 
                                            समय - सीमा 268
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                                            सब्ज़ियों का राजा आलू को माना जाता है। यह एकमात्र ऐसी सब्ज़ी है जो कि किसी भी प्रकार की सब्ज़ी, दाल, खिचड़ी आदि में अपनी उपस्थिति बिना किसी समस्या के दर्ज करवा देती है। आलू की सब्ज़ियों के अलावा नमकीन, चिप्स, फ़ास्ट फ़ूड (Fast Food) आदि भी तैयार किये जाते हैं। जौनपुर के परिपेक्ष्य में बात करें तो इसका आलू के साथ चोली दामन का रिश्ता है। ऐसा लगता है कि यहाँ की मिटटी आलू के लिए अत्यंत ही उपयोगी और जुड़ी हुयी है। यही कारण है कि जौनपुर को आलू उत्पाद का गढ़ माना जाता है।
 
हम सभी जानते हैं कि तकनीकी के आ जाने से फसलों के उत्पाद में और तेज़ी आई है तथा जहाँ पर पहले किसान को कम पैदावार होती थी, आज वहीं पर तकनीकी की मदद से वह दुगुनी या उससे भी ज़्यादा हो गयी है। तकनीकी और विभिन्न प्रयोगशालाओं में होने वाले प्रयोगों में तमाम प्रकार की फसलों को संकरित कर उनके बढ़ने और पैदावार को बढ़ाने के गुण को निखारा जाता है। हम अक्सर बाज़ार में संकर शब्द का ज़िक्र सुनते हैं। संकर फसलें वर्तमान काल के विज्ञान के नमूने के रूप में गिनी जाती हैं।
 
आलू को लेकर विश्व भर की विभिन्न प्रयोगशालाओं में कई प्रयोग किये गए। इन प्रयोगों के परिणामस्वरूप आलू के उत्पाद में बढ़ोतरी हुयी। आइये जानते हैं उन प्रयोगों और आलू के उत्पाद को बढ़ाने के तरीके को और यह भी जानते हैं कि इसको किसान कैसे अपने अनुसार कर सकते हैं। नए युग के इन आलुओं को अनुवांशिक तरीके से संशोधित कर के उत्पादित किया जाता है। मुख्य रूप से आलू के जीन (Gene) में कई प्रकार के फेर बदल कर के इनको तैयार किया जाता है तथा इनमें कीट प्रतिरोधक क्षमता, इनमें उपस्थित रसायनों की मात्रा को कम करना या बढ़ाना तथा इनके कंदों को टूटने से बचने जैसी कई खूबियों को भरा जाता है। ऐसे ही एक प्रकार के आलू को मात्र स्टार्च (Starch) बनाने और औद्योगिक प्रयोग के लिए भी उत्पादित किया जाता है जो खाने के लिए प्रयोग में नहीं लाये जाते हैं।
 
2014-15 में संयुक्त राज्य के कृषि विभाग ने ऐसे अनुवांशिक रूप से विकसित आलुओं के उत्पादन को मंजूरी दी थी। उस मंजूर किये गए किस्म का नाम ‘इनेट’ (Innate) था। इनेट के अलावा कई और किस्मों को उत्पादित किया गया है। मैकडोनल्डस (McDonald’s) अमेरिका में आलू के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं। वर्तमान में यह खाद्य उत्पादक भारत में भी बड़ी तेज़ी से पैर पसार रहा है और यह एक बड़ा आलू का क्रेता बन कर उभर रहा है। जैसे कि कई किस्म की सब्ज़ियों और अन्य उत्पादों में अनुवांशिक रूप से संशोधित फसलें आ रही हैं वैसे ही अब आलू में भी यह आने लगी हैं।
 
आलू मानवों द्वारा खाया जाने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा खाद्य फसल है। यह फसल दुनिया के कई देशों में उत्पादित किया जाता है तथा कई विकासशील देशों में इसका उत्पाद दुनिया के आधे उत्पाद के बराबर होता है। आलू से बनाए गए व्यंजनों की विभिन्नता की वजह से भी यह फसल इतनी उत्पादित फसलों की श्रंखला में आती है। अब जैसा कहा जा चुका है कि विकासशील देशों में यह फसल बहुतायत में उत्पादित की जाती है, परन्तु यह भी सत्य है कि इन देशों में इसकी पैदावार कम है जिसे कि विभिन्न बिन्दुओं से बढ़ाया भी जा सकता है। बीज की विकृति एक बड़ा कारण है इसकी पैदावार कम होने का। बीज विकृत होने के कारण इनके उत्पाद में कमी दर्ज की गयी है। विकृत बीज से बचने के लिए प्रमाणित बीज का ही प्रयोग सर्वोत्तम उपाय है। बीजों को रोग प्रतिरोधक भी बनाया जा सकता है जिससे इसकी कंद में कीट ना पड़ें और यह एकदम दृढ़ बना रहे। आलू की रोपाई करने के बाद उस खेत के चारों ओर प्लास्टिक (Plastic) की चाहरदीवारी खीच देनी चाहिए जो कि कीटों से पौधों की सुरक्षा करेगा। बोने से पहले बीज को सूर्य की ऊष्मा में सुखाना भी एक अच्छा विकल्प है।
संदर्भ:
1.	https://bit.ly/2lKoPAo
2.	https://en.wikipedia.org/wiki/Genetically_modified_potato 
3.	https://livingnongmo.org/2018/10/31/the-gmo-potato-what-consumers-need-to-know/
4.	https://www.vri.cz/docs/vetmed/51-5-212.pdf
चित्र सन्दर्भ:-
1.	https://www.needpix.com/search/potato
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        