 
                                            समय - सीमा 268
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भूगोल 264
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                                            जैसा कि हम सभी जानते हैं, भारत के कर्मचारी बल का अधिकांश भाग, जिसे देश का असंगठित क्षेत्र भी कहा जाता हैं, अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के अंतर्गत आता है। आज भारत की कुल जनसंख्या में से सिर्फ 10% लोग औपचारिक क्षेत्र में कर्मचारी हैं। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता हैं कि, भारत के 90% कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा, कार्य स्थल, स्थिर तनख़वाह, सामाजिक प्रतिष्ठा आदि फायदे नहीं मिलते। ऐसे में भारत की बड़े पैमाने पर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में रोज़गार सृजन के लिए कृषि एक महत्वपूर्ण कुंजी है। देश में कृषि सिंधु घाटी की सभ्यता के समय से की जा रही है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी है।
देश में बेरोज़गारी चरम पर है। हमारा देश पहले से ही उच्च बेरोज़गारी दर का सामना कर रहा था और नोटबंदी से करीब 1.5 मिलियन नौकरियों का अचानक नुकसान हुआ था। ऐसे समय में बड़े पैमाने पर रोज़गार के अवसरों को उपलब्ध करा सकता है कृषि क्षेत्र। भविष्य में भी विभिन्न स्रोतों से नौकरियों को हासिल करने के लिये कृषि क्षेत्र सबसे महत्वपूर्ण साधन सिद्ध हो सकता है।
कहा जाता है कि कृषि जब श्रम का विकास करती है, तो देश का विकास होता है। कृषि एवं इससे सम्बन्धित व्यवसायों द्वारा युवाओं के लिये रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं। आज इस क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने व कम समय में अधिक कार्य करने के लिए कृषि के यांत्रिकीकरण पर भी ज़ोर दिया जा रहा है। हाल ही में नाइजीरिया में किसानों के द्वारा ‘हैलो ट्रेक्टर’ (Hello Tractor) उपयोग में लाया गया जिसमें एसएमएस (SMS), जीपीएस (GPS) और स्मार्ट सेंसर (Smart Sensor) जैसी सुविधाए हैं, जिसके परिणामस्वरूप मशीनीकरण के साथ उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। आज प्रौद्योगिकियों के साथ मिलकर उत्पादकता को बढ़ावा दिया जा रहा है जो कि कृषि के यांत्रिकी क्षेत्र में रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है। यह ग्रामीण युवाओं के लिए कृषि में अपनी आय को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण विकल्प है।
इसके अलावा कृषि से संबंधित क्षेत्र जैसे कि संग्रह, भंडारण, प्रसंस्करण, संचालन, खाद्य उपक्रम आदि क्षेत्रों की संबंधित सेवाओं की मांग बढ़ने से भी युवाओं के लिए उच्च-गुणवत्ता वाली नौकरी के अवसर पैदा हो रहे हैं। अफ्रीका में कृषि के क्षेत्र में अपार नौकरियों की संभावना को देखते हुए आने वाले समय में युवाओं और महिलाओं को तैयार करने के लिए अफ्रीका एग्रीबिज़नेस इंक्यूबेटर्स नेटवर्क (Africa Agribusiness Incubators Network -AAIN) अगले पांच वर्षों में 54 अफ्रीकी देशों में कम से कम 108 इन्क्यूबेटरों (Incubators) की स्थापना कर रहा है।
आज़ादी के बाद भारत की हरित क्रांति का नेतृत्व करने वाले एम.एस. स्वामीनाथन का कहना है कि देश में उत्पादकता बढ़ाने के तरीकों और साधनों को खोजने की सबसे अधिक जरूरत है, और इसके लिए हमारी कृषि प्रणालियों में सुधार की आवश्यकता है और यदि हम इस उद्देश्य को प्राप्त कर पाये तो हमें लाभ भी बहुत होगा। आज देश में नौकरी का अकाल है और कृषि रोज़गार पैदा करने वाला उद्यम है। वर्तमान में युवाओं को कृषि के प्रति आकर्षित करने के लिए कृषि पाठ्यक्रम और शैक्षणिक पद्धति के पुनर्गठन पर ज़ोर दिया जाना चाहिए और साथ ही साथ महिला किसानों के प्रति संवेदनशीलता को भी बढ़ावा देना चहिये। हालांकि देश में कृषि क्षेत्र में 50% महिला किसान हैं और 60% कार्यबल में महिलाएं शामिल हैं, फिर भी उन्हें और उनके अधिकारों को पूरी तरह से नज़रअंदाज किया हुआ है। यदि भविष्य में कृषि का विकास देखना है तो उसके लिये इस क्षेत्र में महिला किसानों का प्रवेश भी अति आवश्यक है।
संदर्भ:
1. https://www.downtoearth.org.in/blog/economy/replaying-history-58839
2. http://horizons.tatatrusts.org/2018/november/indian-agronomist-swaminathan.html
3. https://blogs.worldbank.org/jobs/can-agriculture-create-job-opportunities-youth
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        