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  प्रत्येक वर्ष 12 अप्रैल को अंतरिक्ष यात्री यूरी गगारिन (Yuri Gagarin) द्वारा की गई सबसे पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान की वर्षगांठ के रूप में ‘मानव अंतरिक्ष उड़ान अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ (International Day of Human Space Flight) आयोजित किया जाता है। इस दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा राष्ट्रों और लोगों के कल्याण में वृद्धि करने हेतु मानव जाति के लिए अंतरिक्ष युग की शुरुआत  के रूप में और अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के महत्वपूर्ण योगदान की पुष्टि करने के लिए मनाया जाता है। साथ ही, शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हमारे अंतरिक्ष को कायम रखने की हमारी महत्वाकांक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भी यह दिवस महत्वपूर्ण हैं।
हमारे देश की अंतरिक्ष संस्था ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ (Indian Space Research Organisation (ISRO) के अनुसार, भारत संभवतः इसी वर्ष 2023 में चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उतारने का दूसरा प्रयास कर सकता है। इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने एक समाचार चैनल को बताया कि ‘चंद्रयान -2’ (Chandrayaan-2) की असफलता के कारण, हमें इस बार ‘चंद्रयान 3’ को बहुत सावधानी के साथ नियंत्रित करना होगा तथा यह पूर्ण रूप से त्रुटि रहित होना चाहिए, इसलिए अभी भी इसकी महत्वपूर्ण प्रणालियों का परीक्षण किया जा रहा है। चंद्रयान-3 की डिजाइन चंद्रयान-2 की डिजाइन से कुछ अलग है। चंद्रयान-3 मिशन में एक नया लैंडर और एक रोवर तो शामिल किया गया हैं, लेकिन ऑर्बिटर नहीं।चंद्रयान-3 को चंद्रयान-2 के समान ही, मिशन के निकट-ध्रुवीय क्षेत्र पर उतारने की कोशिश की जाएगी। इसरो का ‘मानव चालकदल युक्त गगनयान’ मिशन (Crewed Gaganyaan Mission) भी तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। ‘हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड’ (Hindustan Aeronautics Ltd) कंपनी द्वारा पिछले साल 4 अप्रैल को ही इसरो को गगनयान के लिए हार्डवेयर का पहला जत्था सौंप दिया गया था। इस यान के लिए सभी प्रणालियों का डिजाइन भी पूरा हो चुका है। भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ ‘15 अगस्त, 2022’ से पहले भारत के पहले चालक दल मिशन को लॉन्च करने के उद्देश्य के साथ गगनयान की घोषणा अगस्त 2018 में ही की जा चुकी थी। किंतु 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण पहले चालक दल मिशन को स्थगित करना पड़ गया था।
इसरो का ‘मानव चालकदल युक्त गगनयान’ मिशन (Crewed Gaganyaan Mission) भी तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है। ‘हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड’ (Hindustan Aeronautics Ltd) कंपनी द्वारा पिछले साल 4 अप्रैल को ही इसरो को गगनयान के लिए हार्डवेयर का पहला जत्था सौंप दिया गया था। इस यान के लिए सभी प्रणालियों का डिजाइन भी पूरा हो चुका है। भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ ‘15 अगस्त, 2022’ से पहले भारत के पहले चालक दल मिशन को लॉन्च करने के उद्देश्य के साथ गगनयान की घोषणा अगस्त 2018 में ही की जा चुकी थी। किंतु 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण पहले चालक दल मिशन को स्थगित करना पड़ गया था। 
