जौनपुर में सांपों का कृषि और पारिस्थितिकी तंत्र में महत्व और सर्पदंश की बढ़ती घटनाएं

रेंगने वाले जीव
10-06-2025 09:22 AM
जौनपुर में सांपों का कृषि और पारिस्थितिकी तंत्र में महत्व और सर्पदंश की बढ़ती घटनाएं

जौनपुर जैसे कृषि प्रधान जिले में सांपों को लेकर हमेशा भय और भ्रम रहा है। लोग उन्हें अक्सर नुकसानदायक जीव मानते हैं, लेकिन वास्तव में ये सरीसृप कृषि में अप्रत्यक्ष रूप से अपार योगदान देते हैं। खेतों को नुकसान से बचाने से लेकर पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखने तक, सांपों की भूमिका अनमोल है। हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में जौनपुर में सर्पदंश की घटनाओं में तेजी आई है, जिससे जागरूकता और सतर्कता दोनों की आवश्यकता बढ़ गई है। अतः यह समय की मांग है कि हम सांपों के महत्व को समझें और सुरक्षित सह-अस्तित्व के उपायों को अपनाएं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि सांप कैसे कृषि और मानव जीवन के लिए लाभकारी हैं। हम यह भी समझेंगे कि जौनपुर के किस भौगोलिक क्षेत्र में कौन-कौन से सांप पाए जाते हैं और उनका व्यवहार कैसा होता है। फिर हम सर्पदंश की बढ़ती घटनाओं का विश्लेषण करेंगे, उनके कारणों पर चर्चा करेंगे, और अंत में सर्पदंश से बचाव के उपायों और समुदाय में जागरूकता फैलाने के महत्व को रेखांकित करेंगे।

कृषि में सांपों का महत्व:

सांप हमारे खेतों के प्राकृतिक रक्षक हैं। वे चूहों, कीटों, मेंढकों और अन्य छोटे जानवरों का शिकार कर, फसल को अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा प्रदान करते हैं। यदि खेतों में चूहों की अधिकता हो जाए तो वे फसलों को नष्ट कर सकते हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। सांप चूहों की आबादी को प्राकृतिक तरीके से नियंत्रित करते हैं, जिससे किसान को न तो विषैले रसायनों का प्रयोग करना पड़ता है और न ही महंगे जहर का सहारा लेना पड़ता है। इसके अतिरिक्त, सांप कृंतक जनित बीमारियों को भी फैलने से रोकते हैं। रैट स्नेक जैसे गैर विषैले सांप खेतों में मित्र जीव के रूप में जाने जाते हैं। उनकी मौजूदगी से जैव विविधता का संतुलन भी बना रहता है। इसलिए सांपों का संरक्षण कृषि की स्थिरता के लिए अनिवार्य है।

जौनपुर के प्रमुख सांप और उनकी विशेषताएँ:

जौनपुर क्षेत्र में कई प्रमुख सांप प्रजातियाँ पाई जाती हैं जो विभिन्न पारिस्थितिक भूमिकाएं निभाते हैं। इनमें रैट स्नेक, अजगर, कोबरा, क्रेट, और स्पेक्टाकल्ड कोबरा प्रमुख हैं। रैट स्नेक जैसे सांप, जो तीन मीटर तक लंबे हो सकते हैं, पूरी सड़क को पार करते हुए अक्सर देखे जाते हैं। उनकी बड़ी-बड़ी चमकदार आँखें और अनोखी खाल उन्हें आसानी से पहचाने योग्य बनाती हैं। नाजा नाजा (इंडियन कोबरा) खेतों के पास चूहों को खाते हैं और विषैली होते हुए भी किसानों को लाभ पहुंचाते हैं। बंगारस कैर्यूलस (कॉमन क्रेट) रात्रिचर होते हैं और मुख्यतः कीटों और छोटे जीवों को खाकर कृषि क्षेत्र को सुरक्षित रखते हैं। अजगर भी जौनपुर में पाया जाता है, जो बड़े कृंतकों और पक्षियों को खाकर खाद्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन प्रजातियों की सही पहचान और उनके व्यवहार को समझना, उनके संरक्षण और उनसे बचाव के लिए अत्यंत आवश्यक है।

