 
                                            समय - सीमा 268
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जौनपुर में पक्षी प्रजातियों की एक अच्छी विविधता देखने को मिलती है, जिनमें से ग्रेटर फ्लेमिंगो (Greater Flamingo) भी एक है। ग्रेटर फ्लेमिंगो पश्चिमी अफ्रीका, उप-सहारा अफ्रीका, भूमध्यसागरीय क्षेत्रों, दक्षिण पश्चिमी और दक्षिण एशिया (विशेष रूप से पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भारत में महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र, गुजरात, और ओडिशा) का एक लोकप्रिय निवासी है। यह राजस्थान, NCR-दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश (चंबल) के आर्द्र क्षेत्रों में स्थानांतरित होता है और भोजन के लिए क्रस्टेशियंस (Crustaceans), वॉर्म (Worms), कीट लार्वा (Insect larvae) तथा दलदली पौधों के बीजों पर निर्भर रहता है। बर्डवॉचर्स (Birdwatchers) अर्थात वे लोग जो शौक के रूप में पक्षियों का उनके प्राकृतिक परिवेश में अवलोकन करते हैं, का दावा है कि, ओखला पक्षी अभयारण्य और दिल्ली- NCR में सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान लगभग कुछ साल पहले तक इन राजसी पक्षियों के लिए प्राकृतिक प्रवास स्थल हुआ करते थे। ओखला पक्षी अभयारण्य में फ्लेमिंगो की अधिकतम आबादी 1999 में दर्ज की गयी थी, जब वार्षिक एशियाई वॉटरबर्ड जनगणना (Asian Waterbird Census) के दौरान 500 से अधिक पक्षी पाये गये थे। ग्रेटर फ्लेमिंगो, फ्लेमिंगो या राजहंस की सबसे बड़ी जीवित प्रजाति है, जिसकी लंबाई और वजन औसतन क्रमशः 110–150 सेंटीमीटर तथा 2-4 किलोग्राम तक हो सकता है। अब तक दर्ज किये गये फ्लेमिंगो में सबसे बडा नर पक्षी 187 सेंटीमीटर लंबा और 4.5 किलोग्राम वजन का पाया गया था। वयस्क पक्षियों में टांगें शरीर की तुलना में बडी होती हैं। ग्रेटर फ्लेमिंगो, को वैज्ञानिक रूप से फोनीकोप्टेरस रोजियस (Phoenicopterus roseus) कहा जाता है। विश्व भर में फ्लेमिंगो की 6 प्रजातियां हैं जिनमें से 2 प्रजतियां ग्रेटर फ्लेमिंगो और लैसर (Lesser) फ्लेमिंगो भारत में पायी जाती हैं।  ग्रेटर फ्लेमिंगो गुजरात का राज्य पक्षी भी है। यह मुख्य रूप से उष्ण कटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाये जाते हैं। अधिकांश में पंखों की परत गुलाबी-सफेद रंग की होती है, लेकिन पंखों का आवरण लाल रंग का होता है, तथा प्राथमिक और माध्यमिक उड़ान पंख काले रंग के होते हैं। चोंच काले रंग के सिरे के साथ गुलाबी रंग की होती है और पैर पूरी तरह से गुलाबी रंग के होते हैं। इसकी आंखें मस्तिष्क से बडी होती हैं। यह एक सामाजिक पक्षी है, जो 10 से 1000 पक्षियों के समूह में रहता है। फ्लेमिंगो एक रात में 50-60 किलो मीटर प्रति घंटा की चाल से 600 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। यह पक्षी उडने और तैरने दोनों में सक्षम है तथा एक पैर पर खडा रह सकता है। फ्लेमिंगो