 
                                            समय - सीमा 268
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                                              पवित्र ज्यामिति (Sacred Geometry), प्रकृति में पाई जाने वाली पवित्र आकृतियों और पैटर्नों (Patterns) के अध्ययन को कहा जाता है। इन आकृतियों और पैटर्न को किसी दिव्य या उच्च शक्ति का प्रतिबिंब माना जाता है। पवित्र ज्यामिति कई अलग-अलग वस्तुओं और स्थानों में खोजी जा सकती है!
 इनमें फूलगोभी के सर्पिल, हमारे डीएनए (DNA) का आकार, समुद्री सीपियाँ और दूर की आकाशगंगाओं का माप आदि शामिल है। ऐसा माना जाता है कि पवित्र ज्यामिति, मानव आँख द्वारा देखी जा सकने वाली चीज़ों से कहीं आगे तक फैली हुई है! ये सेलुलर स्तर के साथ-साथ सितारों और ग्रहों जैसे आकाशीय पिंडों में भी विद्यमान है। एक बार जब आप पवित्र ज्यामितियों को देखना शुरू कर देंगे, तो आप इन्हें हर जगह देखने लगेंगे। यह हमारे आसपास की दुनिया को समझने का एक आकर्षक और सुंदर तरीका है।  पवित्र ज्यामिति इस विश्वास को बढ़ावा देती है कि “ब्रह्मांड में सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है।” प्रकृति में देखे जाने वाले अनेक रूपों को ज्यामिति से जोड़ा जा सकता है। उदाहरण के लिए, मधुमक्खियाँ अपने शहद को संग्रहित करने के लिए षटकोणीय कोशिकाएँ बनाती हैं; चर्चों, मंदिरों, मस्जिदों, पवित्र स्मारकों, वेदियों और मंडपों जैसी धार्मिक इमारतों के निर्माण में भी प्रयुक्त ज्यामिति को अक्सर पवित्र माना जाता है।  हमारे दैनिक जीवन में सामने आने वाले इन पैटर्नों को देखने से हमें आराम और शांति की अनुभूति हो सकती है।
पवित्र ज्यामिति इस विश्वास को बढ़ावा देती है कि “ब्रह्मांड में सब कुछ आपस में जुड़ा हुआ है।” प्रकृति में देखे जाने वाले अनेक रूपों को ज्यामिति से जोड़ा जा सकता है। उदाहरण के लिए, मधुमक्खियाँ अपने शहद को संग्रहित करने के लिए षटकोणीय कोशिकाएँ बनाती हैं; चर्चों, मंदिरों, मस्जिदों, पवित्र स्मारकों, वेदियों और मंडपों जैसी धार्मिक इमारतों के निर्माण में भी प्रयुक्त ज्यामिति को अक्सर पवित्र माना जाता है।  हमारे दैनिक जीवन में सामने आने वाले इन पैटर्नों को देखने से हमें आराम और शांति की अनुभूति हो सकती है।  द सोल सर्चर्स हैंडबुक (The Soul Searcher's Handbook) की लेखिका एम्मा मिल्डन (Emma Milden) बताती हैं, कि पवित्र ज्यामिति मूल रूप से प्राकृतिक सद्भाव की भावना जुड़ी होती है। इस अवधारणा को अपने जीवन में अधिक सक्रिय रूप से शामिल करने के लिए, आप पवित्र ज्यामिति से निर्मित  तावीज़ों और प्रतीकों का उपयोग कर सकते हैं। पवित्र ज्यामिति से बनाए गए विभिन्न पैटर्न ध्यान के दौरान ध्यान के बिंदु के रूप में काम कर सकते हैं। इन स्थितियों से जुड़ने के लिए, आप पवित्र ज्यामितीय प्रतीकों वाले आभूषण भी पहन सकते हैं।
चलिए पवित्र ज्यामिति में विभिन्न आकृतियों के अर्थों को बेहतर ढंग से समझने के लिए कुछ सामान्य आकृतियों को देखते हैं:
द सोल सर्चर्स हैंडबुक (The Soul Searcher's Handbook) की लेखिका एम्मा मिल्डन (Emma Milden) बताती हैं, कि पवित्र ज्यामिति मूल रूप से प्राकृतिक सद्भाव की भावना जुड़ी होती है। इस अवधारणा को अपने जीवन में अधिक सक्रिय रूप से शामिल करने के लिए, आप पवित्र ज्यामिति से निर्मित  तावीज़ों और प्रतीकों का उपयोग कर सकते हैं। पवित्र ज्यामिति से बनाए गए विभिन्न पैटर्न ध्यान के दौरान ध्यान के बिंदु के रूप में काम कर सकते हैं। इन स्थितियों से जुड़ने के लिए, आप पवित्र ज्यामितीय प्रतीकों वाले आभूषण भी पहन सकते हैं।
चलिए पवित्र ज्यामिति में विभिन्न आकृतियों के अर्थों को बेहतर ढंग से समझने के लिए कुछ सामान्य आकृतियों को देखते हैं: १. त्रिभुज: पवित्र ज्यामिति में त्रिभुजों को संतुलन और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है। तीन-तरफा आकृति का संबंध, शरीर, मन और आत्मा से भी हो सकता है और ऊपर की ओर मुख वाले बिंदु के साथ, यह चेतना को ऊपर उठाने का संकेत देता है।
१. त्रिभुज: पवित्र ज्यामिति में त्रिभुजों को संतुलन और सद्भाव का प्रतीक माना जाता है। तीन-तरफा आकृति का संबंध, शरीर, मन और आत्मा से भी हो सकता है और ऊपर की ओर मुख वाले बिंदु के साथ, यह चेतना को ऊपर उठाने का संकेत देता है। २. वृत्त: वृत्तों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि इनकी कोई शुरुआत या कोई अंत ही नहीं है, इसलिए वे कभी न ख़त्म होने वाले चक्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस प्रकार, पवित्र ज्यामिति में वृत्तों को एकता का प्रतीक माना जा सकता है।