जौनपुर में सर्पदंश की बढ़ती घटनाएं:

पिछले कुछ महीनों में जौनपुर जिले में सर्पदंश के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। मानसून के मौसम में सांपों की सक्रियता अधिक बढ़ जाती है, और खेतों में काम करने वाले किसान इस दौरान सबसे अधिक जोखिम में रहते हैं। WHO के अनुसार, भारत में सर्पदंश से होने वाली 60,000 से अधिक वार्षिक मौतों में उत्तर प्रदेश का भी महत्वपूर्ण योगदान है। ज्यादातर मामलों में, लोगों को पैरों या हाथों में काटा जाता है जब वे बिना सुरक्षा के खेतों या झाड़ियों में प्रवेश करते हैं। रसेल वाइपर और कोबरा जैसे सांप आक्रामक होते हैं और खतरा महसूस होने पर तुरंत हमला कर सकते हैं। दुर्भाग्य से, जौनपुर जैसे क्षेत्रों में अभी भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में एंटीवेनम की कमी है, जिससे सर्पदंश और भी घातक हो जाता है।

सर्पदंश के बढ़ने के कारण:

सर्पदंश की बढ़ती घटनाओं के पीछे कई कारक हैं।
पहला बड़ा कारण मानसून के समय खेतों में बढ़ी हुई सांप गतिविधि है, क्योंकि यह उनका प्रजनन काल भी होता है। दूसरा, किसान अक्सर नंगे पांव खेतों में काम करते हैं, जिससे वे असुरक्षित रहते हैं। तीसरा, रात में उचित प्रकाश व्यवस्था का अभाव और बाहरी शौचालयों का उपयोग भी जोखिम को बढ़ाता है। चौथा, तेजी से हो रहा शहरीकरण और खेतों का आवासीय इलाकों में बदलना भी सांपों और मानवों के बीच संघर्ष को बढ़ाता है।

इसके अलावा, चिकित्सा सुविधाओं का अभाव, प्राथमिक उपचार के प्रति जागरूकता की कमी और पारंपरिक झाड़-फूंक जैसे अवैज्ञानिक उपाय सर्पदंश से होने वाली मृत्यु दर को बढ़ा देते हैं। इस स्थिति में, व्यापक स्तर पर जन-जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है ताकि जोखिम को कम किया जा सके।

सर्पदंश से बचाव और समाधान:

सर्पदंश से बचाव के लिए कई आसान लेकिन प्रभावी उपाय हैं।
किसानों को खेतों में काम करते समय रबर के जूते और दस्ताने पहनने चाहिए ताकि सांप के काटने का खतरा कम हो। रात में खेतों या झाड़ियों में जाने से पहले टॉर्च का उपयोग करना चाहिए ताकि सांपों को समय रहते देखा जा सके। फर्श पर सोने से बचना चाहिए और घरों के आसपास साफ-सफाई रखनी चाहिए ताकि सांपों को छिपने का स्थान न मिले।

समुदाय स्तर पर प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए, जिसमें सही तरीके से एंटीवेनम का उपयोग और त्वरित अस्पताल पहुँचाने की प्रक्रिया शामिल हो। स्कूलों और गांवों में जागरूकता कार्यक्रम चलाकर बच्चों और वयस्कों दोनों को सर्पदंश के खतरे और बचाव के उपायों के बारे में शिक्षित किया जा सकता है।

अंततः, सरकार को भी ग्रामीण क्षेत्रों में एंटीवेनम और प्राथमिक चिकित्सा सेवाओं को सुलभ बनाए रखना होगा, ताकि सर्पदंश के मामलों में जान बचाना संभव हो सके। जागरूकता और चिकित्सा सहायता का बेहतर समन्वय ही इस चुनौती से निपटने का सबसे प्रभावी रास्ता है।

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