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                                            जौनपुर‚ गोमती नदी के तट पर बसा हुआ शहर है‚ जो भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश
के पूर्वी भाग में‚ वाराणसी जिले से 55 किमी उत्तर पश्चिम में स्थित है। यह एक
ऐतिहासिक शहर है‚ जिसमें कई वास्तुशिल्प स्मारक हैं‚ जिनमें‚ शाही पुल जिसे
अकबरी ब्रिज भी कहा जाता है‚ एक वास्तुशिल्प रत्न है तथा शाही किला सबसे
प्रसिद्ध है। जौनपुर 14 वीं शताब्दी की एक अनूठी शहर संरचना है‚ जिसे शर्की
वंश ने शहर बनाया था। यह 1388 के आसपास प्रमुखता में आया जब दिल्ली के
सुल्तान फिरोज शाह तुगलक ने अपने पूर्वी शर्की क्षेत्रों का शासन मलिक सरवर को
सौंपा‚ जो एक शक्तिशाली हिजड़ा कुलीन था‚ और जौनपुर को अपनी प्रांतीय
राजधानी घोषित किया।
यह एक तरफ नदी तथा दूसरी तरफ एक पहाड़ी पर स्थित किले से विभाजित है।
ऐसे समान संरचना वाले कई और शहर हैं जो यूरोप (Europe) में प्रसिद्ध हैं जैसे:
बुडापेस्ट (हंगरी) Budapest ( Hungary)‚ प्राग (चेक गणराज्य) Prague
(Czech Republic) तथा इस्तांबुल (तुर्की) Istanbul (Turkey) आदि कुछ
उदाहरण हैं। लेकिन यूपी या पूरे भारत में नदियों पर बने शहरों की सूची देखें‚ तो
जौनपुर भारतीय संदर्भ में अद्वितीय है। कुछ पुरातत्व विशेषज्ञों द्वारा यह सुझाव
दिया गया है कि जौनपुर का किला जिस पहाड़ी पर खड़ा है‚ वह कृत्रिम या मानव
निर्मित है। जिसका इतिहास के किसी भी दस्तावेज में कोई पुष्टि नहीं की गई है।
ओटावा (Ottawa) में‚ कनाडाई विश्वविद्यालय (Canadian university) के‚ एक
पृथ्वी विज्ञान शोधकर्ता ने‚ जो मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले हैं‚ 2015 में एक
स्वतंत्र अध्ययन किया तथा रिसर्चगेट फ्री वेबसाइट (Researchgate free
website) पर अपनी रिपोर्ट साझा की‚ जिससे वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि
पहाड़ी कृत्रिम नहीं बल्कि प्राकृतिक है। पत्थर के किले का वजन संभवतः मानव
निर्मित निर्माण पर खड़ा नहीं हो सकता था। जौनपुर किला‚ जिसे शाही किला तथा केरार कोट किला के नाम से भी जाना जाता
है‚ 14 शताब्दी के दौरान बनाया गया था‚ जो जौनपुर से 2.2 किलोमीटर‚ गोमती
नदी पर शाही पुल के पास स्थित है। यह जौनपुर शहर का एक पर्यटक आकर्षण
केंद्र भी है। किले का निर्माण 1360 में फिरोजशाह तुगलग द्वारा करवाया गया
था। जिसके निर्माण में कन्नौज (Kannauj) के राठौर राजाओं के मंदिरों और
महलों के स्वामित्व वाली सामग्री का उपयोग किया गया था। लोधी (Lodhis) और
ब्रिटिश (British) साम्राज्य सहित‚ कई अन्य शासकों द्वारा किले को कई बार नष्ट
किया गया था। यह मुगल साम्राज्य के शासन के दौरान‚ व्यापक नवीनीकरण तथा
मरम्मत के माध्यम से टीका रहा। इस किले की दीवारें लगभग 35° से 40° की
ढलान के साथ लगभग 10 मीटर ऊंचे टीले पर विभिन्न प्रकार की घासों‚ जड़ी-
बूटियों‚ झाड़ियों और पेड़ों से ढकी हुई हैं। टीले की मिट्टी सघन और कठोर होती
है जो परिपक्व और ऊँचे पेड़ों की वनस्पति को बनाए रखती है तथा हवा और
