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1. अधातोडा वेसिका नीस (Adhatoda vesica Nees): इसे अरुसा के नाम से भी जाना जाता है, यह एकेंथेसी (Acanthaceae) परिवार से संबंधित है। इसकी पत्तियों का उपयोग सांस संबंधी बिमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।
2. अचिरांथेस एस्परु (Achyranthes asperu): इसे अक्सर चिरचिरी या लटजीरा कहा जाता है | यह अमरंथेसी (Amaranthaceae) परिवार का सदस्य है | इस पौधे की जड़ का पेस्ट, बिच्छू और अन्य ज़हरीले जीवों के काटने पर बाहरी रूप से उपयोग किया जाता है।
3.) एगल मार्मेलोस (Aegle marmelos): इसे बेल के नाम से भी जाना जाता है, यह रूटेसी (Rutaceaee) परिवार से संबंधित है, और इसके फलों का उपयोग अक्सर दस्त रोग के इलाज में किया जाता है।
4.) अमान्थस स्पिनोसस (Amannthus spinosus): इसे कोटेली चौलाई के नाम से भी जाना जाता है | यह पौधा भी अमरंथेसी (Amaranthaceae) परिवार से संबंधित है। इस पौधे की जड़ों का काढ़ा गोनोरिया को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है।
5.) अकेशिया निलोटिका (Acacia nilotica): इसे आम तौर पर बबूल के नाम से जाना जाता है | यह मिमोसेसी (Mimosaceae) परिवार से संबंधित है | इस पौधे के कई औषधीय उपयोग हैं। इसकी छाल, गोंद, पत्ते, फूल और फल फुफ्फुसीय और ब्रोन्कियल (bronchial) रोगों जैसे दस्त, बवासीर आदि के उपचार में अत्यंत उपयोगी हैं।
1.) तुलसी: तुलसी, भारत में लगभग हर घर में पाई जाने वाली 10 सबसे आम औषधीय जड़ी-बूटियों में से एक है। प्राचीन काल से, तुलसी का उपयोग उच्च कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप, खांसी, सिरदर्द, अस्थमा, अपच, साइनसाइटिस (Sinusitis), अल्सर, ऐंठन, गैस्ट्रिक (Gastric) आदि जैसी बीमारियों को ठीक करने के लिए एक औषधीय पौधे के रूप में किया जाता रहा है। तुलसी मधुमेह और गठिया के इलाज के लिए भी एक सहायक उपचार एजेंट है।
2.) अजवाइन का पौधा: दिखने में मनी प्लांट (Money Plant) जैसा, अजवाइन का पौधा गुच्छों में बढ़ता है और इसकी पत्तियाँ सुंदर रूप से उभरी हुई होती हैं जिन्हें रोज़ाना काटने की ज़रूरत होती है। ये औषधीय पौधे, अगर उपयुक्त परिस्थितियों में लगाए जाएँ और सीधी धूप सहन कर लें तो तेज़ी से बढ़ते हैं। अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) और एंटी-बैक्टीरियल (Anti-Bacterial) गुणों के कारण, अजवाइन के बीज, पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे कि पेप्टिक अल्सर और अपच को ठीक कर सकते हैं। ये उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मदद करते हैं ।
3.) धनिया का पौधा: धनिया के पत्ते कैल्शियम (Calcium), पोटेशियम (potassium), प्रोटीन (protein), थायमिन (thiamine), विटामिन सी, के (vitamin C, K), कैरोटीन (carotene), नियासिन (niacin) और फ़ॉस्फ़ोरस (phosphorus) जैसे कई स्वस्थ पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत है। धनिया के पत्ते शरीर में इंसुलिन के स्राव को उत्तेजित करके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसके कई अन्य कार्य भी हैं जैसे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करना, अल्ज़ाइमर रोग का इलाज करना और लीवर की कार्य प्रणाली को सुधारना और अच्छे मल त्याग को बढ़ावा देना। ये औषधीय पौधे मुंह के छालों और गठिया जैसे सूजन संबंधी विकारों के इलाज के लिए फ़ायदेमंद होते हैं। एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) से भरपूर, धनिया के पत्ते, आंखों की बीमारियों और एनीमिया को नियंत्रित करते हैं।
4.) एलोवेरा का पौधा: संभवतः दुनिया की सबसे पुरानी जड़ी-बूटियों में से एक, लोग सजावटी और स्वास्थ्य संबंधी उपयोगों के लिए अपने घरों में एलोवेरा लगाते हैं। एलोवेरा की पत्तियाँ और तने औषधीय पौधों का एक अच्छा उदाहरण हैं और इनका उपयोग आपकी त्वचा और बालों के लिए कई गुना अच्छा है। जहाँ कुछ लोग एलोवेरा का जूस पीते हैं, वहीं अन्य, पोषण के लिए अपनी त्वचा और बालों पर इसका जेल लगाते हैं। एलोवेरा का अर्क एक प्राकृतिक त्वचा उपचारक के रूप में काम करता है जो जलन, कीड़े के काटने, सनबर्न, और चोटों के उपचार में मदद करता है, जिससे आपकी त्वचा स्वस्थ और युवा रहती है।
5.) लैवेंडर (Lavender): यह भूमध्यसागरीय पहाड़ों और उत्तरी अफ़्रीका (North Africa) का मूल निवासी है। लैवेंडर के इष्टतम विकास के लिए इसे अच्छी तरह से सूखी मिट्टी और उज्ज्वल सूरज के प्रकाश की आवश्यकता होती है। कुछ लैवेंडर के फूल के तेल में औषधीय और कॉस्मेटिक लाभ होते हैं। लैवेंडर के एंटीसेप्टिक (Antiseptic) और एंटी-इंफ्लेमेटरी (anti-inflammatory) गुण के कारण, इसे कीड़े के काटने और जलन के इलाज के लिए उपयुक्त बनाते हैं। लैवेंडर की खुशबू और सुखदायक गुण इसे नींद संबंधी विकार, तनाव, चिंता, अवसाद आदि को ठीक करने के लिए एक आदर्श एजेंट बनाते हैं। पाचन समस्याओं वाले लोग बेहतर पाचन प्राप्त करने के लिए लैवेंडर कि चाय भी आज़मा सकते हैं।
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