की सामाजिक ईकाईयां जोडी सम्बंध पर आधारित होती हैं, जो कि एक नर और एक मादा द्वारा बनाये जाते हैं। नर और मादा दोनों ही अंडों के लिए घोंसला निर्माण में अपनी भागीदारी देते हैं तथा घोंसलों का निर्माण प्रायः कीचड से किया जाता है। फ्लेमिंगो दलदली जमीन और खारे पानी के साथ उथले तटीय लैगून (Coastal lagoons) में रहते हैं। पैरों का उपयोग करते हुए, फ्लेमिंगो कीचड़ के ऊपर चलता है और अपनी चोंच के माध्यम से पानी पीता है तथा छोटे झींगों, बीज, नीले-हरे शैवाल, सूक्ष्म जीव और मोलस्क (Mollusks) आदि को अलग करता है। ग्रेटर फ्लेमिंगो उच्च ऊंचाई वाली झीलों में प्रजनन करते हैं, जो सर्दियों में जम सकती है। इसलिए वे इस दौरान गर्म स्थानों में चले जाते हैं। प्रजनन के मौसम के दौरान, ग्रेटर फ्लेमिंगो, यूरोपीगियल (Uropygial) ग्रंथि के स्राव की आवृत्ति को बढ़ाते हैं, जिससे उनके रंग में वृद्धि होती है। यूरोपीगियल स्राव में कैरोटिन (Carotenoid) होता है, जो इन पक्षियों के रंग के लिए उत्तरदायी हैं। कैद में इनका विशिष्ट जीवन काल, 60 या 75 वर्ष से अधिक होता है, जबकि जंगल में ये 30 – 40 वर्ष तक जीवित रह सकते हैं। इस पक्षी का पहला रिकॉर्डेड (Recorded) चिड़ियाघर हैच (Hatch) 1959 में ज़ू बेसल (Zoo Basel) में था। ज़ू बेसल के प्रजनन कार्यक्रम में, सन् 2000 के बाद से प्रति वर्ष 20 और 27 के बीच लगभग 400 से अधिक पक्षियों के अंडों से नये पक्षी निकाले गये। सबसे पुराना ज्ञात ग्रेटर फ्लेमिंगो ऑस्ट्रेलिया में एडिलेड (Adelaide) चिड़ियाघर में था, जिसकी मृत्यु 83 वर्ष की आयु में हुई थी।
ग्रेटर फ्लेमिंगो गुजरात का राज्य पक्षी भी है। यह मुख्य रूप से उष्ण कटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाये जाते हैं। अधिकांश में पंखों की परत गुलाबी-सफेद रंग की होती है, लेकिन पंखों का आवरण लाल रंग का होता है, तथा प्राथमिक और माध्यमिक उड़ान पंख काले रंग के होते हैं। चोंच काले रंग के सिरे के साथ गुलाबी रंग की होती है और पैर पूरी तरह से गुलाबी रंग के होते हैं। इसकी आंखें मस्तिष्क से बडी होती हैं। यह एक सामाजिक पक्षी है, जो 10 से 1000 पक्षियों के समूह में रहता है। फ्लेमिंगो एक रात में 50-60 किलो मीटर प्रति घंटा की चाल से 600 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। यह पक्षी उडने और तैरने दोनों में सक्षम है तथा एक पैर पर खडा रह सकता है। फ्लेमिंगो की सामाजिक ईकाईयां जोडी सम्बंध पर आधारित होती हैं, जो कि एक नर और एक मादा द्वारा बनाये जाते हैं। नर और मादा दोनों ही अंडों के लिए घोंसला निर्माण में अपनी भागीदारी देते हैं तथा घोंसलों का निर्माण प्रायः कीचड से किया जाता है। फ्लेमिंगो दलदली जमीन और खारे पानी के साथ उथले तटीय लैगून (Coastal lagoons) में रहते हैं। पैरों का उपयोग करते हुए, फ्लेमिंगो कीचड़ के ऊपर चलता है और अपनी चोंच के माध्यम से पानी पीता है तथा छोटे झींगों, बीज, नीले-हरे