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यह मकबरा नवाब सआदत अली खाँ (1798-1814) के पुत्र तथा उत्तराधिकारी बादशाह गाजीउद्दीन हैदर (1814-1827) द्वारा अपने पिता के लिये बनवाया गया था। यह मकबरा उसी स्थान पर बनाया गया है जहाँ स्वयं युवराज गाज़ीउद्दीन हैदर निवास किया करते थे। लखौरी ईंटों से इस मकबरे का निर्माण किया गया है जिसके ऊपर चूने के मसाले से पलस्तर तथा अलंकरण किया गया है। इस मकबरे का मुख्य गुम्बद कमरखनुमा है।
इस मकबरे के मुख्य कमरे का आकार अष्टकोणीय है और इसमें काले व सफेद संगमरमर के चौंकों की शतरंजी फर्श है जो कि यूरोपीय कला से प्रेरित है। ऐसी चौंकों का प्रयोग फ्रीमेसंस (Freemasons) द्वारा किया जाता है तथा ऐसी चौकों के प्रयोग का श्रेय भी फ्रीमेसन को जाता है। दिल्ली व अन्य कई स्थानों पर इस काल की कई इमारतों में इसका प्रयोग देखने को मिल जाता है।
नवाब को फर्श पर उत्तर-दक्षिण की दिशा में चिन्हित स्थान के ठीक नीचे तहखाने में दफनाया गया था। नवाब सआदत अली खाँ और उनके भाइयों की कब्र तक पहुँचने के लिये अलग से एक सीढ़ीदार संकरा रास्ता है। इस मकबरे के पिछले बरामदे में नवाब की तीन बेगमों की कब्रे हैं तथा पूर्वी कमरे में नवाब की तीन लड़कियाँ दफनाई गयी हैं। यह मकबरा देखने में अत्यन्त ही खूबसूरत बनाया गया है तथा इसका गुम्बद किसी महल के गुम्बद की तरह प्रतीत होता है।
1. उत्तर प्रदेश पर्यटन, लखनऊ नवाब सआदत अली खाँ मकबरा
2. http://freemasoninformation.com/2009/03/the-checkered-flooring/