मेरठ जानिए प्रकृति के रंगों का विज्ञान, क्यों खिलते हैं फूल इतने रंगीन?

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20-09-2025 09:20 AM
मेरठ जानिए प्रकृति के रंगों का विज्ञान, क्यों खिलते हैं फूल इतने रंगीन?

जब हम में से ज़्यादातर लोग सुबह मेरठ की गलियों, बाग-बगीचों या मंदिरों के पास से गुजरते हैं, तो एक खास बात अक्सर अनकही रह जाती है - फूलों की वह रंग-बिरंगी दुनिया, जो न केवल आँखों को सुकून देती है, बल्कि मन को भी भीतर से ताज़गी और आनंद से भर देती है। गुलाब की लालिमा, गेंदा की सुनहरी चमक, सूरजमुखी की आभा या किसी मौसमी फूल की नर्म मुस्कान - ये सभी रंग जैसे जीवन को एक नई ऊर्जा से भर देते हैं। मेरठ जैसे शहर, जहाँ हर मोहल्ले में कोई न कोई बगिया महकती है, जहाँ धार्मिक स्थलों के आंगन फूलों की सजावट से जीवंत हो जाते हैं - वहाँ इन फूलों का महत्व सिर्फ सजावटी नहीं, बल्कि भावनात्मक भी हो जाता है। लेकिन क्या आपने कभी रुककर यह सोचा है कि इन फूलों को उनका यह अद्भुत रंग आखिर मिलता कैसे है? क्या ये रंग केवल देखने के लिए होते हैं, या इनके पीछे प्रकृति की कोई सूक्ष्म और गहरी योजना भी है? क्या मधुमक्खियों, तितलियों और परागणकर्ताओं के लिए इन रंगों का कोई विशेष संदेश छुपा होता है? दरअसल, फूलों के रंग केवल आकर्षण का माध्यम नहीं हैं, बल्कि वे प्रकृति द्वारा रची गई एक सुव्यवस्थित वैज्ञानिक भाषा का हिस्सा हैं, जिसमें प्रकाश, वर्णक और जीवन की आवश्यकता की जटिलता एक साथ काम करती है। 
इस लेख में हम इसी अद्भुत रहस्य को समझने का प्रयास करेंगे। सबसे पहले हम जानेंगे कि फूलों के रंग वास्तव में कैसे बनते हैं - इसमें वर्णकों और प्रकाश की भूमिका किस तरह से होती है और हमारी आँखों को वह रंग क्यों दिखाई देता है। इसके बाद हम प्रमुख पुष्प वर्णकों जैसे फ्लेवोनॉइड्स (flavonoids), कैरोटेनॉयड्स (carotenoids) और टैनिन (tannins) की चर्चा करेंगे, जो अलग-अलग रंगों के लिए ज़िम्मेदार होते हैं। इसके बाद हम यह देखेंगे कि फूलों के रंग केवल सुंदरता नहीं, बल्कि परागणकर्ताओं को आकर्षित करने की प्रकृति की एक रणनीति भी हैं, जिससे पौधे अपनी प्रजाति को आगे बढ़ाते हैं। इसके साथ ही हम पुष्प वर्णकों के वैज्ञानिक और व्यावसायिक अनुप्रयोगों को समझेंगे - जैसे कि उनका उपयोग औषधियों, सौंदर्य प्रसाधनों और खाद्य उद्योग में कैसे होता है। अंत में, हम दुनिया के कुछ बेहद रंगीन और अद्भुत फूलों के उदाहरणोंके ज़रिए जानेंगे कि रंगों की इस विविधता का प्राकृतिक सौंदर्य और जैविक महत्व कितना गहरा है।

