लखनऊ के रंग: हरे और लाल रंगों में छिपे भाव और पहचान

दृष्टि III - कला/सौंदर्य
31-07-2025 09:27 AM
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लखनऊ के रंग: हरे और लाल रंगों में छिपे भाव और पहचान

लखनऊ—जहाँ तहज़ीब हवा में घुली होती है, और हर रंग में एक दास्तान छिपी होती है। इस शहर की गलियों में चलते हुए सिर्फ़ रास्ते नहीं बदलते, भावनाएँ भी रंगों के साथ करवट लेती हैं। चौक की पुरानी बाज़ारों में टँगी गोटेदार चूनरें, इत्र की शीशियों पर लगे लाल-हरे रिबन, और इमामबाड़ों की संगमरमरी दीवारों पर पड़ती रोशनी—हर दृश्य जैसे एक ख़ामोश कविता बन जाता है। लखनऊ की संस्कृति में रंग केवल आँखों के लिए नहीं होते, वे आत्मा से संवाद करते हैं। हरा रंग यहाँ सिर्फ़ पेड़ों की हरियाली नहीं, बल्कि अमन, ताजगी और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रतीक है। वहीं लाल रंग सिर्फ़ शादी-ब्याह की पोशाकों या मंदिरों के ध्वजों तक सीमित नहीं, वह प्रेम, बलिदान और परंपरा की लपट भी है। इन रंगों की उपस्थिति लखनऊ के धार्मिक समारोहों से लेकर घरेलू सजावट और खान-पान तक, हर पहलू में महसूस होती है। यहाँ रंगों का चयन एक सौंदर्य निर्णय से अधिक, एक भावनात्मक निर्णय होता है। हरा रंग दिल को ठंडक देता है, लाल रंग धड़कनें तेज़ करता है और यही लखनऊ की पहचान है, जहाँ रंगों के ज़रिए लोग संवाद करते हैं, अपने इतिहास को जीते हैं, और अपनी भावनाओं को सजाते हैं।

इस लेख में हम सबसे पहले, हम रंगों की सामाजिक और भावनात्मक भूमिका को समझने की कोशिश करेंगे। इसके बाद हम देखेंगे कि हरा रंग पर्यावरण और मानसिक स्वास्थ्य से कैसे जुड़ा है। फिर हम हरे रंग की आध्यात्मिक गहराइयों की पड़ताल करेंगे। चौथे हिस्से में हम लाल रंग के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रभाव पर चर्चा करेंगे। और अंत में, इन दोनों रंगों—लाल और हरे, की प्रतीकात्मक तुलना करेंगे, ताकि लखनऊ के रंगों में छिपी भावनाओं और परंपराओं को बेहतर समझा जा सके।

रंग केवल दृश्य नहीं—भाव और संकेत भी हैं

रंगों की सामाजिक और सांस्कृतिक भूमिका सदियों से मनुष्य की पहचान और जीवनशैली से जुड़ी रही है। लखनऊ में रंगों का विशेष स्थान है। चाहे वह इमामबाड़े में झिलमिलाती रोशनियों के बीच चमकते झंडे हों या रमजान की रातों में लगाए गए रंगीन बल्ब (bulb)। हरा रंग यहाँ इस्लामी परंपराओं से जुड़ा है, तो लाल रंग शादियों, विदाई और प्यार के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। रोज़मर्रा के जीवन में भी रंग हमें भावनात्मक संकेत देते हैं। ट्रैफिक लाइट (Traffic Light) का "हरा" रंग आगे बढ़ने की अनुमति देता है, जिससे हममें सकारात्मक ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है, जबकि "लाल" रंग रुकने का संकेत देता है और सतर्कता जगाता है। मानव मस्तिष्क रंगों से बहुत गहराई से प्रभावित होता है। उदाहरण के लिए, एक हरे बाग में टहलने से तनाव कम हो सकता है, जबकि लाल रंग की दीवारों से उत्तेजना या बेचैनी महसूस हो सकती है। इसीलिए लखनऊ के कई पार्क (park) और बाग हरेपन से भरपूर रखे जाते हैं।

हरा रंग: प्रकृति, स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन का प्रतीक

लखनऊ की पहचान उसके हरियाले बागों, बागवानी परंपराओं और प्राकृतिक शांति से भी है। नवाबी दौर से लेकर आज तक हरा रंग इस शहर के जीवन का हिस्सा रहा है। बॉटनिकल गार्डन (Botanical Garden) हो या गोमती नदी किनारे की हरियाली, हरा रंग आँखों को सुकून देता है और मन को शांत करता है। वैज्ञानिक शोधों के अनुसार हरे रंग का प्रभाव तनाव को कम करने, ध्यान केंद्रित करने और रचनात्मकता बढ़ाने में सहायक होता है। यही कारण है कि लखनऊ के अस्पतालों और विद्यालयों में हरे रंग की सजावट को प्राथमिकता दी जाती है। इसके अलावा हरा रंग जीवन और पुनरुत्थान का प्रतीक भी है, जो लखनऊ की पुनरुत्थानशील संस्कृति, तहज़ीब और लोक परंपराओं को भी दर्शाता है। शहर में मनाए जाने वाले पर्वों- जैसे ईद, होली और बासंती त्योहारों में हरा रंग विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह उमंग, हरियाली और सामूहिकता का संदेश देता है।

