डीएनए: जीवन के मूल रहस्यों की पहचान और चिकित्सा विज्ञान में संभावनाओं का विस्तार

डीएनए के अनुसार वर्गीकरण
06-06-2025 09:16 AM
Post Viewership from Post Date to 07- Jul-2025 (31st) Day
City Readerships (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2018 35 0 2053
* Please see metrics definition on bottom of this page.
डीएनए: जीवन के मूल रहस्यों की पहचान और चिकित्सा विज्ञान में संभावनाओं का विस्तार

डीएनए (DNA), यानी डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic acid), एक ऐसा अणु है जो सभी जीवों की आनुवंशिक जानकारी का भंडार है। यह घुमावदार सीढ़ी जैसी संरचना जीवन के अनगिनत रहस्यों को अपने भीतर समेटे हुए है, जैसे कि क्यों बच्चे अपने माता-पिता से मिलते-जुलते हुए भी अलग दिखते हैं, क्यों एक जीव दूसरे से भिन्न होता है, और कैसे पीढ़ी दर पीढ़ी बीमारियाँ या विशिष्ट लक्षण स्थानांतरित होते हैं। कुछ विषाणुओं को छोड़कर, पृथ्वी पर मौजूद सभी सजीवों में यह महत्वपूर्ण अणु पाया जाता है, जो आनुवंशिक कोड (Genetic code) के रूप में जीवन के ब्लूप्रिंट को संग्रहीत करता है।

इस लेख में, हम डीएनए की संरचना और कार्यप्रणाली को विस्तार से समझेंगे। इसके बाद, हम डीएनए की प्रतिकृति (Replication) और विभिन्नता (Variation) की प्रक्रिया पर चर्चा करेंगे, जो जीवों में विविधता का आधार है। फिर, हम इलेक्ट्रोपोरेशन (Electroporation) नामक एक आधुनिक तकनीक का परिचय देंगे जो चिकित्सा विज्ञान के भविष्य को बदल रही है, और अंत में, हम जीवों में जीन स्थानांतरण (Gene transfer) की अन्य तकनीकों पर एक नज़र डालेंगे।

डीएनए की संरचना और कार्यप्रणाली

डीएनए अणु एक घुमावदार सीढ़ी के समान दिखता है, जिसे डबल हेलिक्स (Double helix) कहा जाता है। यह अणु न्यूक्लियोटाइड (Nucleotide) नामक छोटी इकाइयों से बना होता है। प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड में तीन भाग होते हैं: एक शर्करा अणु (डीऑक्सीराइबोस: Deoxyribose), एक फॉस्फेट (Phosphate) समूह, और एक नाइट्रोजन युक्त क्षार (Nitrogenous base)। डीएनए में चार प्रकार के नाइट्रोजन क्षार पाए जाते हैं: एडेनिन (Adenine) (A), ग्वानिन (Guanine) (G), थाइमिन (Thymine) (T), और साइटोसिन (Cytosine) (C)। ये क्षार एक विशिष्ट क्रम में जुड़े होते हैं, और यह क्रम आनुवंशिक गुणों के लिए कोड बनाता है, जिसे आनुवंशिक कूट (Genetic code) कहा जाता है। एडेनिन हमेशा थाइमिन के साथ जोड़ी बनाता है (A-T), और ग्वानिन हमेशा साइटोसिन के साथ (G-C), और ये जोड़े फॉस्फेट अणुओं द्वारा एक श्रृंखला में जुड़े रहते हैं, जिसे पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला (Polynucleotide chain) कहते हैं। कोशिका के केंद्रक में, डीएनए गुणसूत्रों (क्रोमोजोम: Chromosome) के रूप में व्यवस्थित होता है, जो सभी आनुवंशिक गुणों को निर्धारित और संचारित करते हैं। प्रत्येक प्रजाति में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित होती है; मनुष्यों में 23 जोड़े यानी 46 गुणसूत्र होते हैं।

डीएनए की प्रतिकृति और विभिन्नता का महत्व

जनन के समय, कोशिकाएँ जटिल रासायनिक प्रक्रियाओं का उपयोग करके डीएनए की प्रतिकृति (Replication) बनाती हैं ताकि नई कोशिकाओं में भी आनुवंशिक सामग्री समान रूप से स्थानांतरित हो सके। हालांकि यह प्रतिकृति प्रक्रिया उच्च सटीकता वाली होती है, लेकिन इसमें कभी-कभी त्रुटियां हो जाती हैं, जिन्हें उत्परिवर्तन (Mutation) कहा जाता है। इसके अलावा, लैंगिक प्रजनन में, माता और पिता दोनों के गुणसूत्रों का मिश्रण होता है, जिसके कारण संतानों में माता-पिता के समान गुण होते हुए भी कुछ भिन्नताएँ दिखाई देती हैं। यह आनुवंशिक विभिन्नता (Genetic variation) ही जीवों को बदलते हुए वातावरण के अनुकूल होने और विकास की प्रक्रिया से गुजरने में सक्षम बनाती है। यदि सभी जीव आनुवंशिक रूप से समान होते, तो किसी भी पर्यावरणीय परिवर्तन से पूरी प्रजाति के विलुप्त होने का खतरा बढ़ जाता। इस प्रकार, डीएनए में निहित प्रतिकृति (Replication) और विभिन्नता (Variation) की क्षमता जीवन की निरंतरता और विविधता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इलेक्ट्रोपोरेशन: चिकित्सा विज्ञान में क्रांति