पानी के कटाव को कम करती है।
किले में एक मस्जिद और तुगलक के भाई बरबक द्वारा स्थापित स्नान का एक
विशाल तथा सजीला सेट भी था। यह एक संपूर्ण तुर्की (Turkish) स्नान का प्रतीक
है‚ जिसे आमतौर पर हम्माम (Hammam) के नाम से जाना जाता है। हम्माम
आंशिक रूप से भूमिगत है जिसमें अन्तर्गम‚ निर्गम तथा ठंडे व गर्म पानी की
नालियां भी बनी हैं। पत्थरों की दीवारों से घिरा‚ यह दो मंजिला आवासीय तथा
प्रशासनिक भवन या महल‚ एक चौकोर संरचना में बनाया गया था। जिसमें चारों
ओर उठी हुई मिट्टी की चीज़ें हैं। तथा मूल संरचनाओं के अधिकांश अवशेष मिट्टी
में दबे हुए हैं या खंडहर में परिवर्तित हैं। इसका मुख्य द्वार पूर्व की ओर है‚ तथा
सबसे बड़ा भीतरी द्वार 14 मीटर ऊंचा है। इसकी बाहरी सतह ऐशलर पत्थरों से
बनी है। 16 वीं शताब्दी में जौनपुर के गवर्नर मिनिम खान के संरक्षण में मुगल
सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान‚ एक और बाहरी द्वार स्थापित किया गया
था। जिसे एक फ़्लैंकिंग गढ़ के आकार में रूपांकित किया गया था। बाहरी द्वार के
वृत्त-खंडों के बीच के स्कन्ध या रिक्त स्थानों को नीले और पीले रंग की टाइलों से
सजाया गया था। बाहरी द्वार के सामने आकर्षित करने वाला एक शिलालेख लगा
है‚ जो सभी से अपील करता है: “हिंदुओं को गीता‚ मुसलमानों को कुरान तथा
ईसाइयों को बाइबिल पढ़ने के लिए” (“Hindus to read the Gita and
Muslims to read the Koran and Christians to read the Bible”)। किले
का नाम पुरातत्व निदेशालय‚ उत्तर प्रदेश के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के स्मारकों
की सूची में शामिल है।
जौनपुर किला‚ जिसे शाही किला तथा केरार कोट किला के नाम से भी जाना जाता
है‚ 14 शताब्दी के दौरान बनाया गया था‚ जो जौनपुर से 2.2 किलोमीटर‚ गोमती
नदी पर शाही पुल के पास स्थित है। यह जौनपुर शहर का एक पर्यटक आकर्षण
केंद्र भी है। किले का निर्माण 1360 में फिरोजशाह तुगलग द्वारा करवाया गया
था। जिसके निर्माण में कन्नौज (Kannauj) के राठौर राजाओं के मंदिरों और
महलों के स्वामित्व वाली सामग्री का उपयोग किया गया था। लोधी (Lodhis) और
ब्रिटिश (British) साम्राज्य सहित‚ कई अन्य शासकों द्वारा किले को कई बार नष्ट
किया गया था। यह मुगल साम्राज्य के शासन के दौरान‚ व्यापक नवीनीकरण तथा
मरम्मत के माध्यम से टीका रहा। इस किले की दीवारें लगभग 35° से 40° की
ढलान के साथ लगभग 10 मीटर ऊंचे टीले पर विभिन्न प्रकार की घासों‚ जड़ी-
बूटियों‚ झाड़ियों और पेड़ों से ढकी हुई हैं। टीले की मिट्टी सघन और कठोर होती
है जो परिपक्व और ऊँचे पेड़ों की वनस्पति को बनाए रखती है तथा हवा और
पानी के कटाव को कम करती है।
किले में एक मस्जिद और तुगलक के भाई बरबक द्वारा स्थापित स्नान का एक
विशाल तथा सजीला सेट भी था। यह एक संपूर्ण तुर्की (Turkish) स्नान का प्रतीक
है‚ जिसे आमतौर पर हम्माम (Hammam) के नाम से जाना जाता है। हम्माम
आंशिक रूप से भूमिगत है जिसमें अन्तर्गम‚ निर्गम तथा ठंडे व गर्म पानी की
