 
                                            समय - सीमा 268
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                                            हाल ही में आपने सुना होगा कि मुंबई की एक फैंटसी गेमिंग स्टार्टअप कंपनी - ड्रीम 11, एक यूनिकॉर्न बन गया है, जो एक बिलियन डॉलर, यानी कि सात हजार करोड़ की स्टार्ट अप कंपनी है। वर्तमान में ड्रीम 11 निजी तौर पर आयोजित स्टार्ट-अप (Start-up) के कुलीन क्लब में शामिल होने वाला भारत का पहला गेमिंग स्टार्ट अप है। अब आप सोच रहे होंगे कि यहां पर “यूनिकॉर्न” (Unicorn) शब्द से क्या तात्पर्य है? दरअसल यूनिकॉर्न एक शब्द है, जिसे उन स्टार्ट-अप्स को दिया जाता है जिनकी वैल्यू (Value) एक बिलियन डॉलर से अधिक होती है। यह शब्द 2013 में वेंचर कैपिटलिस्ट (Venture Capitalist) ऐलेन ली (Aileen Lee) द्वारा दिया गया था। क्यूंकि यूनिकॉर्न केवल कहानियों में ही पाये जाते हैं, उन्होंने इस तरह के सफल व्यापार की सांख्यिकीय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इस शब्द को चुना । इसके अलावा “डेकाकॉर्न” (Decacorn) उन कंपनियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है जिनकी वैल्यू 10 बिलियन डॉलर से अधिक है, जबकि “हेक्टोकॉर्न” (Hectocorn) ऐसी कंपनियों के लिए उपयुक्त शब्द है जिनकी वैल्यू 100 बिलियन डॉलर से भी अधिक हो।
अमेरिका के ऑनलाइन टेक इंडस्ट्री के पब्लिशरटेकक्रंच (Techcrunch) के अनुसार, विश्व भर में मार्च 2018 तक 279 कंपनियां, यूनिकॉर्न कंपनियों में शामिल थी, जिनकी कुल संयुक्त क़ीमत 1 ट्रिलियन डॉलर थी और कुलपूंजी की राशि 205.8 बिलियन डॉलर थी। वर्तमान में दुनिया की सबसे बड़ी यूनिकॉर्न कंपनियों में चाइना की एंट फाइनेंशियल (Ant Financial) और डिडी (Didi), अमेरिका की उबर (Uber) स्ट्राइप (Stripe) और पिन्टरेस्ट आदि शामिल हैं। ये यूनिकॉर्न कंपनियां अभी तक कुछ देशों / क्षेत्रों में ही केंद्रित हैं जोकि इस प्रकार है: चीन (128), अमेरिका (100), भारत (24), दक्षिण कोरिया (8), यूके (8), इंडोनेशिया (4), स्वीडन (4), हांगकांग (3), ऑस्ट्रेलिया (2), फ्रांस (2), सिंगापुर (2), स्विट्जरलैंड (2), और 11 अन्यदेश (प्रत्येकमें1)।
भारत में मुख्य यूनिकॉर्न कंपनियां हैं:
 
भारत में उपरोक्त कंपनियों में से 10 यूनिकॉर्न कंपनियां देश में प्रमुख हैं: डिजिटल पेमेंट्स कंपनी बिलडेस्क (BillDesk) (भुगतान कंपनी), पाइनलैब (Pine Lab) (भुगतानकंपनी), बायजूस (Byju’s) (ऑनलाइन लर्निंग प्रोग्राम), फ्रैसवॉर्क (Freshwork) (सॉफ्टवेयर कंपनी), ओयो (Oyo) (ऐप के जरिए होटल रूम्स बुकिंग), पेटीएममॉल (Paytm Mall) (ऑनलाइन रिटेल बिजनस), पॉलिसी बाजार (Policy Bazar) (भारतीय ऑनलाइन बीमा क्षेत्र में पहले प्रवेशकों में से एक), स्विगी (Swiggy) (ऐप के जरिए फूड डिलीवरी), उड़ान (Udaan) (बिजनेस टू बिजनेस ईकॉमर्स मार्केटप्लेस), जोमैटो (Zomato) (ऐप के जरिए फूड डिलीवरी) शामिल हैं।
