
समयसीमा 245
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 1006
मानव व उसके आविष्कार 801
भूगोल 223
जीव - जन्तु 286
लखनऊ वासियों, क्या आप जानते हैं कि, हमारे देश में दुनिया की सबसे बड़ी पशुधन (livestock) आबादी है। 2019 में की गई बीसवीं पशुधन गणना के अनुसार, भारत में कुल 535.78 मिलियन पालतू जानवर हैं। 2012 की पशुधन गणना की तुलना में, यह 4.6% की वृद्धि है। इसके अलावा, इसी गणना के अनुसार भारत की कुल गोजातीय आबादी (मवेशी, भैंस, मिथुन और याक), 302.79 मिलियन थी। उस समय के दौरान, हमारे लखनऊ ज़िले में कुल 280140 गायें और 274625 भैंसें थीं। यह कहते हुए जान लें कि, “मवेशी” (cattle) शब्द, विशेष रूप से पालतू गोजातीय जानवरों (जैसे कि, गाय और बैल) को संदर्भित करता है। जबकि “पशुधन” एक व्यापक शब्द है, जो मवेशियों सहित, भेड़, बकरियां, सूअर, घोड़े और पोल्ट्री, आदि सभी पालतू जानवरों को संदर्भित करता है। इसलिए आज, आइए उत्तर प्रदेश में मवेशियों की वर्तमान स्थिति के बारे में कुछ महत्वपूर्ण विवरण देखें। फिर, हम भारत के पशुधन क्षेत्र के व्यापक आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालेंगे, और जानेंगे कि यह देश में लाखों लोगों की आजीविका का समर्थन कैसे करता है। उसके बाद, हम 2019 में हुई भारत की बीसवीं पशुधन गणना (20th Livestock Census) के अनुसार, लखनऊ ज़िले में पशुधन आबादी पर नज़र डालेंगे। अंत में, हम जांच करेंगे कि, कैसे तकनीकी नवाचार एवं प्रौद्योगिकियां, भारत के पशुधन क्षेत्र के भविष्य को बदल रही हैं।
हमारे राज्य उत्तर प्रदेश में मवेशियों की वर्तमान स्थिति:
बीसवीं पशुधन गणना, 2019 के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 1.90 करोड़ से अधिक मवेशी हैं, जिनमें 62,04,304 दुधारू गायें और 23,36,151 आम गायें शामिल हैं। 2012 में हुई पिछली गणना की तुलना में, 2019 में स्वदेशी मादा मवेशियों की आबादी में 10% की वृद्धि हुई। एक तरफ़, विदेशी और संकर मवेशियों की आबादी, 2012 से 2019 तक 26.9% बढ़ गई।
भारत के पशुधन क्षेत्र के आर्थिक महत्व की खोज:
पशुधन, भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लगभग 20.5 मिलियन भारतीय लोग अपनी आजीविका के लिए पशुधन पर निर्भर हैं। सभी छोटे किसान घरों की आय में, पशुधन ने 16% का योगदान दिया हैं। यह क्षेत्र दो-तिहाई ग्रामीण समुदाय को आजीविका प्रदान करता है, इस प्रकार, यह भारत में लगभग 8.8% आबादी को रोज़गार प्रदान करता है।
राष्ट्रीय आय, खपत व्यय और राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय के 2021-22 के लिए, पूंजी निर्माण के पहले संशोधित अनुमान के अनुसार, पशुधन क्षेत्र का सकल मूल्य लगभग 12,27,766 करोड़ रुपए था। पशुधन क्षेत्र का स्थिर कीमतों पर सकल मूल्य, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान, लगभग 6,54,937 करोड़ रुपए था, जो ‘कृषि और संबद्ध क्षेत्र सकल मूल्य’ का लगभग 30.47% है।
बीसवीं पशुधन गणना के आधार पर, हमारे लखनऊ ज़िले में पशुधन आबादी:
श्रेणी | आबादी |
संकर गाय | 41682 |
स्वदेशी गाय | 238458 |
कुल गाय | 280140 |
भैंस | 274625 |
बकरी | 182769 |
भेड़ | 1878 |
सूअर | 25697 |
खरगोश | 1416 |
मुर्गी | 25745 |
बत्तख | 18162 |
अन्य | 2190 |
तकनीकी नवाचार भारत के पशुधन क्षेत्र को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं?
•सटीक पशुधन खेती (Precision Livestock Farming):
सटीक पशुधन खेती, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (Artificial intelligence), इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (Internet of Things) और डेटा एनालिटिक्स (Data analytics) जैसी अत्याधुनिक तकनीकों को एकीकृत करके, इस क्षेत्र का रूप बदल रहा है।
आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एल्गोरिदमों और इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स उपकरणों का उपयोग, अब वास्तविक समय में पालतू जानवरों के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए किया जा रहा है। पशुधन कृषि में प्रयुक्त किए गए सेंसर (Sensor), जानवरों की हृदय गति, शरीर के तापमान और गतिविधि के स्तर, जैसे महत्वपूर्ण संकेतों को ट्रैक कर सकते हैं। यह डेटा, मशीन लर्निंग एल्गोरिदमों (Machine learning algorithms) का उपयोग करके संसाधित किया जाता है, जिससे रोगों का उनके प्रारंभिक चरण में ही पता लगाने और खाद्य प्रथाओं के अनुकूलन की अनुमति मिलती है। उदाहरण के लिए, डेयरी कृषि में इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स उपकरण, जानवरों द्वारा दूध देने की प्रक्रिया को ट्रैक कर सकते हैं, और दूध की उपज की निगरानी कर सकते हैं। जबकि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस तंत्र, दुग्दपान पैटर्न की निगरानी करते हैं, जिससे दूध उत्पादन की समग्र दक्षता में सुधार होता है।
•जीनोमिक प्रौद्योगिकी (Genomic Technologies):
आई वी एफ़ या इन-विट्रो फ़र्टिलाइज़ेशन (In-Vitro Fertilisation) और भ्रूण स्थानांतरण (Embryo transfer) जैसी उन्नत प्रजनन प्रौद्योगिकियां भी, भारत में प्रमुखता प्राप्त कर रही हैं। ये तकनीक बेहतर आनुवंशिक लक्षणों के चयन की अनुमति देती हैं, जिससे पशुधन की समग्र गुणवत्ता में सुधार होता है। भारत सरकार द्वारा जारी किए गए, ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ (Rashtriya Gokul Mission) ने मवेशियों में कृत्रिम गर्भाधान, आई वी एफ़ और भ्रूण स्थानांतरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इससे दूध उत्पादन और पशु समूह की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। इसके अतिरिक्त, उभरती हुई जीन संपादन प्रौद्योगिकियां (Gene editing technologies), रोग प्रतिरोध और उत्पादकता में सुधार करके, पशुपालन क्षेत्र में क्रांति लाने का वादा करती हैं। हालांकि, सी आर आई एस पी आर (Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats (CRISPR)) जैसी ये तकनीकें, अभी भी उनके शुरुआती चरणों में हैं।
संदर्भ
मुख्य चित्र स्रोत : Pexels
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.