 
                                            समय - सीमा 268
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                                            प्रकृति के कण-कण में विविधता देखने को मिलती है, चाहे फिर वे सजीव वस्तुएं हों या निर्जीव वस्तुएं हों। मृदा पृथ्वी का अभिन्न अंग है, इसमें भी क्षेत्रानुसार भिन्नता देखी जा सकती है। भारत में मिट्टी को मुख्यतः पांच भागों, जलोढ़ मिट्टी, काली मिट्टी या रेगुर मिट्टी, लाल मिट्टी, लैटराइट (Laterite) मिट्टी तथा मरु मिट्टी में विभाजित किया गया है। कृषि की दृष्टि से भारत में आठ मिट्टी प्रमुख हैं:
(1) जलोढ़ मिट्टी
(2) काली मिट्टी
(3) लाल एवं पीली मिट्टी
(4) लैटराइट मिट्टी
(5) शुष्क मृदा 
(6) लवण मृदा 
(7) दलदली मृदा
(8) वन मृदा
 
जलोढ़ मिट्टी को जल द्वारा बहाकर लाया जाता है तथा किसी अन्य स्थान पर एकत्रित किया जाता है। यह भुरभुरी अथवा ढीली होती है। जलोढ़ मिट्टी प्रायः विभिन्न प्रकार के पदार्थों से मिलकर बनी होती है जिसमें गाद (सिल्ट/Silt) तथा मृत्तिका के महीन कण तथा बालू और बजरी के अपेक्षाकृत बड़े कण भी होते हैं। यह मृदा लगभग 15 लाख वर्ग कि.मी. या कुल क्षेत्र के लगभग 46% हिस्से का आवरण करती है तथा सबसे बड़ी मृदा समूह है। यह सबसे अधिक उत्पादक कृषि भूमि प्रदान करते हुए भारत की 40% से अधिक आबादी का समर्थन करती है। इस मृदा में नाइट्रोजन (Nitrogen) का अनुपात कम होता है तथा पोटाश (Potash), फॉस्फोरिक एसिड (Phosphoric Acid) और क्षार पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं।
 
दोमट मिट्टी गाद और रेत से बनी होती है। इसके उपजाऊपन के कारण इसे खेती के लिए आदर्श माना जाता है। इसमें अन्य मिट्टी की अपेक्षा अधिक सांद्रता होती है। दोमट मिट्टी में रेतीली मिट्टी की अपेक्षा अधिक पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें सिल्ट मृदा की तुलना में जल रिसाव और जल निकासी की अधिक प्रबल क्षमता होती है। इसकी यही जलावशोषण क्षमता इसे फसल उगाने के लिए आदर्श बनाती है। दोमट मिट्टी में सिल्ट, बालू और चिकनी मिट्टी के अंश अलग-अलग होने से भिन्न-भिन्न प्रकार की दोमट बनती हैं जैसे बलुई दोमट, सिल्टी दोमट, चिकनी दोमट, बलुई चिकनी दोमट आदि।
 
जौनपुर जिला मुख्यतः कृषि प्रधान क्षेत्र है, जिसकी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा कृषि से आता है। यहां की मुख्य फसलें चावल, मक्का, मटर, मोती बाजरा, गेहूं, काला चना, प्याज़ और आलू हैं, इसके साथ ही कुछ चारे की फसलें भी उगायी जाती हैं। फसलें वर्षा और सिंचाई दोनों के साथ उगाई जाती हैं। जौनपुर में मुख्यतः रेतीली, जलोढ़ या रेतीली दोमट मिट्टी पायी जाती है। गोमती नदी के किनारे स्थित होने के कारण यहाँ जलोढ़ मिट्टी का अनुपात अन्य से ज्यादा है।
जौनपुर के कृषि-जलवायु क्षेत्र और प्रमुख कृषि पारिस्थितिक (मिट्टी और स्थलाकृति पर आधारित) स्थितियां इस प्रकार हैं।

संदर्भ:
1. https://bit.ly/2HuM6m6
2. https://www.quora.com/What-is-alluvial-soil
3. http://jaunpur.kvk4.in/district-profile.html
4. https://bit.ly/32b6Bfz
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        