यदि आप इन यूनिकॉर्न कंपनियों में निवेश करने कि सोच रहे है तो आपको ये जानना भी जरूरी है कि इनमें निवेश के कुछ फायदे है तो कुछ नुकसान भी हैं। इनमें निवेश करने से निवेशकों के लिए लाभ भी प्राप्त हो सकता हैं, जो शेयर खरीदते हैं, साथ ही साथ आपको प्रारंभिक चरण में निवेश करने के लिए प्रोत्साहन के तौर पर कर प्रलोभन जैसी सुविधा भी मिलती है। परंतु इन कंपनियों में निवेश करना जोखिम भरा भी होता है, इनमें आपका पैसा डूब भी सकता है। इसके अलावा यहां शेयरधारक हितों की रक्षा के लिए कोई बोर्ड भी नहीं होता है। इसलिये निवेश करने से पहले एक बार पुनः विचार करें और फिर निवेश करें।
दुनिया भर में जहां यूनिकॉर्न्स ने कारोबार संभाला है,वहां ये कम्पनियां मोनोपोली (Monopoly) के तहत चलती है, क्यूंकि इनका विचार अनोखा होता है ,इसीलिये इन कंपनियों की वैल्यू (Value) ज्यादा होती है और ये यूनिकॉर्न स्टार्टअप हो जाती हैं अब सवाल यह है कि ये मोनोपोली आखिर है क्या? जब विक्रेता का किसी उत्पाद या सेवा पर इतना नियंत्रण हो कि वह उसके विक्रय से सम्बन्धित शर्तों एवं मूल्य को अपनी इच्छानुसार लागू कर सके तो इस स्थिति को एकाधिकार (monopoly) कहते हैं। अर्थात बाजार में प्रतियोगिता का अभाव एकाधिकार की मुख्य विशेषता है। एकाधिकार मुक्त व्यापार को प्रतिबंधित करता है और बाजार को कीमतें निर्धारित करने से रोकता है।
यह निम्नलिखित प्रतिकूल प्रभाव पैदा करते है:
•	एकविक्रेता और अधिकक्रेता- एकाधिकार की स्थिति में उपभोक्ता अनेक होते हैं, किन्तु विक्रेता एक ही होता है। जिसका पूर्ति पर पूरा-पूरा नियंत्रण होता है। उपभोक्ता की संख्या अधिक होने के कारण विक्रेता मांग की परवाह किए बिना मूल्य-निर्धारण कर सकते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि उपभोक्ताओं के पास कोई विकल्प नहीं है।
•	न्यून उत्पादों की आपूर्ति- उपभोक्ता की संख्या अधिक होने के कारण विक्रेता न केवल मूल्य बढ़ा सकता है, बल्कि वे खराब उत्पादों की आपूर्ति भी कर सकता है। इसके अलावा प्रतियोगिता न होने के कारण उपभोक्ता को वस्तुओं का वास्तविक मूल्य पता नहीं चल पाता। इसलिए एकाधिकारी अपनी वस्तु का कभी-कभी अलग-अलग मूल्य भी वसूल कर सकता है।
•	नए और बेहतर उत्पादों को न बनाना- एकाधिकार के कारण एकाधिकारी नए और बेहतर उत्पाद प्रदान कराने का प्रोत्साहन खो देता है।
•	एकाधिकार मुद्रास्फीति पैदा करता है- चूंकि एकाधिकारी अपनी इच्छानुसार मूल्य निर्धारित कर सकते हैं, इसलिये वे उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ा देते है। इसे ही मुद्रास्फीति कहा जाता है।
यूनिकॉर्न कंपनियों का होना किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए गर्व की बात है, लेकिन उपभोगताओं की सुरक्षा के लिए मोनोपोली कंपनियों को नियंत्रित करना भी अनिवार्य है।
संदर्भ:
1.	https://en.wikipedia.org/wiki/Unicorn_(finance)
2.	https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_unicorn_startup_companies
3.	https://www.thebalance.com/monopoly-4-reasons-it-s-bad-and-its-history-3305945
4.	https://inc42.com/features/the-indian-startups-that-turned-unicorn-in-2018/
5.	https://bit.ly/2wg8cma
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        