 
                                            समय - सीमा 268
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1036
मानव और उनके आविष्कार 802
भूगोल 264
जीव-जंतु 306
 
                                            पृथ्वी के चारों ओर बने वायुमंडल जिसमें जीव व वनस्पति निवास करते हैं, को पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में जाना जाता है। पारिस्थितिकी तंत्र असल में जीव व मानव व वनस्पतियों के मध्य होने वाले सम्बन्ध को कहते हैं। यह कई विषयों को समझने में मदद प्रदान करता है, जैसे - अति सूक्ष्म कीड़ों की जल में उपज, समुद्र में कैसे पेड़ और जीव जीते हैं और मरू और ज़मीन पर जीव किस प्रकार से रहते हैं। पारिस्थितिकी तंत्र पौधों और जीव तथा उनके शारीरिक वातावरण को समझने में तथा उनके बीच में रिश्ते के अध्ययन को सिद्ध करता है। यह उनके माहौल, आकार-प्रकार और पौधों और जीवों की विभिन्न पारिस्थितिकी को भी समझने में मदद करता है। यह जैव विविधितता के भी अध्ययन को आत्मसात करता है तथा उनके सुधार, सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंध का भी कार्य करता है। पारिस्थितिकी तमाम प्रकार के जीवित वस्तुओं के मध्य रिश्तों का अध्ययन करता है। यह वर्तमान मानवों की यह जानने में भी मदद करता है कि किस प्राकृतिक सम्पदा का दोहन किस प्रकार से किया जाए और जीवों के अनुपात में वनस्पतियों का प्रतिशत कितना होना चाहिए। पृथ्वी से लेकर यह पूरा ब्रह्माण्ड विभिन्न सतहों पर बसा हुआ है। उसी प्रकार से पारिस्थितिकी की भी 4 प्रमुख सतहें हैं जो कि निम्नलिखित रूप से विभाजित हैं-
एक प्रजाति- एक प्रजाति ऐसी एकल प्रजातियों का समूह होता है जो कि आनुवंशिक रूप से जुड़े होते हैं और एक साथ मिलकर बच्चे पैदा कर सकते हैं। वे एकल प्रजातियाँ जो कि बच्चे नहीं पैदा कर सकती हैं, एक ही समूह की सदस्य नहीं हो सकती हैं। एक ही प्रजाति के समूह को समझने के लिए हम देख सकते हैं कि जो दूसरा शब्द उस प्रजाति के पूर्ण नाम में लगाया होता है वह उस प्रजाति का नाम होता है उदाहरण स्वरूप, ‘होमो सेपियन्स’ में दूसरा ‘सेपियन्स’ इस प्रजाति का बोध कराता है।
एक जनसँख्या- जनसँख्या एक ही प्रजाति के समूह को कहते हैं जो कि एक ही भौगोलिक परिवेश में रहते हैं और आपस में ताल-मेल बना कर रखते हैं। उदाहरण स्वरूप हम विभिन्न जीवों को देख सकते हैं, जैसे चींटियाँ।
एक समुदाय- समुदाय में विभिन्न जनसँख्या समूह एक ही भौगोलिक दशा में निवास करते हैं तथा उनका एक दूसरे के साथ ताल मेल होता है। एक समुदाय एक स्थान की तमाम प्रकार की जैविक विविधिताओं को समेट कर रखता है। एक पारिस्थितिकी तंत्र- एक पारिस्थितिकी तंत्र हर प्रकार के जीवित जीवों, वनस्पतियों के समूह, व मृत वस्तुओं के समूह को कहते हैं जिसमे सभी एक दूसरे पर आश्रित होते हैं।
पारिस्थितिकी तंत्र में यदि देखा जाए तो इसमें किसी भी प्रकार की समस्या आएगी तो वह पृथ्वी पर उपस्थित पूरे तंत्र के लिए विनाशक सिद्ध हो सकती है। अतः पारिस्थितिकी तंत्र को बचाए रखना अत्यंत आवश्यक है। पारिस्थितिकी की तमाम सतहों और इसके मूल को सुरक्षित निम्नलिखित रूप से किया जा सकता है।
मानव जाति पूरे पारिस्थितिकी तंत्र में सबसे ज़्यादा हावी प्रजाति है, अतः इस कारण हम ही पारिस्थितिकी तंत्र को सुधार भी सकते हैं। जल की गुणवत्ता में सुधार कर, वातावरण में हो रहे प्रदूषण को रोक कर, जैव विविधता को सुरक्षा प्रदान कर और प्राकृतिक सम्पदा में हो रहे अनियमित क्षरण को कम करके इसका बचाव किया जा सकता है। मानव के पास हर वह उपाय मौजूद है जो कि पारिस्थितिकी तंत्र में हो रहे बदलाव को रोक सके, बस सही कदमों को उठाये जाने की देर भर है। वातावरण में हो रहे प्रदूषण और अनियमित भूगर्भीय जल के दोहन पर भी रोक लगाने से पारिस्थितिकी तंत्र को बचाया जा सकता है।
संदर्भ:
1.	https://bit.ly/33piHTA
2.	https://bit.ly/33me0dk
3.	https://bit.ly/33me0dk
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        