गगनयान का परीक्षण अब इस वर्ष होने की उम्मीद है। यदि ये परीक्षण सफल होते हैं, तो पहले चालक दल की उड़ान 2024 में होने की संभावना है। मिशन के अगले चरण के रूप में, इसरो द्वारा मिशन-समापन अनुक्रमों का परीक्षण भी किया जाएगा। इस परीक्षण को यह सत्यापित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है कि लॉन्च के दौरान किसी भी विषम परिस्थिति में आपातकालीन प्रणालियाँ अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम होंगी। भारत द्वारा गगनयान कैप्सूल की कक्षीय परीक्षण उड़ानें आयोजित करने से पहले समापन परीक्षण किए जाएंगे। इस प्रकार के सफल परीक्षण के बाद ही पहला क्रू लॉन्च प्रयास किया जा सकता है। ‘संयुक्त राष्ट्र अमेरिका’ (United States of America) की अंतरिक्ष संस्था ‘नासा’ अर्थात ‘नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (National Aeronautics and Space Administration (NASA) भी आर्टेमस (Artemis) नामक कार्यक्रम, जोकि अंतरिक्ष अभियानों की एक श्रृंखला है, पर कार्यरत है । वर्तमान में नासा द्वारा तीन आर्टेमस मिशन चलाए जा रहे हैं। आर्टेमस-1, जो कि एक चालकदल रहित परीक्षण उड़ान थी, 11 दिसंबर 2022 को पूरी हुई थी। इस मिशन के तहत अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा की परिक्रमा की थी। आर्टेमस-2, चंद्रमा  से परे  एक चालकदल युक्त उड़ान होगी, जो मनुष्यों को अंतरिक्ष में अब तक तय की जा चुकी दूरी से भी आगे ले जाएगी। और आर्टेमस-3, पहली महिला अंतरिक्ष यात्री और पहले अफ्रीकन–अमेरिकन अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर उतारेगा। आर्टेमस-3 मिशन के अंतर्गत चंद्रमा की सतह पर पूरे एक सप्ताह तक वैज्ञानिक अध्ययन भी किए जाएंगे।
‘संयुक्त राष्ट्र अमेरिका’ (United States of America) की अंतरिक्ष संस्था ‘नासा’ अर्थात ‘नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (National Aeronautics and Space Administration (NASA) भी आर्टेमस (Artemis) नामक कार्यक्रम, जोकि अंतरिक्ष अभियानों की एक श्रृंखला है, पर कार्यरत है । वर्तमान में नासा द्वारा तीन आर्टेमस मिशन चलाए जा रहे हैं। आर्टेमस-1, जो कि एक चालकदल रहित परीक्षण उड़ान थी, 11 दिसंबर 2022 को पूरी हुई थी। इस मिशन के तहत अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा की परिक्रमा की थी। आर्टेमस-2, चंद्रमा  से परे  एक चालकदल युक्त उड़ान होगी, जो मनुष्यों को अंतरिक्ष में अब तक तय की जा चुकी दूरी से भी आगे ले जाएगी। और आर्टेमस-3, पहली महिला अंतरिक्ष यात्री और पहले अफ्रीकन–अमेरिकन अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर उतारेगा। आर्टेमस-3 मिशन के अंतर्गत चंद्रमा की सतह पर पूरे एक सप्ताह तक वैज्ञानिक अध्ययन भी किए जाएंगे।
आर्टेमस-3, वर्ष 1972 में अपोलो-17( Apollo-17) मिशन के बाद, नासा का पहला मानव चालक युक्त चांद पर उतरने का (Moon landing) मिशन होगा। दरअसल, नासा के भविष्य के लिए लक्ष्य और भी अधिक महत्वाकांक्षी हैं। आर्टेमस मिशन के दौरान विकसित प्रौद्योगिकी और अनुसंधान का उपयोग करके, नासा द्वारा भविष्य में मंगल ग्रह पर भी चालक दल मिशन को लॉन्च करने का उद्देश्य साधने की कोशिश की जा रही है। नासा का लक्ष्य  आर्टेमस मिशन के साथ चंद्रमा पर जाना ‘और वहां रहना’ भी है। इस ‘मून टू मार्स (Moon to Mars)’ योजना में चांद की कक्षा (Orbit) में एक नया अंतरिक्ष स्टेशन और अंततः चंद्रमा की सतह पर एक रहने योग्य आधार का निर्माण करना शामिल है। हालांकि फिलहाल, उनका प्राथमिक लक्ष्य मनुष्यों को चंद्रमा पर वापस उतारना ही है। वर्ष 2020 में ही नासा ने ‘आर्टेमस टीम (Artemis team)' अर्थात मानव अंतरिक्ष यात्रियों के संघ की घोषणा कर दी थी। लेकिन अब ये मिशन वर्ष 2025 तक ही पूर्ण होगा। इंजन के मुद्दों और उष्णकटिबंधीय तूफानों के कारण रद्द किए गए चार लॉन्च प्रयासों के बाद, आर्टेमस-1 को कैनेडी स्पेस सेंटर (Kennedy Space Centre) से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। आर्टेमस-2, जो की एक अग्रणी चालक दल वाला अंतरिक्ष यान होगा; मनुष्यों को अंतरिक्ष में ले जाएगा। एसएलएस (SLS) रॉकेट द्वारा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए जाने के बाद, चार मानव अंतरिक्ष यात्रियों का चालक दल चंद्रमा के सुदूर भाग में 7402 किलोमीटर दूर ओरियन (Orion) यान को उड़ाएंगे, जो चंद्रमा के इर्दगिर्द एक उड़ान पूरा करेगा और फिर पृथ्वी पर लौट आएगा। इस मिशन को पूरा करने में आठ से दस दिन लगेंगे।