फूलों के रंग कैसे बनते हैं: वर्णक और प्रकाश की भूमिका
क्या आपने कभी मेरठ के बाग-बगीचों में खिले गुलाब, गेंदा या बेला को देखकर सोचा है कि इन फूलों को उनके चमकदार रंग कैसे मिलते हैं? असल में यह कोई जादू नहीं बल्कि विज्ञान की अद्भुत प्रक्रिया है। फूलों की पंखुड़ियों में मौजूद वर्णक अणु (pigments) प्रकाश की कुछ विशिष्ट तरंगदैर्ध्यों को अवशोषित करते हैं और बाकी को परावर्तित करते हैं। जो तरंगें परावर्तित होती हैं, उन्हें हम रंग के रूप में देखते हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई फूल लाल दिख रहा है, तो इसका मतलब है कि वह लाल तरंगदैर्ध्य को परावर्तित कर रहा है और बाकी को सोख ले रहा है। कुछ फूलों में केवल एक प्रकार का वर्णक होता है, जिससे वे एकल रंग में खिलते हैं, जबकि कुछ फूलों में कई वर्णकों के सम्मिलन से मिश्रित रंग दिखाई देते हैं। मेरठ की सुबह की धूप में जब फूल चटख रंगों के साथ खिले होते हैं और शाम ढलते-ढलते उनका रंग मद्धम पड़ जाता है, तो उसके पीछे प्रकाश की तीव्रता और वर्णकों की सक्रियता का ही विज्ञान छिपा होता है। फूलों की बनावट जितनी जटिल होती है, उतनी ही जटिल होती है उसकी रंगों की दुनिया।

प्रमुख पुष्प वर्णक: फ्लेवोनॉइड्स, कैरोटेनॉयड्स और टैनिन
फूलों में रंग भरने का मुख्य श्रेय जिन वर्णकों को जाता है, उनमें सबसे महत्वपूर्ण हैं - फ्लेवोनॉइड्स, कैरोटेनॉयड्स और टैनिन। फ्लेवोनॉइड्स के अंतर्गत दो प्रमुख वर्णक आते हैं: एंथोसायनिन (Anthocyanin) और एंथोक्सैन्थिन (Anthoxanthin)। एंथोसायनिन फूलों में लाल, नीला और बैंगनी रंग लाता है, जैसे कि मेरठ के किसी मंदिर परिसर में खिला गहरा लाल गुलाब। वहीं एंथोक्सैन्थिन से पीले और सफ़ेद रंग के फूल, जैसे गेंदा और डैफ़ोडिल्स (Daffodils), रंग प्राप्त करते हैं। दूसरा प्रमुख वर्णक परिवार है कैरोटेनॉयड्स, जो सूरजमुखी या कैलिफ़ोर्निया पॉप्पी (California Poppy) जैसे फूलों में चमकीला पीला और नारंगी रंग पैदा करता है। यह वर्णक न केवल रंग देता है, बल्कि प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में सहायक होकर पौधे की कोशिकाओं को सूरज की क्षति से भी बचाता है। टैनिन (Tannin), एक और वर्णक समूह, भूरे और गहरे रंग के लिए ज़िम्मेदार होता है और विशेष रूप से कम चर्चित लेकिन अद्भुत फूलों में दिखाई देता है। कुछ विशिष्ट पौधों में बेटुलिन (Betulin) और क्लोरोफिल (chlorophyll) जैसे वर्णक भी मौजूद होते हैं, जो उनके रंग और जीवन क्रियाओं दोनों को प्रभावित करते हैं। इन वर्णकों के सामूहिक कार्य से ही हमें प्रकृति की यह रंग-बिरंगी सौगात मिलती है।

