विश्व अस्थमा दिवस पर जानें, फेफड़ों की देखभाल और टी बी से बचाव के उपाय!

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
06-05-2025 09:28 AM
विश्व अस्थमा दिवस पर जानें, फेफड़ों की देखभाल और टी बी से बचाव के उपाय!

रामपुर के नागरिकों, तपेदिक/टी बी (Tuberclosis) एक गंभीर लेकिन इलाज़ योग्य  बीमारी है,| यह एक संक्रामक रोग है , जो  एक विशेष प्रकार के बैक्टीरिया से होती है| यह आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है। टी बी के लक्षणों में लगातार खांसी, सीने में दर्द, बुखार, रात को पसीना आना और वज़न घटना शामिल हैं। यह हवा के जरिए संक्रमित व्यक्ति के  खांसने या छींकने से फैल सकता है।

अगर टी बी का समय पर पता चल जाए, तो इसे दवाओं से ठीक किया जा सकता है। सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं के तहत मुफ़्त इलाज और एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं, जिनका पूरा कोर्स करना बहुत ज़रूरी होता है। साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखना, पौष्टिक भोजन खाना और पूरी दवा लेना इस बीमारी को फैलने से रोकने में मदद करता है।

आज हम जानेंगे कि टी बी क्या होती है। फिर इसके सामान्य लक्षणों के बारे में समझेंगे, ताकि इसका समय पर इलाज हो सके। इसके बाद भारत में टी बी की स्थिति पर नज़र डालेंगे और अंत में इसके इलाज के बारे में बात करेंगे।

टी बी क्या होती है?

जब टी बी के बैक्टीरिया आपके फेफड़ों में पहुंच जाते हैं, तो यह संक्रमण फैलाकर टी बी बीमारी का कारण बनते हैं। यह बीमारी आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन यह रीढ़, दिमाग और किडनी जैसे शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती है।

हर कोई जो टी बी के बैक्टीरिया से संक्रमित होता है, बीमार नहीं पड़ता। अगर किसी को टी बी का संक्रमण है लेकिन कोई लक्षण नहीं हैं, तो इसे “निष्क्रिय टी बी” या “सुप्त टी बी” कहा जाता है। इसका मतलब है कि टी बी के बैक्टीरिया शरीर में होते हैं लेकिन सक्रिय नहीं होते। अमेरिका में करीब 1.3 करोड़ लोग सुप्त टी बी से सक्रमित है। कुछ लोग जीवनभर सुप्त टी बी के साथ रह सकते हैं, बिना कोई लक्षण महसूस किए।

अग्रिम द्विपक्षीय फुफ्फुसीय तपेदिक से पीड़ित एक रोगी का अग्र-पश्च एक्स-रे | चित्र स्रोत : Wikimedia 

लेकिन अगर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune system) कमज़ोर हो जाए, तो टी बी सक्रिय हो सकती है। जब प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर होती है, तो यह बैक्टीरिया को बढ़ने से रोक नहीं होती, जिससे बीमारी फैलने लगती है।

टी बी के सामान्य लक्षण

टी बी के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह शरीर के किस हिस्से को प्रभावित कर रही है। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण किसी भी प्रकार की टी बी में दिखाई दे सकते हैं:

  • बुखार
  • रात में पसीना आना
  • वज़न कम होना
  • भूख न लगना
  • कमज़ोरी महसूस होना या थकावट

फेफड़ों से जुड़ी पल्मोनरी टी बी (Pulmonary TB) के लक्षण

टी बी सबसे ज़्यादा फेफड़ों को प्रभावित करती है, जिसे पल्मोनरी टी बी कहा जाता है। टी बी के अधिकतर मामले इसी प्रकार के होते हैं। इसके लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:

  • लगातार खांसी रहना (तीन हफ़्ते या उससे ज़्यादा)
  • खांसी में खून आना
  • सीने में दर्द महसूस होना
  • सांस लेने में दिक्कत

भारत में टी बी की स्थिति – 2024 रिपोर्ट के अनुसार

 

हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने भारत टी बी रिपोर्ट 2024 जारी की। इस रिपोर्ट के अनुसार, टी बी से होने वाली मृत्यु दर 2015 में 28 प्रति लाख थी, जो 2022 में घटकर 23 प्रति लाख रह गई है।

मिलियरी ट्यूबरकुलोसिस से पीड़ित रोगी की प्लीहा में ग्रैनुलोमा (ट्यूबरकल्स) दिखाई दे रहा है | चित्र स्रोत : Wikimedia 

रिपोर्ट की प्रमुख बातें

टी बी के मामलों और मौतों की स्थिति

भारत में टी बी एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है, लेकिन सरकार इसके उन्मूलन के लिए लगातार प्रयास कर रही है। हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने “भारत टी बी रिपोर्ट 2024” जारी की, जिसमें बताया गया कि टी बी से होने वाली मौतों में कमी आई है। 2015 में हर 10 लाख लोगों में 28 लोग टी बी से प्रभावित होकर अपनी जान गंवा रहे थे, जबकि 2022 में यह संख्या घटकर 23 प्रति 10 लाख हो गई। 2021 में भारत में 4.94 लाख लोगों की मौत टी बी से हुई थी, लेकिन 2022 में यह घटकर 3.31 लाख रह गई, जो एक सकारात्मक संकेत है।