२. वृत्त: वृत्तों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि इनकी कोई शुरुआत या कोई अंत ही नहीं है, इसलिए वे कभी न ख़त्म होने वाले चक्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस प्रकार, पवित्र ज्यामिति में वृत्तों को एकता का प्रतीक माना जा सकता है। ३.वर्ग:  पवित्र ज्यामिति में वर्ग एक बहुत ही व्यावहारिक और ठोस ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए इस आकार को मूलभूत और भरोसेमंद माना जा सकता है। यह बहुत स्थिर और सुरक्षित होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि संगीत में सुरों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण भी पवित्र ज्यामिति पर ही आधारित है। इन स्वरों के कंपन हमारे शरीर विज्ञान को प्रभावित कर सकते हैं, यही कारण है कि विभिन्न प्रकार के संगीत सुनते समय हम अलग-अलग भावनाएं महसूस करते हैं।
३.वर्ग:  पवित्र ज्यामिति में वर्ग एक बहुत ही व्यावहारिक और ठोस ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए इस आकार को मूलभूत और भरोसेमंद माना जा सकता है। यह बहुत स्थिर और सुरक्षित होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि संगीत में सुरों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण भी पवित्र ज्यामिति पर ही आधारित है। इन स्वरों के कंपन हमारे शरीर विज्ञान को प्रभावित कर सकते हैं, यही कारण है कि विभिन्न प्रकार के संगीत सुनते समय हम अलग-अलग भावनाएं महसूस करते हैं।
पवित्र ज्यामिति की भांति ही भग्न या फ्रैक्टल ज्यामिति (Fractal Geometry) के अंतर्गत भी आकृतियों और पैटर्न का अध्ययन किया जाता है, लेकिन दोनों की उत्पत्ति और अनुप्रयोग अलग-अलग हैं। फ्रैक्टल ज्यामिति शब्द पोलैंड (Poland) में जन्मे, फ्रांसीसी-अमेरिकी गणितज्ञ बेनोइट मैंडेलब्रॉट (Mandelbrot) द्वारा पेश किया गया था।  क्या आप जानते हैं कि भारतीय कला और वास्तुकला में  फ्रैक्टल ज्यामिति का उपयोग पिछले 1700 वर्षों से किया जा रहा है? इसका उपयोग मंदिरों के विस्तृत डिज़ाइन बनाने के लिए किया गया है। मंदिर संरचना के प्रत्येक तत्व को फ्रैक्टल ज्यामिति का उपयोग करके ही डिजाइन किया गया था। 11वीं शताब्दी ईस्वी में बने खजुराहो के कंदरिया महादेव मंदिर के शिखर का डिज़ाइन फ्रैक्टल ज्यामिति का उपयोग करके ही बनाया गया था। इस मंदिर के पानी के टैंक की सीढ़ियाँ भी फ्रैक्टल पैटर्न का उपयोग करके डिजाइन किए गए थे। इसी तरह का एक पैटर्न लगभग एक हजार साल पहले बनाए गए गुजरात के मोढेरा में सूर्य मंदिर के पानी के टैंक की सीढ़ियों पर देखा जा सकता है। देखा जाए तो बाकी दुनियां पिछले 50 वर्षों से फ्रैक्टल ज्यामिति का उपयोग कर रही है, लेकिन भारतीय कला और वास्तुकला में इसका उपयोग कम से कम 1700 वर्षों से बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। भारतीय गणित विश्व के लिए एक अनमोल देन है।
क्या आप जानते हैं कि भारतीय कला और वास्तुकला में  फ्रैक्टल ज्यामिति का उपयोग पिछले 1700 वर्षों से किया जा रहा है? इसका उपयोग मंदिरों के विस्तृत डिज़ाइन बनाने के लिए किया गया है। मंदिर संरचना के प्रत्येक तत्व को फ्रैक्टल ज्यामिति का उपयोग करके ही डिजाइन किया गया था। 11वीं शताब्दी ईस्वी में बने खजुराहो के कंदरिया महादेव मंदिर के शिखर का डिज़ाइन फ्रैक्टल ज्यामिति का उपयोग करके ही बनाया गया था। इस मंदिर के पानी के टैंक की सीढ़ियाँ भी फ्रैक्टल पैटर्न का उपयोग करके डिजाइन किए गए थे। इसी तरह का एक पैटर्न लगभग एक हजार साल पहले बनाए गए गुजरात के मोढेरा में सूर्य मंदिर के पानी के टैंक की सीढ़ियों पर देखा जा सकता है। देखा जाए तो बाकी दुनियां पिछले 50 वर्षों से फ्रैक्टल ज्यामिति का उपयोग कर रही है, लेकिन भारतीय कला और वास्तुकला में इसका उपयोग कम से कम 1700 वर्षों से बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। भारतीय गणित विश्व के लिए एक अनमोल देन है।
संदर्भ 
https://tinyurl.com/yse9kd5u
https://tinyurl.com/2822rjdu
https://tinyurl.com/yu4kur7t
https://tinyurl.com/ye244fs2
चित्र संदर्भ
1. डीएनए और घोंघे के खोल को दर्शाता एक चित्रण (StockVault,staticflickr)
2. नॉटिलस के खोल के लघुगणकीय सर्पिल विकास को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. रेत के मंडल का निर्माण करते तिबत्ती बौद्ध को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. त्रिभुज को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)
5. वृत्त को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. वर्ग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. मोढेरा में सूर्य मंदिर के पानी के टैंक की सीढ़ियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)  
 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        