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गर्मियां आते ही कुछ शीतल खाने को मन विचलित हो उठता है। ऐसे में ककड़ी, खरबूज, खीरा आदि कितने ही फल और सब्जियां मन में आ जाती हैं। उन्ही में से एक है तरबूज। तरबूज अपने स्वाद, रंग और गुण तीनों के लिए जाना जाता है। इसको काट कर, जूस बनाकर या मिल्क शेक बनाकर प्रयोग में लाया जाता है। लखनऊ में गर्मियों में पारा आसमान छूने लगता है तथा सूरज की तपिश से उभरने के लिए तरबूज से उत्तम फल कोई और नहीं दिखाई देता।
जैसा की लखनऊ गंगा के मैदानी इलाके में आता है तथा सई और गोमती यहाँ की प्रमुख नदियाँ हैं तो यहाँ पर कृषि कार्य अत्यंत बड़े पैमाने पर किया जाता है। लखनऊ के नदीय भागों में तरबूज की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। लखनऊ में गोंडा और बहराइच से भी बड़े पैमाने पर तरबूज बिकने के लिए आता है। तरबूज पादप जगत की वनस्पति है तथा यह पुष्पीय पादप (Angiosperms) प्रकार का पौधा होता है। इसका गण कुकुरबिटालीज़ (Cucurbitales) गण का सदस्य है।
तरबूज के कई औषधीय गुण होते हैं जो कि विभिन्न बिमारियों से शरीर को लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं। इसमें प्रोटीन, विटामिन, जल आदि बड़े पैमाने पर पाए जाते हैं जो शरीर के लिए अत्यंत जरूरी होते हैं। प्रति एक किलो तरबूज में 130 किलो कैलोरी ऊर्जा पाई जाती है। पूरे विश्व में तरबूज की 11 किस्में और प्रजातियाँ पायी जाती हैं जो अपने उत्पाद व संरचना के आधार पर विभाजित हैं। लखनऊ में मुख्य रूप से तीन प्रकार के तरबूज पाए जाते हैं। गोल तरबूज, लम्बा और गोलाई वाला तरबूज ये दोनों मुख्य रूप से काले रंग के होते हैं तीसरा प्रकार भी गोल और लम्बा ही होता है परन्तु इनका रंग हरा होता है और उनपर हलके सफ़ेद रंग की पट्टियाँ बनी हुयी होती हैं।
1.http://www.upsbdb.org/pdf/2014/09/Books/3-Curcurbits-Biodiversity_Breeding_and_Production_in_Uttar_Pradesh.pdf
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Watermelon