहा है। इसने समाजशास्त्र, नृविज्ञान, मनोविज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान, संज्ञानात्मक विज्ञान, आनुवंशिकी, साहित्य आदि जैसे संबद्ध विषयों के साथ उपयोगी इंटरफेस (interface) विकसित किए हैं। इस प्रकार, क्रॉस-डिसिप्लिनरी रिसर्च (cross- disciplinary research) की व्यापक गुंजाइश है।
भाषा से संबंधित क्षेत्रों में करियर में समृद्ध संभावनाएं हैं, लेकिन भारत में इसकी खोज नहीं की गई है। इस क्षेत्र को नए दृष्टिकोण के साथ युवा दिमाग की जरूरत है। यह शिक्षा और उद्योग में विविध अवसर प्रदान करता है। छात्रों को न केवल भाषाओं में पृष्ठभूमि वाले बल्कि मानव विज्ञान, इतिहास, जीव विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग जैसे अन्य विषयों के छात्रों को भी इसमें करियर के रोमांचक अवसर मिलेंगे।

संदर्भ:
https://bit.ly/3LbYsNU
https://bit.ly/3w8Wc63
https://bit.ly/3wq8ANI

चित्र संदर्भ
1  पेरिस में मोंटमार्ट्रे पर प्यार की दीवार: सुलेखक फेडरिक बैरन और कलाकार क्लेयर किटो (2000) द्वारा 250 भाषाओं में "आई लव यू"को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. विश्व क्षेत्रीय भाषाओं के नक़्शे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. राज्य और केंद्र शासित प्रदेश द्वारा भारत का राजभाषा मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)