 
                                            समय - सीमा 268
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                                            कौन निर्धारित करता है कि एक पालतू जानवर कौन है? ऐतिहासिक रूप से, इस प्रश्न का उत्तर स्पष्ट है। सामाजिक मानदंड यह निर्धारित करते हैं कि एक पालतू जानवर कौन है और कौन नहीं है। पिछले समाजों के पास हमारी तुलना में पालतू पशु को रखने का व्यापक दृष्टिकोण था। समय में जैसे-जैसे बदलाव होता गया वैसे-वैसे पसंदीदा जानवरों को पालने का शौक भी बढ़ता गया। शास्त्रीय काल के बाद यूरोप में पक्षियों को सदियों तक रखा गया। इस परंपरा ने अटलांटिक के पार भी अपना पैर पसारा। संयुक्त राज्य अमेरिका में बीसवीं सदी के पहले दशक में पक्षियों को सबसे लोकप्रिय इनडोर (Indoor) पालतू पक्षी के रूप में पाला गया। पालतू पक्षियों की लोकप्रियता ने हर वर्ग के साथ-साथ नस्लीय और जातीय बाधाओं को भी पार किया। श्रमिक वर्ग के घरों में एकान्त में रहने वाले पक्षी आम थे, जबकि धनी परिवार में अक्सर कई तरह के पक्षियों को रखा जाता था। पक्षियों को उनके गीतों, साहचर्य मूल्य और मध्यवर्गीय जीवन के लिए आदर्श रूप के उदाहरण के तौर पर रखा गया था। इसके बाद महिला की हैट (Hat) बनाने वाले उद्योगों ने पंखों के लिए पक्षियों का वध किया। प्रथम विश्व युद्ध के बाद पक्षियों की कई जंगली प्रजातियां विलुप्त हुई तथा अनेक संकटग्रस्त स्थिति में भी पहुँची। इस तरह पक्षियों को पालने की प्रथा नियमों के विरुद्ध हो गयी। अब प्रवासी पक्षी प्रजातियों को पकड़ना या मारना गैरकानूनी है। पंख, अंडे और घोंसले को अपने अधिकार में लेने पर भी प्रतिबंध है। विरोधाभासी रूप से, उष्णकटिबंधीय प्रजातियों को अमेरिकी कानूनों में शामिल नहीं किया गया। यही वजह है कि लोगों को तोते को अपने निवास स्थान से कुछ दूर रखने की अनुमति है।
 
पक्षियों को 4,000 साल पहले उनकी सुंदरता के लिए पहली बार कैद किया गया था। इससे पहले, पक्षी मानव बस्तियों से जुड़े थे, लेकिन रात के खाने के रूप में, पालतू जानवर के रूप में नहीं। सम्भवतः सबसे पहले कबूतर और तोते को पालतू पक्षी के रूप में पाला गया था। प्राचीन यूनानी समाज में भी पैराकीट्स (Parakeets, तोता) को पालतू जानवरों के रूप में रखा जाता था। मध्यकालीन यूरोप में, पक्षियों को केवल शाही या अमीर लोगों द्वारा रखा जाता था। प्राचीन चीनी लोग तीतरों को रखते थे जबकि प्राचीन मिस्रियों के पास ऐसे चिड़ियाघर थे जिनमें कबूतर पाले जाते थे। प्राचीन यूनानियों ने पालतू पक्षी के रूप में तोतों को पसंद किया और रोमन लोगों द्वारा आगंतुकों की घोषणा करने के लिए अपने घरों के प्रवेश मार्गों में मॉकिंगबर्ड्स (Mockingbirds) का इस्तेमाल किया गया। अपनी बात करने की क्षमता के लिए रैवेंस (Ravens) को रोम में बहुत बेशकीमती माना जाता था। रोमन लोगों के पास उद्यान जैसा पिंजरा भी था और ब्रिटेन और यूरोप में पक्षियों की विभिन्न किस्मों को लाने का श्रेय उन्हें दिया जाता है। राजा, रानियां, पादरी अक्सर तोते अपने शौक के लिए रखते थे। यह माना जाता है कि एक तोता भगवान की प्रार्थना का वर्णन कर सकता है। पुर्तगाली नाविक कैनरी (Canaries) पक्षी को यूरोप में लाए तथा जनता के लिए पालतू पशु के रूप में उसे अधिक सुलभ बनाया। लगभग 500 साल पहले कैनरी बहुमूल्य पालतू जानवर थे। स्पेन वासियों ने मधुर गीत गाने वाले कैनरियों की खोज की और उन्हें यूरोप के अमीर लोगों को उच्च कीमतों पर बेच दिया।
 
