 
                                            समय - सीमा 268
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                                            15 वीं और 16 वीं शताब्दी के स्पेनिश खोजकर्ताओं द्वारा आलू को अमेरिका से यूरोप में लाया गया था और इसे तब से दुनिया के कई हिस्सों में भोजन के रूप में अपनाया गया है। उनके द्वारा लाया गया एक और पौधा तम्बाकू था। इसका वर्तमान में सिगरेट और सिगार में उपयोग किया जाता है।
वैसे तो तम्बाकू के पौधे की कई प्रजातियाँ होती हैं, लेकिन वाणिज्यिक उत्पाद के दो मुख्य स्रोत निकोटियाना टैबैकम (Nicotiana tabacum) और एन.रसटिका (N.rustica) हैं, जो दक्षिण और मध्य अमेरिका से उत्पन्न हुए हैं। इसका वानस्पतिक नाम 'निकोटीयाना (Nicotiana)' है, जो कि पुर्तगाल के फ्रांसीसी राजदूत जीन निकोट की याद में रखा गया था। जिन्होंने फ्रांसीसी शाही परिवार को इसे एक उपचारात्मक पदार्थ के रूप में दिया था।
16 वीं शताब्दी के दौरान तम्बाकू का उपयोग कई बीमारियों के उपचार के लिए किया जाना काफी लोकप्रिय हो गया था। वहीं तम्बाकू का आनंद और धूम्रपान के लिए उपयोग तेजी से फैलने लगा और इसकी गंभीर आलोचना करने के बावजूद धूम्रपान में इसका उपयोग होता रहा। 1961 में अकेले ब्रिटेन ने विभिन्न रूपों में सौ मिलियन पाउंड से अधिक तम्बाकू का आयात किया था।
तम्बाकू की खेती
तम्बाकू की खेती अन्य कृषि उत्पादों के समान होती है। इसमें बीज को सबसे पहले मिट्टी में बो दिया जाता है। हालांकि युवा पौधों में जल्द ही पिस्सू भृंग लग जाते हैं, जिस कारण काफी फसलें खराब हो जाती हैं। इसी वजह से 1876 में संयुक्त राज्य अमेरिका में आधी तम्बाकू की फसल नष्ट हो गई थी। 1890 तक कई अध्ययन करने के बाद फसल को सही सलामत रखने के लिए एक प्रयोग सफल हुआ, जिसमें पौधे को पतले सूती कपड़े से ढँक दिया जाता था। आज, तम्बाकू को ठंडे फ्रेम या हॉटबेड में बोया जाता है, क्योंकि उनका अंकुरण प्रकाश द्वारा सक्रिय होता है।
पौधों के लगभग 8 इंच लंबे होने के बाद, उन्हें खेतों में प्रत्यारोपित किया जाता है। जिसके लिए किसानों को बरसात के मौसम का इंतजार करना पड़ता है। एक जोते हुए खेत में तम्बाकू के पत्ते को एक तम्बाकू की खूंटी के साथ मिट्टी में एक छेद बनाकर बो दिया जाता है। 19 वीं और 20 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में बेमिस, न्यू आइडिया सेंटर, और न्यू हॉलैंड ट्रांसप्लेंटर जैसे विभिन्न यांत्रिक तम्बाकू प्लांटर्स का आविष्कार हुआ, जिससे तम्बाकू की खेती की सारी प्रक्रिया स्वचालित होने लगी।
 
 
तम्बाकू की खेती प्रतिवर्ष की जाती है, और इसकी कटाई विभिन्न तरीकों से की जाती है। संपूर्ण तम्बाकू की फसल को तम्बाकू के चाकू से काट देना, सबसे पुरानी विधि है, जिसका इस्तेमाल आज भी किया जाता है। इसके बाद चार से छ्ह पौधों को एक खलिहान में सिझाने के लिए लटका दिया जाता है।
तम्बाकू के पत्तों को सिझाना
जब पत्तियों को काटा जाता है तो उनमें उच्च अनुपात में नमी मौजुद रहती है। इसलिए उन्हें तुरंत सिझाया जाता है, जिसके लिए इन पत्तियों को सुखाया जाता है। इस क्रिया में बहुत से रासायनिक परिवर्तन होते हैं। तम्बाकू को विभिन्न तरीकों से सिझाया जाता है, जो निम्न है :
 
•	हवा के माध्यम से सिझाना:- हवा के माध्यम से सिझाने की विधि सबसे पुरानी है और इसका उपयोग प्राथमिक पत्तियों या पूरे पौधों के लिए किया जाता है। हवा के माध्यम से सिझाने में तम्बाकू को अच्छी तरह हवादार खलिहान में लटका दिया जाता है और चार से आठ सप्ताह तक उसे सूखने दिया जाता है। हवा के माध्यम से सिझाए हुए तम्बाकू में शर्करा कम होती है।
•	आग के माध्यम से सिझाना:- इसमें तम्बाकू के पत्तों को खलिहान से लटका कर लकड़ी की आग के ऊपर सुखाया जाता है। इसमें प्रक्रिया और तम्बाकू पर निर्भर करते हुए तीन दिन से लेकर दस सप्ताह तक का समय लग जाता है।
 
•	धुआँकश के माध्यम से सिझाना:- इसमें तम्बाकू के पत्तों को खलिहान में टियर-पोल से लटकाया जाता है। इन खलिहानों में बाहर से गर्मी प्रदान की जाती है और सिझाने के दौरान धीरे-धीरे इसका तापमान बढ़ाया जाता है। इस प्रक्रिया में आम तौर पर एक सप्ताह लगता है।
•	धूप के माध्यम से सिझाना:- इस प्रक्रिया में तम्बाकू के पत्तों को धूप में सुखाया जाता है। इस पद्धति का उपयोग तुर्की, ग्रीस और अन्य भूमध्य देशों में प्राच्य तम्बाकू का उत्पादन करने के लिए किया जाता है।
संदर्भ :-
1.	https://en.wikipedia.org/wiki/Tobacco
2.	https://en.wikipedia.org/wiki/Curing_of_tobacco
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        