इंजन के मुद्दों और उष्णकटिबंधीय तूफानों के कारण रद्द किए गए चार लॉन्च प्रयासों के बाद, आर्टेमस-1 को कैनेडी स्पेस सेंटर (Kennedy Space Centre) से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। आर्टेमस-2, जो की एक अग्रणी चालक दल वाला अंतरिक्ष यान होगा; मनुष्यों को अंतरिक्ष में ले जाएगा। एसएलएस (SLS) रॉकेट द्वारा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए जाने के बाद, चार मानव अंतरिक्ष यात्रियों का चालक दल चंद्रमा के सुदूर भाग में 7402 किलोमीटर दूर ओरियन (Orion) यान को उड़ाएंगे, जो चंद्रमा के इर्दगिर्द एक उड़ान पूरा करेगा और फिर पृथ्वी पर लौट आएगा। इस मिशन को पूरा करने में आठ से दस दिन लगेंगे।
इसके बाद नासा का आर्टेमस-3 यानी कि, चंद्रमा पर तीसरा मिशन होगा। इस मिशन के दौरान ओरियन यान में मौजूद चार अंतरिक्ष यात्री 30 दिनों तक अंतरिक्ष में रहेंगे। मानव लैंडिंग प्रणाली तब दो अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ले जाएगी। इस मिशन में भी वैज्ञानिक अध्ययन शामिल होंगे। फिलहाल नासा मुख्य रूप से आर्टेमस मिशन 1से3 पर ही अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है, लेकिन भविष्य की परियोजनाओं के लिए भी आगे देख रहा है।
नासा और इसरो वर्तमान में मानव चालक युक्त अंतरिक्ष अभियानों पर लक्ष्य केंद्रित कर रहे हैं। आइए, इस रुझान के कारण जानते है। अंतरिक्ष की अद्वितीय स्थितियों का दोहन करके, वैज्ञानिकों ने भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान में कई मूलभूत प्रक्रियाओं की जांच करना शुरू कर दिया है। अंतरिक्ष शटल (Space Shuttle) और अंतरिक्ष स्टेशनों पर किए गए प्रयोगों ने पहले से ही नए सिद्धांतों के विकास और नई घटनाओं की खोज में योगदान दिया है, जो अनुप्रयोगों के लिए अच्छी संभावनाएं पेश करते हैं। ये प्रयोग हमारे मानव समाज को समग्र रूप से लाभान्वित करते हैं। इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन’ पर कोलंबस (Columbus) प्रयोगशाला की स्थापना की गई है जो अत्याधुनिक वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी अनुसंधान करने में यूरोपीय देशों की क्षमता को दर्शाती है।  कोलंबस प्रयोगशाला की सहायता से वैज्ञानिकों के लिए अनुसंधान हेतु सुविधाओं और समय की उपलब्धता में काफी वृद्धि हो जाती है। यह प्रयोगशाला अंतरिक्ष-आधारित अनुसंधान के लिए कम से कम एक दशक तक चलने का अवसर भी प्रदान करती है, जबकि इससे पहले पिछले मिशनों पर यह अधिकतम सिर्फ दो सप्ताह तक ही प्रयोग किए जा सकते थे।
कोलंबस प्रयोगशाला की सहायता से वैज्ञानिकों के लिए अनुसंधान हेतु सुविधाओं और समय की उपलब्धता में काफी वृद्धि हो जाती है। यह प्रयोगशाला अंतरिक्ष-आधारित अनुसंधान के लिए कम से कम एक दशक तक चलने का अवसर भी प्रदान करती है, जबकि इससे पहले पिछले मिशनों पर यह अधिकतम सिर्फ दो सप्ताह तक ही प्रयोग किए जा सकते थे।
साथ ही, इस प्रयोगशाला की सहायता से मानव अंतरिक्ष यात्री यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि प्रत्येक प्रयोग ठीक से संचालित हो रहा  है और कोई भी कार्यक्रम स्थापित मानदंडों के अनुसार कार्य कर रहा है। अंतरिक्ष मिशन में केवल प्रयोग के समय ही नहीं बल्कि संचालन के समय भी मानव चालक दल की भागीदारी आवश्यक होती है क्योंकि वे देखी गई घटनाओं के अनुसार मापदंडों को समायोजित कर सकते हैं; पृथ्वी पर जांचकर्ताओं के साथ बातचीत कर सकते हैं और नए प्रयोगों के लिए मापांक का आदान-प्रदान भी कर सकते हैं। साथ ही, जैव चिकित्सा अनुसंधान के मामले में, अंतरिक्ष यात्री स्वयं एक परीक्षण विषय के रूप में काम कर सकते हैं।
  
  
संदर्भ  
https://bit.ly/3K9srYn  
https://bit.ly/40F7XxP  
https://bit.ly/3MfXBAb  
  
चित्र संदर्भ  
1. चंद्रयान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)  
2. ‘चंद्रयान 3 को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)  
3. आईएसी 2021 में गगनयान उड़ान सूट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)  
4. आर्टेमिस तृतीय सेवा मॉड्यूल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)  
5. चंद्रयान 2 को दर्शाता चित्रण (wikimedia)  
 
                                         
                                         
                                        