नालियां भी बनी हैं। पत्थरों की दीवारों से घिरा‚ यह दो मंजिला आवासीय तथा
प्रशासनिक भवन या महल‚ एक चौकोर संरचना में बनाया गया था। जिसमें चारों
ओर उठी हुई मिट्टी की चीज़ें हैं। तथा मूल संरचनाओं के अधिकांश अवशेष मिट्टी
में दबे हुए हैं या खंडहर में परिवर्तित हैं। इसका मुख्य द्वार पूर्व की ओर है‚ तथा
सबसे बड़ा भीतरी द्वार 14 मीटर ऊंचा है। इसकी बाहरी सतह ऐशलर पत्थरों से
बनी है। 16 वीं शताब्दी में जौनपुर के गवर्नर मिनिम खान के संरक्षण में मुगल
सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान‚ एक और बाहरी द्वार स्थापित किया गया
था। जिसे एक फ़्लैंकिंग गढ़ के आकार में रूपांकित किया गया था। बाहरी द्वार के
वृत्त-खंडों के बीच के स्कन्ध या रिक्त स्थानों को नीले और पीले रंग की टाइलों से
सजाया गया था। बाहरी द्वार के सामने आकर्षित करने वाला एक शिलालेख लगा
है‚ जो सभी से अपील करता है: “हिंदुओं को गीता‚ मुसलमानों को कुरान तथा
ईसाइयों को बाइबिल पढ़ने के लिए” (“Hindus to read the Gita and
Muslims to read the Koran and Christians to read the Bible”)। किले
का नाम पुरातत्व निदेशालय‚ उत्तर प्रदेश के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के स्मारकों
की सूची में शामिल है। गंगा और गोमती नदियों के विभिन्न भूवैज्ञानिक पहलू‚ कुमार‚ सिंह (1978)‚ तथा
सिंह (1996)‚ द्वारा प्रकाशित किए गए हैं। 900 किमी लंबी गोमती नदी‚
हिमालय की तलहटी के दक्षिण में गोमठ ताल से निकलती है तथा वाराणसी जिले
में सैदपुर के पास गंगा नदी से मिलने से पहले कटी हुई घाटी के माध्यम से उत्तर
से दक्षिण दिशा की ओर बहती है। नदी अपने रास्ते में दोनों तरफ बड़ी संख्या में
ढलान या टीले बनाती है। फ़्लूवियल (Fluvial)‚ प्राकृतिक प्रक्रियाओं को संदर्भित
करता है‚ जिसके द्वारा नदियाँ अपनी अंतर्निहित भूमि के साथ परस्पर क्रिया
करती हैं। जिसके परिणामस्वरूप चट्टान या तलछट का क्षरण तथा जमाव होता है
और विभिन्न प्रकार की भू-आकृतियाँ बनती हैं। फ़्लूवियल उत्कीर्णन‚ एक नदी को
अंतर्निहित चट्टान या जलोढ़ में काटने के लिए‚ मुख्य रूप से पृथ्वी के भीतर की
हलचल या पिछले जलवायु परिवर्तन के कारण होता है। नदियों द्वारा भूमि का
नीचे की ओर कटाव भी विवर्तनिक गति से भूमि के उत्थान के कारण होता है।
जिसका सबसे अच्छा उदाहरण संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में एरिज़ोना
(Arizona) का ग्रांड कैन्यन (Grand Canyon) है‚ जहां कोलोराडो (Colorado)
नदी ने बड़ी संख्या में रॉक संरचनाओं के अनुक्रम को काट दिया है‚ जो कई
मिलियन वर्षों से धीरे-धीरे उत्थान कर रहा है। एक नदी द्वारा नीचे की ओर
कटाव‚ चाहे वह विवर्तनिक उत्थान या जलवायु परिवर्तन के कारण हो‚ अपने प्रवाह
के दौरान विभिन्न ऊंचाइयों के ढलान या टीले बनाता है।
नदियों द्वारा विभाजित शहरों की श्रेणी में‚ इस्तांबुल (Istanbul) दुनिया का
एकमात्र प्रमुख शहर है जो‚ दो महाद्वीपों में फैला हुआ है। बोस्फोरस
(Bosphorus)‚ जिसे इस्तांबुल की जलडमरूमध्य के रूप में भी जाना जाता है‚