हरा रंग: प्रेम, हृदय चक्र और आध्यात्मिक ऊर्जा

चक्रों की भारतीय प्रणाली में हरे रंग का संबंध अनाहत चक्र से है, जो हृदय का प्रतीक है। यह चक्र प्रेम, करुणा और क्षमा से जुड़ा हुआ है। लखनऊ की सूफी परंपराएँ, जैसे अमीनाबाद की दरगाहें या शाह मीना की मज़ार, हरे चादरों और इत्र की खुशबू से सजी होती हैं, जो आध्यात्मिक प्रेम और आंतरिक शांति का प्रतीक मानी जाती हैं। यह रंग व्यक्ति के भीतर संतुलन, संबंधों में सहानुभूति और मानसिक स्वास्थ्य को स्थिर करने का भी कारक है। लखनऊ की परवरिश में बच्चों को उदारता, दया और संयम की शिक्षा दी जाती है, जो अनजाने में हरे रंग की ही मनोवैज्ञानिक अभिव्यक्ति है। चिकित्साशास्त्र में भी हरे रंग को शांति प्रदायक और रक्तचाप को संतुलित करने वाला माना गया है। यही कारण है कि कई मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सा केंद्रों में हरे रंग का उपयोग थैरेपी (therapy) के लिए किया जाता है। योग और ध्यान केंद्रों में हरे रंग की उपस्थिति भी यही संदेश देती है।

लाल रंग: शक्ति, प्रेम और सांस्कृतिक परंपराएँ

लाल रंग लखनऊ के सामाजिक जीवन में विशेष स्थान रखता है। शादियों में दुल्हन की चुनरी, सिंदूर और चूड़ियाँ—सभी प्रेम और निष्ठा का प्रतीक होती हैं। नवाबी दौर की पेंटिंग्स (paintings) में भी लाल रंग को रॉयल्टी (royalty), ताक़त और जुनून के प्रतीक के रूप में चित्रित किया गया है। इतिहास की दृष्टि से देखा जाए तो लाल रंग का प्रयोग शिकार के झंडों से लेकर दरबारों की सजावट तक में होता रहा है। यह शक्ति और अधिकार का प्रतीक रहा है। लखनऊ के पुराने भवनों में प्रयुक्त लाल बलुआ पत्थर भी उसी गौरव और भव्यता का परिचायक है। विश्व की अधिकांश संस्कृतियों में लाल रंग को जीवन, ऊर्जा और बलिदान से जोड़ा गया है। भारत में यह देवी पूजा, विवाह और युद्ध—सभी मुख्य सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों में उपस्थित रहता है। रामलीला, मुहर्रम, और होली जैसे पर्वों में लाल रंग एक मुख्य भावनात्मक माध्यम बनता है।

लाल और हरे रंग के बीच तुलनात्मक दृष्टिकोण

हरे और लाल—दोनों रंग एक-दूसरे के विपरीत प्रतीत होते हैं, परंतु उनके भावनात्मक अर्थ परस्पर जुड़े हुए हैं। हरा रंग जहाँ शांति, संतुलन और करुणा का प्रतिनिधित्व करता है, वहीं लाल रंग प्रेम, ऊर्जा और साहस का प्रतीक है। लखनऊ की नाट्य परंपराओं, पेंटिंग्स और शायरी में इन दोनों रंगों की यह द्वंद्वात्मकता बहुत खूबसूरती से अभिव्यक्त होती है। इन दोनों रंगों की प्रतीकात्मकता बाज़ार में भी देखी जाती है। उदाहरण के लिए, हरे लेबल (label) वाली खाद्य सामग्री स्वास्थ्यवर्धक मानी जाती है, जबकि लाल लेबल से उत्पाद तुरंत ध्यान खींचते हैं। यही रणनीति लखनऊ के पारंपरिक उत्पादों जैसे अत्तर की शीशियाँ या चिकनकारी के कपड़े के डिज़ाइन (design) में भी अपनाई जाती है। इस तुलना से यह स्पष्ट होता है कि रंग केवल सजावटी तत्त्व नहीं, बल्कि मानवीय भावनाओं और सामाजिक संवाद के माध्यम हैं, जो सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर की आत्मा से जुड़े हुए हैं।

संदर्भ-

https://tinyurl.com/46xr2tkb