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1947 में भारत को जब नई-नई स्वतंत्रता मिली थी, उस समय भारत के अधिकांश उद्योग भी छोटे बच्चे के पहले कदमों की भांति विभिन्न क्षेत्रों में धीरे-धीरे अपने पांव जमाने की कोशिश कर रहे थे। इसी जद्दोजहद के बीच ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के उत्तरी भाग में, राउरकेला (Rourkela) नामक एक सुनियोजित शहर बसाया गया। आज इसे ओडिशा की स्टील सिटी (Steel City) यानी इस्पात नगर के नाम से जाना जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक प्रयोगात्मक तौर पर बसाए गए इस शहर में प्रति वर्ष 20.05 मिलियन टन स्टील का उत्पादन किया जाता है, जो भारत की स्टील आवश्यकताओं के 3-4% पूरा करता है। चलिए आज राउरकेला के रोमांचक इतिहास और आर्थिक तरक्की से जुड़े विभिन्न दिलचस्प तथ्यों को समझने का प्रयास करते हैं।
ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र होने के बाद, भारत सरकार ने यह महसूस किया कि देश की अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए देश का औद्योगिकीकरण करना बहुत ज़रूरी है। इसलिए लंबे समय के व्यापक शोध के बाद, राउरकेला शहर को प्रमुख उद्योगों की स्थापना के लिए सबसे बेहतर विकल्प के रूप में चुना गया। इस तरह ओडिशा राज्य के सुंदरगढ़ ज़िले में स्थित राउरकेला देश के सबसे महत्वपूर्ण औद्योगिक शहरों में से एक बन गया। शुरुआत में, यह क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ था, लेकिन समय के साथ टाउनशिप (township) और आसपास के क्षेत्र का विकास होने लगा और शहर तरक्की की नई-नई ऊँचाइयों को छूने लगा।
राउरकेला कई प्रमुख ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है।
इन घटनाओं में शामिल है:
1918: ओडिशा में पहली रेलवे लाइन बिछाई गई, जिसमें बीएनआर कंपनी (BNR Company) ने नागपुर और हावड़ा के बीच ट्रेन सेवा शुरू की जो राउरकेला से होकर गुजरती थी। इससे शहर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।
1948: सुंदरगढ़ जिले को राउरकेला से अलग कर दिया गया, जिसके बाद ओडिशा के नक्शे में एक बड़ा बदलाव देखा गया था।
1952: जर्मन कंपनियों डेमैग और क्रुप्स (Demag and Krupps) ने राउरकेला स्टील प्लांट (Rourkela Steel Plant) की स्थापना की, जो इस क्षेत्र के विकास में एक मील का पत्थर साबित हुआ और जिसने शहर को एक नई पहचान दी।
1959: भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति के द्वारा राउरकेला स्टील प्लांट में पहली ब्लास्ट फर्नेस (Blast Furnace) का उद्घाटन किया गया, जो उत्पादन की आधिकारिक शुरुआत थी।
1961: ओडिशा में दूसरा इंजीनियरिंग कॉलेज, क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज (Regional Engineering College) (जिसे बाद में एनआईटी (NIT) नाम दिया गया) राउरकेला में स्थापित किया गया।
1995: राउरकेला स्टील टाउनशिप को एक औद्योगिक टाउनशिप (industrial township) घोषित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप राउरकेला विकास प्राधिकरण (Rourkela Development Authority) का गठन हुआ।
राउरकेला स्टील प्लांट (RSP) ओडिशा के राउरकेला शहर में स्थित है। यह भारत का पहला सार्वजनिक क्षेत्र का एकीकृत स्टील प्लांट (integrated steel plant) था, जिसे 1960 के दशक में जर्मन सहयोग से स्थापित किया गया था। राउरकेला स्टील प्लांट चार लौह अयस्क खदानों - बोलानी (Bolani), बरसुआन (Barsuan), काल्टा (Kalta) और तालडीही (Taldihi) का संचालन करता है। इन खदानों की संयुक्त वार्षिक क्षमता 20.05 मिलियन टन है। यहाँ से न केवल राउरकेला स्टील प्लांट को बल्कि अन्य ग्राहकों को भी कच्चा माल उपलब्ध कराया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में, प्लांट ने अपनी क्षमता का विस्तार किया है और अपने संचालन को आधुनिक बनाया है।
RSP की स्थापना के लिए कई आदिवासी परिवारों को अपनी पैतृक भूमि और आजीविका से विस्थापित होना पड़ा था, ताकि स्टील प्लांट और आसपास की टाउनशिप के लिए रास्ता बनाया जा सके।
राउरकेला स्टील प्लांट की उत्पादन क्षमता (प्रति वर्ष मिलियन टन में) निम्न सारणी में दी गई है:
| उत्पादन क्षमता (मिलियन टन प्रति वर्ष) | विस्तार से पहले | विस्तार के बाद |
|---|---|---|
| हॉट मेटल (Hot Metal) | 2 | 4.5 |
| क्रूड स्टील (Crude Steel) | 1.9 | 4.2 |
| बिक्री योग्य स्टील (Saleable Steel) | 1.67 | 3.9 |
यदि हम हालिया सुधारों की बात करें तो राउरकेला स्मार्ट सिटी लिमिटेड (Rourkela Smart City Limited) ने राउरकेला शहर को चरणों में स्मार्ट सिटी (Smart City) में बदलने की योजना बनाई है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए निगरानी प्रणाली (surveillance system), ट्रैफ़िक एनालिटिक्स (traffic analytics), ई-गवर्नेंस (e-governance) और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (solid waste management) जैसी स्मार्ट तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। इस परियोजना की कुल लागत लगभग 110 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। परियोजना के लिए निविदा प्रक्रिया अप्रैल 2022 में शुरू हो गई थी। इस प्रक्रिया के पहले चरण में, राउरकेला में स्मार्ट सिटी समाधानों को लागू करने के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL (Bharat Electronics Limited)) का चयन किया गया है।
दरअसल एक भूतहा शहर, सुनसान शहर या परित्यक्त शहर ऐसी जगह को कहा जाता है, जहाँ पहले लोग रहते थे लेकिन अब वे वहां की इमारतें और सड़कों को छोड़कर चले गए हैं। जब खेती या खनन जैसे रोजगार या आय का मुख्य स्रोत बंद हो जाता है तो शहर अक्सर भूतहा शहर ही बन जाते हैं। शहर के त्यागने के अन्य कारणों में प्राकृतिक आपदाएँ (जैसे बाढ़ या सूखा), अत्यधिक मौसम, सरकारी कार्रवाई, अपराध, युद्ध, प्रदूषण या परमाणु दुर्घटनाएँ भी शामिल हैं। कभी-कभी, "भूतहा शहर" उन जगहों को भी संदर्भित कर सकता है जहाँ अभी भी लोग रहते हैं लेकिन उनकी संख्या पहले की तुलना में बहुत कम रह गई है। हालांकि भूतहा शहर लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी हो सकते हैं, क्योंकि वहां पुरानी इमारतें होती हैं, जो दिखाती हैं कि यहाँ पर जीवन कैसा हुआ करता था?
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