एक संकीर्ण‚ प्राकृतिक जलसंयोगी तथा उत्तर-पश्चिमी तुर्की (Northwestern
Turkey) में स्थित एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण जलमार्ग है।
गंगा और गोमती नदियों के विभिन्न भूवैज्ञानिक पहलू‚ कुमार‚ सिंह (1978)‚ तथा
सिंह (1996)‚ द्वारा प्रकाशित किए गए हैं। 900 किमी लंबी गोमती नदी‚
हिमालय की तलहटी के दक्षिण में गोमठ ताल से निकलती है तथा वाराणसी जिले
में सैदपुर के पास गंगा नदी से मिलने से पहले कटी हुई घाटी के माध्यम से उत्तर
से दक्षिण दिशा की ओर बहती है। नदी अपने रास्ते में दोनों तरफ बड़ी संख्या में
ढलान या टीले बनाती है। फ़्लूवियल (Fluvial)‚ प्राकृतिक प्रक्रियाओं को संदर्भित
करता है‚ जिसके द्वारा नदियाँ अपनी अंतर्निहित भूमि के साथ परस्पर क्रिया
करती हैं। जिसके परिणामस्वरूप चट्टान या तलछट का क्षरण तथा जमाव होता है
और विभिन्न प्रकार की भू-आकृतियाँ बनती हैं। फ़्लूवियल उत्कीर्णन‚ एक नदी को
अंतर्निहित चट्टान या जलोढ़ में काटने के लिए‚ मुख्य रूप से पृथ्वी के भीतर की
हलचल या पिछले जलवायु परिवर्तन के कारण होता है। नदियों द्वारा भूमि का
नीचे की ओर कटाव भी विवर्तनिक गति से भूमि के उत्थान के कारण होता है।
जिसका सबसे अच्छा उदाहरण संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में एरिज़ोना
(Arizona) का ग्रांड कैन्यन (Grand Canyon) है‚ जहां कोलोराडो (Colorado)
नदी ने बड़ी संख्या में रॉक संरचनाओं के अनुक्रम को काट दिया है‚ जो कई
मिलियन वर्षों से धीरे-धीरे उत्थान कर रहा है। एक नदी द्वारा नीचे की ओर
कटाव‚ चाहे वह विवर्तनिक उत्थान या जलवायु परिवर्तन के कारण हो‚ अपने प्रवाह
के दौरान विभिन्न ऊंचाइयों के ढलान या टीले बनाता है।
नदियों द्वारा विभाजित शहरों की श्रेणी में‚ इस्तांबुल (Istanbul) दुनिया का
एकमात्र प्रमुख शहर है जो‚ दो महाद्वीपों में फैला हुआ है। बोस्फोरस
(Bosphorus)‚ जिसे इस्तांबुल की जलडमरूमध्य के रूप में भी जाना जाता है‚
एक संकीर्ण‚ प्राकृतिक जलसंयोगी तथा उत्तर-पश्चिमी तुर्की (Northwestern
Turkey) में स्थित एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण जलमार्ग है।  इसके एक
तरफ यूरोप (Europe) है‚ तथा दूसरे पर एशिया (Asia) है‚ जो अनातोलिया
(Anatolia) को थ्रेस (Thrace) से अलग करके तुर्की को विभाजित करता है।
इस्तांबुल‚ काम के लिए एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में आने के लिए दैनिक
आधार पर विभाजन को सफलतापूर्वक पाटता है। इसके अलावा विभाजित
व्यक्तित्व वाले शहरों में बुडापेस्ट भी शामिल है‚ 200 साल से भी कम समय
पहले हंगरी (Hungary’s) की राजधानी दो शहर हुआ करती थीं‚ बुडा (Buda) और
पेस्ट (Pest)‚ जो शक्तिशाली डेन्यूब (Danube) नदी से विभाजित थे। 19 वीं
सदी का चेन ब्रिज‚ पहाड़ी बुडा को समतल पेस्ट से जोड़ने का कार्य करता है।
अंततः दोनों शहर बुडापेस्ट (Budapest) बनाने के लिए एकजुट हुए‚ दो अलग-
अलग पहचान वाला एक शहर। ऐसे एक अन्य उदाहरण में बोस्निया (Bosnia) में
मोस्टार (Mostar) भी शामिल है‚ जो एक तेज बहने वाली नदी द्वारा दो हिस्सों
