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रामपुरवासियो, सावन-भादों की हल्की-हल्की बरसात जब हमारे शहर की गलियों में बहती है और खेतों को जीवनदायिनी नमी से भर देती है, तो लगता है मानो धरती ने फिर से नया श्रृंगार कर लिया हो। हर तरफ़ बिखरी हरियाली हमारे मन को सुकून देती है - चाहे वो रामपुर के पुराने बाग़-बग़ीचों की हरकत हो, घरों के आँगनों में खड़े पौधों की ताज़गी हो, या खेत-खलिहानों में लहलहाती फसलें हों। पर अगर हम इन पौधों की पत्तियों को गहराई से देखें तो एक अद्भुत दृश्य सामने आता है - हर पत्ती का रंग और पैटर्न (pattern) एक-दूसरे से अलग नज़र आता है। कुछ पत्तियाँ गहरे हरे रंग में दमकती हैं, तो कुछ हल्की हरी छटा लिए होती हैं। कई पत्तियों पर सफेद, पीले या यहाँ तक कि चाँदी जैसे पैटर्न उभर आते हैं, मानो प्रकृति ने उन पर अपनी तूलिका से नाज़ुक कढ़ाई की हो। यह विविधता देखने में जितनी मोहक लगती है, उतनी ही रहस्यमयी भी है, क्योंकि हर पत्ती अपने भीतर विज्ञान और सौंदर्य की एक अनूठी कहानी छिपाए रहती है। रामपुर की सांस्कृतिक धरोहर की तरह ही ये पत्तियाँ भी हमें यह एहसास कराती हैं कि विविधता ही जीवन की सबसे बड़ी खूबसूरती है, चाहे वह इंसानों में हो या फिर पौधों में।
इस लेख में हम सबसे पहले जानेंगे कि पत्तियों की विविधता हमें प्रकृति की खूबसूरती कैसे दिखाती है। फिर देखेंगे कि उत्परिवर्तन और क्लोरोफ़िल (Chlorophyll) का आपसी संबंध उनके रंग बदलने में क्या भूमिका निभाता है। इसके बाद विविधता के प्रमुख प्रकार और इसके वैज्ञानिक कारणों पर चर्चा करेंगे। अंत में रंगीन पत्तियों की देखभाल व सूर्यप्रकाश की ज़रूरत पर बात करेंगे।
पत्तियों के रंग और पैटर्न की विविधता
वर्षा ऋतु का आगमन पूरे भारत में हरियाली का उत्सव लेकर आता है। जब बादलों की गड़गड़ाहट और आसमान से गिरती फुहारें खेत-खलिहानों, गलियों और घरों के आँगनों को भिगो देती हैं, तो चारों ओर हरियाली छा जाती है। यह दृश्य मानो धरती के नये श्रृंगार का प्रतीक हो। लेकिन यदि हम इस हरियाली को और ध्यान से देखें, तो पत्तियों के रंग और पैटर्न की अद्भुत विविधता सामने आती है। कहीं पत्तियाँ गहरे हरे रंग में दमकती हैं, कहीं हल्की हरी झलक बिखेरती हैं, और कई बार सफेद, पीले या चाँदी जैसे सुंदर पैटर्न भी दिखाई देते हैं। यह विविधता केवल देखने भर की खूबसूरती नहीं, बल्कि प्रकृति की कलात्मकता और उसकी गहराई का प्रमाण है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर पत्तियाँ एक जैसी होते हुए भी इतनी अलग क्यों दिखाई देती हैं।
उत्परिवर्तन और क्लोरोफ़िल का संबंध
पत्तियों का हरा रंग क्लोरोफ़िल नामक रंगद्रव्य के कारण होता है। यही क्लोरोफ़िल प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में सूर्य की ऊर्जा को पकड़कर पौधे के लिए भोजन तैयार करता है। लेकिन जब पौधों की कोशिकाओं में उत्परिवर्तन (mutation) होता है, तो कुछ कोशिकाएँ क्लोरोफ़िल बनाने की क्षमता खो बैठती हैं। ऐसे में पत्तियों के कुछ हिस्से हरे रहने की बजाय सफेद, पीले या हल्के भूरे रंग में बदल जाते हैं। यही कारण है कि हमें पत्तियों पर अक्सर आकर्षक पैटर्न दिखाई देते हैं। घरों में सजावट के लिए लगाए जाने वाले पौधे जैसे मनी प्लांट (Money Plant), कोलियस (Coleus) और कालाडियम (Caladium) इस विविधता के अच्छे उदाहरण हैं। इनकी पत्तियों पर बने रंगीन पैटर्न देखने वाले के मन को तुरंत मोह लेते हैं और घर-आँगन में जीवन्तता भर देते हैं।
विविधता के प्रमुख प्रकार
पत्तियों में पाई जाने वाली यह विविधता कई प्रकार की हो सकती है, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रकार इस प्रकार हैं:
विविधता के वैज्ञानिक कारण
गहराई से देखने पर पत्तियों की इस विविधता के कई वैज्ञानिक कारण सामने आते हैं:
रंगीन पत्तियों की देखभाल और सूर्यप्रकाश की आवश्यकता
रंगीन पत्तों वाले पौधों की देखभाल साधारण हरे पौधों से थोड़ी भिन्न होती है। चूँकि इनके रंगीन हिस्सों में क्लोरोफ़िल की मात्रा कम होती है, इसलिए इन्हें अधिक सूर्यप्रकाश की आवश्यकता होती है। लेकिन यह भी ध्यान रखना ज़रूरी है कि सीधे तीव्र धूप इन पत्तियों को नुकसान पहुँचा सकती है - उनके रंग फीके पड़ सकते हैं या सतह झुलस सकती है। इसीलिए इन्हें ऐसी जगह रखना चाहिए जहाँ हल्की, अप्रत्यक्ष या छनकर आने वाली धूप मिले। इसके अतिरिक्त, इन पौधों को नियमित पानी, संतुलित खाद और समय-समय पर छँटाई की भी ज़रूरत होती है। सही देखभाल करने पर न केवल पौधे स्वस्थ रहते हैं बल्कि उनकी पत्तियों की सुंदरता और रंगों की चमक लंबे समय तक बनी रहती है। ऐसे पौधे घर, कार्यालय और बगीचों की शोभा को कई गुना बढ़ा देते हैं और वातावरण में ताजगी भरते हैं।
संदर्भ-
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