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लखनऊ का इतिहास केवल एक शहर की कहानी नहीं, बल्कि अवध की उस समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का दर्पण है जिसने भारतीय उपमहाद्वीप की तहज़ीब, कला और स्थापत्य को एक नया आयाम दिया। यह नगर अपनी जड़ों में उतना ही पुराना है जितनी अयोध्या की महिमा, क्योंकि मान्यता है कि इसे लक्ष्मण ने बसाया था — इसीलिए इसका प्रारंभिक नाम लक्ष्मणपुरी था। कालांतर में यह नाम बदलते-बदलते लखनऊ बन गया।
पहली वीडियो में हम लखनऊ को करीब से देखेंगे।
नीचे दिए गए लिंक में हम यह देखेंगे कि ब्रिटिश शासन के समय लखनऊ कैसा था।
लेकिन लखनऊ को असली पहचान मिली जब अवध के नवाबों ने इसे अपनी राजधानी बनाया। 1775 में नवाब आसफ-उद-दौला ने फैज़ाबाद से राजधानी लखनऊ स्थानांतरित की और यहीं से शुरू हुआ लखनऊ का स्वर्णिम युग। इस युग ने केवल राजनीतिक बदलाव नहीं लाए, बल्कि लखनऊ को कला, संगीत, नृत्य, कविता और स्थापत्य का जीवंत केंद्र बना दिया। अवध के नवाबों की शानो-शौकत, मेहमाननवाज़ी और सूफ़ियाना अंदाज़ ने लखनऊ को एक ऐसी तहज़ीबी राजधानी में बदल दिया, जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है। बड़ा इमामबाड़ा, रूमी दरवाज़ा, छतर मंज़िल, क़ैसरबाग़ जैसे स्थापत्य चमत्कार इस बात की गवाही हैं कि नवाब केवल शासक नहीं, बल्कि कला के संरक्षक भी थे। यह शहर न केवल ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी देश के सांस्कृतिक दिल की तरह है। अवध की राजधानी लखनऊ ने सदियों तक प्रेम, सौहार्द और नज़ाकत को जिया है — और आज भी, इस विरासत को संभालते हुए आधुनिकता से कदम से कदम मिला रहा है।
नीचे दी गई वीडियो में हम 1800 के समय का लखनऊ और उसका संक्षिप्त इतिहास देखेंगे।
संदर्भ-