फूलों के रंग और परागण का संबंध: प्रकृति की अद्भुत रणनीति
फूलों की रंग-बिरंगी दुनिया का केवल एक ही उद्देश्य नहीं होता कि वे देखने में सुंदर लगें; उनका सबसे बड़ा उद्देश्य परागणकर्ताओं को आकर्षित करना होता है। फूलों के ये चमकीले रंग कीटों, पक्षियों और अन्य जीवों के लिए संकेत की तरह काम करते हैं कि यहाँ अमृत और पराग उपलब्ध है। जैसे मेरठ की सरसों की खेती में मधुमक्खियाँ पीले फूलों की ओर खिंची चली आती हैं, वैसे ही तितलियाँ और हमिंगबर्ड्स (Hummingbirds) भी कुछ खास रंगों की ओर आकर्षित होते हैं। पराबैंगनी रंग, जो इंसानी आँखों से नहीं दिखते, मधुमक्खियाँ उसे देख सकती हैं और फूल के भीतर छिपे अमृत की दिशा जान जाती हैं। रात को खिलने वाले हल्के रंग के फूल जैसे चमेली या ब्रह्मकमल चमगादड़ों जैसे रात्रिचर परागणकर्ताओं के लिए बने होते हैं। यह संबंध केवल आकर्षण का नहीं, बल्कि प्रजातियों के अस्तित्व और विकास की कुशल जैविक रणनीति का हिस्सा है। रंगों के माध्यम से फूल न केवल अपने आप को बचाए रखते हैं, बल्कि पूरी पारिस्थितिकी तंत्र को जीवन शक्ति प्रदान करते हैं।

पुष्प वर्णकों के वैज्ञानिक और व्यावसायिक अनुप्रयोग
आज के समय में फूलों के रंग केवल प्राकृतिक सौंदर्य तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका उपयोग विज्ञान और व्यवसाय दोनों क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है। आनुवंशिक विज्ञान ने यह संभव बना दिया है कि हम प्राकृतिक वर्णकों के जीन में परिवर्तन करके नई किस्म के रंगीन फूल तैयार कर सकें, जो बाज़ार में विशेष आकर्षण बनें। मेरठ जैसे शहर, जहाँ बागवानी की परंपरा धीरे-धीरे फिर से उभर रही है, वहां पुष्प वर्णकों पर आधारित उत्पाद और खेती स्थानीय उद्यमियों के लिए नए अवसर खोल सकती है। सौंदर्य प्रसाधनों में फ्लावोनॉइड्स का उपयोग त्वचा की सुरक्षा और रंगत सुधारने में किया जा रहा है, वहीं खाद्य उद्योग में प्राकृतिक कैरोटेनॉयड्स को रंगों के सुरक्षित विकल्प के रूप में अपनाया जा रहा है। दवाओं में भी कुछ पुष्प वर्णक एंटीऑक्सीडेंट (antioxidants) और सूजन-निवारक गुणों के कारण उपयोग में लाए जा रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि फूलों के रंग न केवल आंखों को सुख देते हैं, बल्कि आर्थिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण होते जा रहे हैं।

दुनिया के कुछ अद्भुत रंगीन फूल और उनके प्राकृतिक गुण
विश्वभर में अनेक फूल ऐसे हैं जो केवल अपने सुंदर रंगों के लिए नहीं, बल्कि अपनी अनूठी बनावट और सांस्कृतिक प्रतीकात्मकता के लिए भी प्रसिद्ध हैं। जापान का व्हाइट एगरेट ऑर्किड (White Egret Orchid), अपनी सफेद पंखुड़ियों और उड़ते पक्षी जैसी आकृति से हर दर्शक को मंत्रमुग्ध कर देता है। भारत का सेक्रेड लोटस (Sacred Lotus) कीचड़ में खिलता है, फिर भी पूर्ण सौंदर्य और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है, यह संघर्ष और आत्मशुद्धि का प्रतीक है। पॉम्पॉन डहलिया (Pompon Dahlia) अपने गोल और घने रूप में, जैसे-जैसे मौसम बदलता है, बाग़ को जीवंत कर देता है। फ्यूशिया (Fuchsia), अपने गहरे गुलाबी और बैंगनी रंगों से, बाल्कन क्षेत्रों से लेकर भारत के पर्वतीय हिस्सों तक, सौंदर्य और सजावट का लोकप्रिय माध्यम बन गया है। सैफ़्रन क्रोकस (Saffron Crocus) न केवल अपने खूबसूरत फूल के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके केसर वर्तिकाग्र से प्राप्त मसाले के लिए भी बहुमूल्य है। इन फूलों की विविधता इस बात का प्रमाण है कि प्रकृति हर रंग, आकार और सुगंध के माध्यम से जीवन की जटिलता और सौंदर्य को दर्शाती है।

संदर्भ- 
https://shorturl.at/OPCe5 

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