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स्वामी विवेकानन्द भारत के सबसे लोकप्रिय हिंदू भिक्षुओं और आध्यात्मिक नेताओं में से एक थे। पश्चिमी देशों में उन्हें वेदांत और योग की शुरूआत करने वाला एक प्रमुख व्यक्ति माना जाता है। इसके साथ ही उन्हें हिंदू धर्म की प्रतिष्ठा को विश्व धर्म के रूप में स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। नरेंद्रनाथ दत्त के रूप में जन्में स्वामी विवेकानन्द 19वीं सदी के रहस्यवादी संत रामकृष्ण परमहंस के मुख्य शिष्य और रामकृष्ण मिशन के संस्थापक थे।
उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो (Chicago) में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म
सभा में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण की शुरुआत “मेरे अमेरिकी भाइयों एवं बहनों” के साथ करने के लिए जाना जाता
है। उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था। कलकत्ता के एक कुलीन
परिवार में जन्मे स्वामी विवेकानन्द चिंतन, भक्ति व तार्किकता, भौतिक एवं बौद्धिक श्रेष्ठता आदि के साथ-साथ संगीत की प्रतिभा के धनी भी थे। इस वर्ष विश्व
धर्म संसद में उनके प्रसिद्ध भाषण की 130वीं वर्षगांठ है। तो आइए इस मौके पर देखें
और याद करें उनकी बातें।
संदर्भ:
 
                                         
                                         
                                         
                                        