में विभाजित है। मोस्टार‚ दक्षिणी बोस्निया और हर्जेगोविना (Herzegovina) में
एक शहर है‚ जो नेरेटा (Neretva) नदी के किनारे स्थित है। बोस्निया के विश्व-
प्रसिद्ध पुराने ब्रिज ने‚ सदियों से मोस्टर की नेरेटा नदी के किनारे पर‚ दो
समुदायों; कैथोलिक क्रोट्स (Catholic Croats) तथा मुस्लिम बोस्नियाक्स
(Muslim Bosniaks) के लोगों को एकजुट किया‚ तथा इसे पूर्व यूगोस्लाविया
(Yugoslavia) में सबसे अधिक जातीय रूप से एकीकृत शहर बना दिया। लेकिन
बाल्कन युद्ध ने पुल को नष्ट कर दिया और 2004 में इसके पुनर्निर्माण के
बावजूद‚ मोस्टार; दो फोन नेटवर्क‚ बिजली कंपनियों‚ डाक सेवा और स्कूल सिस्टम
के साथ विभाजित एक शहर बना हुआ है।
इसके एक
तरफ यूरोप (Europe) है‚ तथा दूसरे पर एशिया (Asia) है‚ जो अनातोलिया
(Anatolia) को थ्रेस (Thrace) से अलग करके तुर्की को विभाजित करता है।
इस्तांबुल‚ काम के लिए एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में आने के लिए दैनिक
आधार पर विभाजन को सफलतापूर्वक पाटता है। इसके अलावा विभाजित
व्यक्तित्व वाले शहरों में बुडापेस्ट भी शामिल है‚ 200 साल से भी कम समय
पहले हंगरी (Hungary’s) की राजधानी दो शहर हुआ करती थीं‚ बुडा (Buda) और
पेस्ट (Pest)‚ जो शक्तिशाली डेन्यूब (Danube) नदी से विभाजित थे। 19 वीं
सदी का चेन ब्रिज‚ पहाड़ी बुडा को समतल पेस्ट से जोड़ने का कार्य करता है।
अंततः दोनों शहर बुडापेस्ट (Budapest) बनाने के लिए एकजुट हुए‚ दो अलग-
अलग पहचान वाला एक शहर। ऐसे एक अन्य उदाहरण में बोस्निया (Bosnia) में
मोस्टार (Mostar) भी शामिल है‚ जो एक तेज बहने वाली नदी द्वारा दो हिस्सों
में विभाजित है। मोस्टार‚ दक्षिणी बोस्निया और हर्जेगोविना (Herzegovina) में
एक शहर है‚ जो नेरेटा (Neretva) नदी के किनारे स्थित है। बोस्निया के विश्व-
प्रसिद्ध पुराने ब्रिज ने‚ सदियों से मोस्टर की नेरेटा नदी के किनारे पर‚ दो
समुदायों; कैथोलिक क्रोट्स (Catholic Croats) तथा मुस्लिम बोस्नियाक्स
(Muslim Bosniaks) के लोगों को एकजुट किया‚ तथा इसे पूर्व यूगोस्लाविया
(Yugoslavia) में सबसे अधिक जातीय रूप से एकीकृत शहर बना दिया। लेकिन
बाल्कन युद्ध ने पुल को नष्ट कर दिया और 2004 में इसके पुनर्निर्माण के
बावजूद‚ मोस्टार; दो फोन नेटवर्क‚ बिजली कंपनियों‚ डाक सेवा और स्कूल सिस्टम
के साथ विभाजित एक शहर बना हुआ है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3zgZZws
https://bit.ly/3nvH7Y2
https://bit.ly/3hz254J
https://bit.ly/3ns0RMm
https://bit.ly/2Xi8b1S
चित्र संदर्भ
1. जौनपुर में स्थित फ़िरोज़शाह का मकबरा और (नीचे) शेवरॉन पैटर्न का एक चित्रण (prarang)
2. जौनपुर के शाही पुल का एक चित्रण (William Hodges)
3. जौनपुर के शाही किले का एक चित्रण (Wikimedia)
4. जौनपुर के शाही किले का एक चित्रण (William Hodges)
 
                                         
                                         
                                         
                                        