शैवाल, सूक्ष्म जीव और मोलस्क (Mollusks) आदि को अलग करता है। ग्रेटर फ्लेमिंगो उच्च ऊंचाई वाली झीलों में प्रजनन करते हैं, जो सर्दियों में जम सकती है। इसलिए वे इस दौरान गर्म स्थानों में चले जाते हैं। प्रजनन के मौसम के दौरान, ग्रेटर फ्लेमिंगो, यूरोपीगियल (Uropygial) ग्रंथि के स्राव की आवृत्ति को बढ़ाते हैं, जिससे उनके रंग में वृद्धि होती है। यूरोपीगियल स्राव में कैरोटिन (Carotenoid) होता है, जो इन पक्षियों के रंग के लिए उत्तरदायी हैं। कैद में इनका विशिष्ट जीवन काल, 60 या 75 वर्ष से अधिक होता है, जबकि जंगल में ये 30 – 40 वर्ष तक जीवित रह सकते हैं। इस पक्षी का पहला रिकॉर्डेड (Recorded) चिड़ियाघर हैच (Hatch) 1959 में ज़ू बेसल (Zoo Basel) में था। ज़ू बेसल के प्रजनन कार्यक्रम में, सन् 2000 के बाद से प्रति वर्ष 20 और 27 के बीच लगभग 400 से अधिक पक्षियों के अंडों से नये पक्षी निकाले गये। सबसे पुराना ज्ञात ग्रेटर फ्लेमिंगो ऑस्ट्रेलिया में एडिलेड (Adelaide) चिड़ियाघर में था, जिसकी मृत्यु 83 वर्ष की आयु में हुई थी।  प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ ने ग्रेटर फ्लेमिंगो को कम चिंताजनक या लीस्ट कंसर्न (Least Concern) जीव के रूप में वर्गीकृत किया है। मानव इस पक्षी का सबसे बडा शत्रु माना जाता है क्योंकि यह एक खाद्य प्रजाति है, जिसे मानव द्वारा खाया जाता है। वयस्क फ्लेमिंगो के कुछ प्राकृतिक शिकारी भी होते हैं तथा इनके अंडे और चूजों को चील, उल्लू, कौवे, इत्यादि द्वारा खा लिया जाता है। निवास स्थानों की हानि, जलवायु परिवर्तन, बीमारी, शिकार, निवास स्थानों में जल स्तर का बढना आदि ग्रेटर फ्लेमिंगो के लिए खतरे का कारण हैं। फ्लेमिंगो के लिए प्राथमिक खतरा आमतौर पर जीवाणु, जहर, निर्माण कंपनियों द्वारा हुआ जल प्रदूषण और अतिक्रमण हैं। यदि इन मानव गतिविधियों को कम किया जाता है तो ग्रेटर फ्लेमिंगो के अस्तित्व के लिए मौजूद खतरों को कम किया जा सकता है।
प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ ने ग्रेटर फ्लेमिंगो को कम चिंताजनक या लीस्ट कंसर्न (Least Concern) जीव के रूप में वर्गीकृत किया है। मानव इस पक्षी का सबसे बडा शत्रु माना जाता है क्योंकि यह एक खाद्य प्रजाति है, जिसे मानव द्वारा खाया जाता है। वयस्क फ्लेमिंगो के कुछ प्राकृतिक शिकारी भी होते हैं तथा इनके अंडे और चूजों को चील, उल्लू, कौवे, इत्यादि द्वारा खा लिया जाता है। निवास स्थानों की हानि, जलवायु परिवर्तन, बीमारी, शिकार, निवास स्थानों में जल स्तर का बढना आदि ग्रेटर फ्लेमिंगो के लिए खतरे का कारण हैं। फ्लेमिंगो के लिए प्राथमिक खतरा आमतौर पर जीवाणु, जहर, निर्माण कंपनियों द्वारा हुआ जल प्रदूषण और अतिक्रमण हैं। यदि इन मानव गतिविधियों को कम किया जाता है तो ग्रेटर फ्लेमिंगो के अस्तित्व के लिए मौजूद खतरों को कम किया जा सकता है।  
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        