टी बी के मामलों में भी बदलाव देखा गया है। 2023 में भारत में 27.8 लाख नए मामले दर्ज किए गए, जो 2022 के 27.4 लाख मामलों से थोड़ा अधिक थे। 2023 में 25.5 लाख मामलों की पुष्टि हुई, जिनमें से 8.4 लाख यानी 33% मामले निजी अस्पतालों और डॉक्टरों द्वारा रिपोर्ट किए गए। 2015 में केवल 1.9 लाख मामले निजी क्षेत्र से रिपोर्ट हुए थे, लेकिन अब इसमें बढ़ोतरी हुई है।

इलाज के मामले में भी भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है। 2023 में सरकार ने 95% टी बी रोगियों का इलाज शुरू करने का लक्ष्य पूरा कर लिया। सरकारी अस्पतालों में टी बी का इलाज और दवाइयाँ मुफ़्त दी जा रही हैं। मरीजों को पोषण सहायता योजना के तहत आर्थिक मदद भी दी जा रही है, ताकि वे उचित आहार ले सकें और जल्दी ठीक हो सकें।

भारत सरकार टी बी को खत्म करने के लिए कई कदम उठा रही है। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत 2025 तक टी बी को पूरी तरह मिटाने का लक्ष्य रखा गया है। निजी डॉक्टरों और अस्पतालों को भी जागरूक किया जा रहा है, ताकि वे टी बी के मरीजों की सही रिपोर्टिंग करें और उन्हें उचित इलाज मिले। सरकारी सेवाओं के ज़रिए टी बी की मुफ़्त जाँच और इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जागरूकता बढ़ाने के लिए कई अभियान भी चलाए जा रहे हैं, ताकि लोग समय पर अपनी जाँच करा सकें और इस बीमारी से बचाव कर सकें।

टी बी के ख़िलाफ़ चलाए जा रहे इन प्रयासों से इसके मामलों और मौतों में कमी आई है, लेकिन संक्रमण अभी भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। अगर किसी को लगातार खाँसी, बुखार, रात में पसीना आना या वज़न कम होने जैसी समस्याएँ हों, तो उसे तुरंत डॉक्टर से जाँच करानी चाहिए। सही समय पर इलाज मिलने से यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है और इसके फैलने से भी रोका जा सकता है।

माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया, टीबी का कारण | चित्र स्रोत : Wikimedia

टी बी का इलाज –

सक्रिय टी बी (Active TB) का इलाज आमतौर पर चार, छह या नौ महीने तक किया जाता है। टी बी विशेषज्ञ यह तय करते हैं कि मरीज़ के लिए कौन-सी दवाइयाँ सबसे उपयुक्त होंगी। यह बहुत ज़रूरी है कि मरीज़ हर खुराक सही समय पर ले और पूरा कोर्स पूरा करे। इससे शरीर में मौजूद बैक्टीरिया पूरी तरह खत्म हो जाते हैं और दवाइयों के प्रति प्रतिरोधी (Drug-Resistant) नए बैक्टीरिया बनने से रोका जा सकता है।

स्वास्थ्य विभाग कई बार डायरेक्टली ऑब्ज़र्व्ड थेरेपी (Directly Observed Therapy) नामक कार्यक्रम का उपयोग करता है। इस पद्धति में एक स्वास्थ्यकर्मी मरीज़ के घर जाकर उसे दवाइयाँ लेने के लिए प्रेरित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि मरीज़ सही तरीके से दवा ले रहा है।

मंटौक्स ट्यूबरकुलिन त्वचा परीक्षण  | चित्र स्रोत : Wikimedia

टी बी के इलाज में उपयोग होने वाली आम दवाइयाँ –

यदि मरीज़ को लेटेंट टी बी (Latent TB) है, तो उसे एक या दो प्रकार की दवाइयाँ लेने की ज़रूरत पड़ सकती है। लेकिन सक्रिय टी बी के इलाज के लिए कई दवाइयों का सेवन करना ज़रूरी होता है। टी बी के इलाज में आमतौर पर उपयोग होने वाली दवाइयाँ इस प्रकार हैं –

  • आइसोनियाज़िड (Isoniazid)
  • रिफैम्पिन (Rifampin - Rimactane)
  • रिफाब्यूटिन (Rifabutin - Mycobutin)
  • रिफापेंटाइन (Rifapentine - Priftin)
  • पाइराज़िनामाइड (Pyrazinamide)
  • एथैम्बूटोल (Ethambutol - Myambutol)

अगर मरीज़ को ड्रग-रेसिस्टेंट टी बी (Drug-Resistant TB) या किसी अन्य जटिलता से ग्रस्त टी बी है, तो डॉक्टर अन्य दवाइयाँ भी लिख सकते हैं।

संदर्भ

https://tinyurl.com/5jmz7zye 

https://tinyurl.com/ymwzheet 

https://tinyurl.com/2tkfb4kr 

https://tinyurl.com/bddrczae


मुख्य चित्र में तपेदिक रोगी का स्रोत : Wikimedia  

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