इलेक्ट्रोपोरेशन, जिसे इलेक्ट्रोजीन ट्रांसफर (Electro Gene Transfer - EGT) भी कहा जाता है, एक आधुनिक तकनीक है जिसका उपयोग विद्युत तरंगों की मदद से आनुवंशिक सामग्री, जैसे डीएनए (DNA) या आरएनए (RNA), को कोशिकाओं में प्रवेश कराने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया में, कोशिकाओं को क्षणिक विद्युत क्षेत्र के संपर्क में लाया जाता है, जिससे उनकी कोशिका झिल्ली (Cell membrane) में अस्थायी छिद्र बन जाते हैं। इन छिद्रों के माध्यम से, डीएनए या आरएनए अणु कोशिकाओं के अंदर प्रवेश कर सकते हैं। इलेक्ट्रोपोरेशन  की सफलता आनुवंशिक सामग्री के प्रकार और लक्ष्य ऊतक  की विशेषताओं पर निर्भर करती है। इस तकनीक के कई फायदे हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में आनुवंशिक सामग्री को सफलतापूर्वक स्थानांतरित करने की क्षमता, अन्य विधियों की तुलना में कम जटिलता, और लगातार व विश्वसनीय परिणाम शामिल हैं। चिकित्सा विज्ञान में, इलेक्ट्रोपोरेशन का उपयोग कैंसर के ट्यूमर में एंटी-कैंसर दवाओं को पहुंचाने, जीन थेरेपी (Gene therapy) में जीन को कोशिकाओं तक पहुंचाने और हृदय संबंधी अनियमितताओं के इलाज में किया जा रहा है। हालांकि इसके लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है और उच्च वोल्टेज के उपयोग से कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है, लेकिन यह तकनीक चिकित्सा के भविष्य के लिए एक आशाजनक विकल्प के रूप में उभर रही है।

जीवों में जीन स्थानांतरण की अन्य तकनीकें

इलेक्ट्रोपोरेशन के अलावा, जीवों में जीन स्थानांतरित करने के लिए कई अन्य तकनीकों का उपयोग किया जाता है। रासायनिक ट्रांसफेक्शन (Chemical transfection) में, डीएनए (DNA) को सकारात्मक चार्ज वाले अणुओं के साथ मिलाया जाता है या फ्यूजोनिक कैप्सूल (Fusogenic capsule) में रखा जाता है ताकि यह नकारात्मक चार्ज वाली कोशिका झिल्ली (Cell membrane) को पार कर सके और नाभिक (Nucleus) तक पहुंच सके। कैल्शियम फॉस्फेट ट्रांसफेक्शन (Calcium phosphate transfection) में, डीएनए को कैल्शियम क्लोराइड (Calcium chloride) और फॉस्फेट (Phosphate) समाधान के मिश्रण के साथ उपचारित किया जाता है, जिससे डीएनए कोशिकाओं पर बैठ जाता है और एंडोसाइटोसिस (Endocytosis) के माध्यम से प्रवेश करता है। भौतिक ट्रांसफेक्शन (Physical transfection) में, डीएनए को सीधे कोशिका के साइटोप्लाज्म (Cytoplasm) या नाभिक में भौतिक बल का उपयोग करके पहुंचाया जाता है, जैसे कि माइक्रोपोरेशन (Microporation) या जीन गन (Gene gun)। सूक्ष्म इंजेक्शन (Microinjection) एक और विधि है जिसमें डीएनए को सीधे व्यक्तिगत कोशिकाओं, विशेष रूप से अंडों या भ्रूणों में इंजेक्ट किया जाता है। प्रत्येक तकनीक के अपने फायदे और नुकसान हैं, और उनका चुनाव विशिष्ट अनुप्रयोग और कोशिका प्रकार पर निर्भर करता है। हाल ही में, जापान के नागोया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि इलेक्ट्रिक ईल्स (Electric eels) प्राकृतिक रूप से इलेक्ट्रोपोरेशन के माध्यम से छोटी मछलियों के लार्वा में जीन स्थानांतरित कर सकते हैं, जो जीन स्थानांतरण की प्राकृतिक संभावनाओं को दर्शाता है।

संदर्भ-

https://tinyurl.com/26xyesy7

https://tinyurl.com/mr256ccd



Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.

D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.

E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.