 
                                            समय - सीमा 268
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                                            इतिहास में कई ऐसे व्यक्ति हुए जिन्हें आज भी उनके काम और योगदान के लिये याद किया जाता हैं किंतु इन नामों में से कुछ नाम ऐसे भी हैं जो समय बीतने के साथ धुंधले होते चले गये और लोगों द्वारा भुला दिये गये। इन नामों में से ही एक नाम है भारतीय नाई शेख दीन मुहम्मद का जिन्हें यूरोपीय देशों में शैम्पू (Shampoo) का जनक कहना अनुचित नहीं होगा। तो चलिए आज बात करते हैं उनके जीवन और योगदानों की।
शेख दीन मुहम्मद एक एंग्लो-इंडियन (Anglo-Indian) यात्री, सर्जन (Surgeon) और उद्यमी थे जिन्हें पश्चिमी दुनिया के सबसे उल्लेखनीय गैर-यूरोपीय प्रवासियों में से एक माना जाता है। विदेशी मूल के कारण उनका नाम अक्सर अंग्रेज़ी प्रलेखन में विभिन्न तरीकों से लिखा जाता है। मई 1759 में पटना में जन्मे मुहम्मद बंगाल प्रेसीडेंसी (Bengal Presidency) का हिस्सा रहे। काफी कम उम्र में ही उनके पिता की मृत्यु हो गयी। जब मुहम्मद केवल 10 साल के थे तब उन्हें एक एंग्लो-आयरिश प्रोटेस्टेंट (Anglo-Irish Protestant) अधिकारी ने अपने अधीन रख लिया। इसके बाद मुहम्म्द ने ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) की सेना में एक प्रशिक्षु सर्जन के रूप में कार्य किया। 1794 में मुहम्मद अंग्रेजी में किताब लिखने तथा प्रकाशित करने वाले पहले भारतीय बने जिसका शीर्षक ‘द ट्रेवल्स ऑफ दीन मुहम्मद’ (The Travels of Dean Mahomed) था। किताब की शुरुआत चंगेज़ खान, तैमूर और विशेष रूप से पहले मुगल सम्राट बाबर की प्रशंसा के साथ होती है। यह किताब भारत के कई महत्वपूर्ण शहरों और स्थानीय भारतीय रियासतों के साथ सैन्य संघर्षों की एक श्रृंखला का वर्णन करती है। किताब में मुहम्मद ने ब्रिटेन और आयरलैंड की यात्राओं सहित अपनी यूरोपीय यात्राओं को भी संक्षेप में लिखा।
1790 में मुहम्मद इंग्लैण्ड में स्थानांतरित हुए जिसके बाद 1810 में उन्होंने इंग्लैंड का पहला भारतीय रेस्तरां ‘हिंदुस्तानी कॉफी हाउस’ (Hindoostane Coffee House) पोर्टमैन स्क्वायर, लंदन में खोला। रेस्तरां में असली चिलम तंबाकू और भारतीय व्यंजन बनाये जाते थे। यहां के व्यंजन इंग्लैंड के व्यंजनों से बिल्कुल अलग थे। किंतु वित्तीय कठिनाईयों के कारण 1812 में इसे बंद कर दिया गया। 1814 में मुहम्मद ने इंग्लैंड में पहला वाणिज्यिक वाष्प मालिश स्नानागार खोला जिसमें उन्होंने आगंतुकों के इलाज के लिए भारतीय जड़ी-बूटियों और तेलों का इस्तेमाल किया। उनका यह व्यवसाय उनकी एक बड़ी सफलता बना। स्नान के सबसे प्रसिद्ध उपचारों में से एक "शैंपू (Shampoo) करना" था जोकि हिंदी शब्द "चम्पी मसाज (Massage)" से आया था। चम्पी मसाज सिर की मालिश को संदर्भित करता है। उनकी यह तकनीक राजा को भी पसंद आयी और राजा ने उन्हें अपने "शैंपू करने वाले सर्जन" के रूप में नियुक्त किया। उनके उत्तराधिकारी विलियम चतुर्थ के तहत भी मुहम्मद का यह पद बरकरार रहा। मुहम्म्द ने अपने इस काम के लिये रॉयल वारंट (Royal Warrant) प्राप्त किया जो यह दर्शाता है कि उन्होंने शाही परिवार को अपनी सेवाएं प्रदान की थी।
1851 में उनके निधन के बाद इतिहास की किताबों में उन्हें काफी हद तक भुला दिया गया था किंतु 70 और 80 के दशक में विद्वान और कवि आलमगीर हाशमी ने उनके योगदान को पुनः जीवंत किया।
उनके योगदान को याद करने के लिये गूगल (Google) के डूडल (Doodle) में भी उन्हें चिह्नित किया गया ताकि भारतीय संस्कृति को दूसरे देश में फैलाने के उनके इस योगदान को याद किया जाता रहे।
संदर्भ:
1.	https://en.wikipedia.org/wiki/Sake_Dean_Mahomed
2.	https://bit.ly/2FCPknC
3.	https://bit.ly/2SVrmbx
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        