कोका कोला की सफलता में था द्वितीय विश्वयुद्ध का विशेष योगदान

स्वाद - भोजन का इतिहास
15-10-2018 02:54 PM
कोका कोला की सफलता में था द्वितीय विश्वयुद्ध का विशेष योगदान

सबसे पुरानी कोल्ड्रिंक्स (Cold Drinks) में कोका कोला (Coca Cola) का नाम विशेष रूप से लिया जाता है। ‘ठंडा मतलब कोका कोला’ जैसी शानदार टैगलाईन (Tagline) वाली कोका कोला के बारे में शायद आपको यह न पता हो कि एक समय ऐसा था जब कोका कोला को दवाई की तरह बेचा जाता था। लेकिन बदलते दौर में कोका कोला दुनिया का सबसे बड़ा ब्रांड बन गया है। इसका आविष्कार 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में जॉन पेम्बर्टन नामक अमेरिकी फार्मासिस्ट (Pharmacist) द्वारा एक दवा के रूप में किया गया था।

अमेरिकी सिविल युद्ध के अंत में पेम्बर्टन ने फैसला किया कि ऐसा कुछ खोजा जाए जो उन्हें व्यवसायिक सफलता प्रदान करे। और इस प्रकार जन्म हुआ कोका-कोला का। मूलरूप कोका-कोला का नुस्खा पेम्बर्टन के ईगल ड्रग एंड केमिकल हाउस (Eagle Drug and Chemical House) में बनाया गया था। कोक ने अपने पहले साल में इतना लाभ नहीं कमाया। इसके बाद अगस्त 1888 में पेम्बर्टन की मृत्यु हो गई। वे कभी भी व्यवसायिक सफलता को नहीं देख पाए।

पेम्बर्टन की मृत्यु के बाद, 1891 में कोका-कोला व्यवसायी आसा ग्रिग्स कैंडलर द्वारा खरीदा गया था। उस समय कोका-कोला को पेटेंट दवा (कोका-कोला सिरप) के रूप में बेचा जाता था। वह दावा करते थे कि यह थकान और सिरदर्द से छुटकारा दिलाता है। 1898 में, स्पेनिश-अमेरिकी युद्ध के चलते कांग्रेस ने सभी दवाईयों पर कर पारित किया। इसलिये कोका-कोला केवल पेय के रूप में बेचा गया। अदालत की लड़ाई के बाद, कोका-कोला का दवा के रूप में बेचा जाना बंद हो गया।

द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व के वर्षों में जर्मनी और बाकी यूरोप में कोका-कोला का व्यवसाय तेजी से बढ़ रहा था। 1933-39 के बीच नाज़ी जर्मनी में बेची गयी कोक की संख्या प्रति वर्ष लगभग 1,00,000 से बढ़कर 45 लाख हो गई थी, और इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए यहां 50 कारखानों का निर्माण किया गया। ब्रांड इतना लोकप्रिय था कि यह बर्लिन में 1936 के ओलंपिक, जिसे व्यापक रूप से हिटलर के लिए प्रचार के रूप में देखा गया था, के आधिकारिक प्रायोजकों में से एक बन गया।

परंतु 1939 में युद्ध के बाद नाज़ियों द्वारा आयात पर विभिन्न प्रतिबंधों के कारण जर्मन कारखानों तक कोका कोला बनाने का सिरप पहुँच पाना मुश्किल हो रहा था। इस वजह से, युद्ध के दौरान जर्मनी में कोक का उत्पादन बंद हो गया। हालांकि जर्मनी में कंपनी के प्रमुख मैक्स कीथ ने पूरी तरह से हार नहीं मानी थी, इसलिए उन्होंने जर्मनी में आसानी से उपलब्ध सामग्रियों को मिला दिया। इस प्रकार फलों (नारंगी, सतंरा आदि) के द्वारा नाज़ी जर्मनी में फैंटा का अविष्कार हुआ, और 1955 में फैंटा का उत्पादन और बिक्री शुरू हुई। जिसका स्वामित्व हमेशा से कोका-कोला के पास रहा है। जो कि वास्तव में जर्मनी में बनाया गया था।

कोका कोला पिछले कई दशकों से भारत के सबसे मशहूर कोल्ड्रिंक्स में शुमार है। भारत में इसका प्रवेश प्योर ड्रिंक्स लिमिटेड द्वारा पहले बोटलिंग संयंत्र के उद्घाटन के साथ 1950 में नई दिल्ली में हुआ था। 1977 में भारत के विदेशी मुद्रा अधिनियम के लागू होने के कारण कंपनी को देश से बाहर जाना पड़ा था परंतु 1992 के अंत में, भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेश के प्रारम्भ के बाद कोका-कोला भारत लौट आया। अब ये ब्रांड आज घर-घर में अपनी पहचान बना चुका है।

संदर्भ:
1.http://iml.jou.ufl.edu/projects/spring08/Cantwell/invention.html
2.https://www.thelocal.de/20170523/fanta-how-the-nazi-era-drink-became-the-world-famous-brand
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Coca-Cola
4.https://www.coca-colaindia.com/stories/faq-history