पुरी से लखनऊ तक: जगन्नाथ रथ यात्रा की भक्ति में रंगा हर हृदय

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
06-07-2025 09:12 AM
Post Viewership from Post Date to 06- Aug-2025 (31st) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
1977 110 0 2087
* Please see metrics definition on bottom of this page.

लखनऊ की नवाबी तहज़ीब और धार्मिक समरसता ने हमेशा भारत की विविध सांस्कृतिक परंपराओं को अपनाया और संजोया है। यही वजह है कि ओडिशा के पुरी में हर साल बड़े भव्य रूप में मनाई जाने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा की श्रद्धा और भक्ति की गूंज लखनऊ की गलियों में भी महसूस की जाती है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि पूरे भारत की सामूहिक आस्था, समर्पण और एकता का उत्सव है। 

पहले वीडियो वीडियो में हम जानेंगे भगवान जगन्नाथ जी की पूरी कथा — एक ऐसी कहानी, जो बहुतों ने सुनी नहीं, पर हर भक्त के दिल को छू जाती है।

नीचे दिए गए वीडियो में हम जानेंगे जगन्नाथ रथ यात्रा का संक्षिप्त इतिहास, और देखेंगे इसकी एक सुंदर सी झलक।

जगन्नाथ रथ यात्रा, भारत की धार्मिक परंपराओं में एक अनोखा स्थान रखती है। हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं। तीन भव्य रथ — बलभद्र के लिए तालध्वज, सुभद्रा के लिए दर्पदलन और भगवान जगन्नाथ के लिए नंदीघोष — इस यात्रा की शान होते हैं। लाखों श्रद्धालु इन रथों की रस्सियां थामते हैं, मानो स्वयं भगवान को अपनी आत्मा से जोड़ रहे हों। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार सुभद्रा माता ने नगर दर्शन की इच्छा जताई थी। तब भगवान जगन्नाथ और बलभद्र उन्हें रथ में बैठाकर अपनी मौसी के घर, गुंडिचा मंदिर ले गए थे। वहाँ सात दिन के विश्राम के बाद, जब भगवान ने अधिक भोजन कर लिया, तो वे अस्वस्थ हो गए और फिर स्वस्थ होने के बाद ही भक्तों को दर्शन दिए। यही कथा हर वर्ष रथ यात्रा में जीवंत हो उठती है — जैसे समय एक बार फिर वही दृश्य दोहराता हो।

नीचे दिए गए वीडियो के ज़रिए हम आपको 2024 की रथ यात्रा की एक झलक दिखाएंगे — जहां भक्ति का रंग, ऊर्जा की लहर और इस पावन यात्रा का अद्भुत माहौल आपको भीतर तक महसूस होगा।

यह यात्रा सिर्फ धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि काष्ठकला, भारतीय शिल्प, सामाजिक समरसता और लोक आस्था का जीवंत प्रतीक भी है। रथों का निर्माण विशेष ‘दर्शनीय नीम’ की लकड़ी से होता है और पूरे निर्माण कार्य को वैदिक विधियों और परंपराओं के अनुसार पूर्ण श्रद्धा से संपन्न किया जाता है। कारीगर इसे केवल एक शिल्प नहीं, बल्कि भक्ति की साधना मानते हैं, जो पूरे वर्ष चलती है। यह रथ यात्रा भारतीय सांस्कृतिक चेतना का ऐसा उत्सव है, जिसमें भक्ति, कला और जन-जन की भागीदारी एक साथ नजर आती है। रथ यात्रा के दौरान पूरे पुरी नगर में भक्तों का सैलाब उमड़ता है, जहाँ भजन, कीर्तन, प्रसाद वितरण, और संस्कृतिक झांकियाँ माहौल को पूर्णतः आध्यात्मिक बना देती हैं। यह पर्व भगवान को नगर के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने की भावना का प्रतीक है — जहाँ न कोई जाति भेद होता है, न कोई वर्ग विभाजन। जगन्नाथ रथ यात्रा न केवल धार्मिकता की, बल्कि सह-अस्तित्व, सेवा, और श्रद्धा की जीवंत परंपरा है — जो भारत की आत्मा को जीवित और जागरूक बनाए रखती है।

 

संदर्भ-

https://tinyurl.com/mupxyckb 

https://tinyurl.com/bdfjvjvy 

https://tinyurl.com/3ts9eft5 

https://tinyurl.com/28emxbpr 

https://tinyurl.com/dtwntwst