1992 में अमेरिका में वाइल्ड बर्ड पॉपुलेशन एक्ट (Wild Bird Population Act) जोकि जंगली पक्षियों को पालतू बनाने से रोकने के लिए बनाया गया था, के पारित होने के बावजूद भी कई पक्षियों को जंगली प्रजातियों के अवैध व्यापार द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता रहा है। इन्हें बेचकर पालतू बनाया जाता है। इन पक्षियों को उनके प्राकृतिक आवासों से बाहर निकाल दिया जाता है और बड़े पैमाने पर इनकी तस्करी की जाती है। अमेरिकी घरों में पक्षी अब कैद जंगली जानवरों के सबसे बड़े समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं। क्योंकि बहुत से लोग इस बात से अनजान हैं कि पक्षी कैसे पालतू जानवरों के भंडार में रहते हैं, इसलिए इन पक्षियों को क्रूर और अमानवीय प्रथाओं का शिकार होना पड रहा है। पक्षियों के इस अवैध व्यापार के कारण इनकी संख्या निरंतर घटती जा रही है क्योंकि पक्षी इस अवधि के दौरान कई दिनों तक भूखे, प्यासे होते हैं तथा उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत होती है। इस पालतू व्यापार का प्रभाव जंगली पक्षी आबादी के लिए हानिकारक है। विशेष रूप से तोते पर इसका प्रभाव सबसे अधिक पडा है। सभी तोता प्रजातियों में से लगभग एक तिहाई अब निवास स्थान के नुकसान और पालतू बनाए जाने हेतु अवैध व्यापार के कारण विलुप्त होने के खतरे में हैं।
 
वर्तमान समय में कोरोना महामारी अपने पैर पसार रही है और जीवन को प्रभावित कर रही है। यह केवल बीमारी ही नहीं बल्कि भ्रम और भय भी पैदा कर रही है। इस उभरती हुई बीमारी के संदर्भ में अभी भी बहुत कुछ है जिसे हम नहीं जानते या समझ नहीं पाए हैं। पालतू जानवरों के मालिकों के मन में यह सवाल है कि क्या विषाणु लोगों से उनके साथी जानवरों तक पहुंच सकता है? पालतू पक्षियों के संदर्भ में भी ये सवाल संशय उत्पन्न करता है। किंतु जब पालतू पक्षियों की बात आती है, तो इस समय, इस बात का समर्थन करने के लिए ऐसा कोई सबूत नहीं है, जो यह पुष्टि करे कि संक्रमण पालतू पक्षी में स्थानांतरित हो सकता है। यह देखते हुए कि पक्षी और स्तनधारी दो बड़े पैमाने पर अलग-अलग समूह हैं और विषाणु इस समय स्तनधारी प्रजातियों के बीच अच्छी तरह से स्थानांतरित नहीं हो पाया है, तो पक्षियों के लिए इसके द्वारा समस्या उत्पन्न करने की संभावना कम है। कोरोना विषाणु आमतौर पर प्रजाति-विशिष्ट हैं। इससे यह अधिक संभावना है कि विषाणु मनुष्यों से पालतू पक्षियों तक नहीं फैल सकता है। हालांकि तालाबंदी का अप्रत्यक्ष प्रभाव पशुओं पर देखने को मिल रहा है, जिनमें से पक्षी भी एक हैं। जैसे तालाबंदी के कारण पशु चिकित्सा सुविधा का अभाव है। सड़क के जानवर जो भोजन के लिए छोटे भोजनालयों पर निर्भर हैं, भुखमरी से ग्रस्त हैं। पालतू पशुओं की बिक्री करने वाली दुकानों और प्रजनन गोदामों में अनेक जानवर फंसे हैं। पालतू पशुओं का भोजन और चारा आपूर्ति श्रृंखला बाधित है, तथा अंत में सबसे बडा दुष्प्रभाव यह है कि, लोग कोरोना संक्रमण के फैलने के डर से पालतू जानवरों का परित्याग कर रहे हैं।

चित्र (सन्दर्भ):
1. उड़ान भरता हुआ पालतू कबूतर 
2. अ ट्रीट फॉर हर पेट और यंग लेडी विद पैरेट मशहूर चित्रकार एडवर्ड माने द्वारा बनाये गये चित्र  
3. पिंजरे में एक पालतू पंक्षी 
4. प्राचीन समय से पालतू पक्षियों के चित्र 
5. एक पालतू पक्षी अपने अभिभावक के साथ खेलते हुए 
संदर्भ: 
1.	https://bit.ly/361zpKx
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        