कार्यस्थल तक पहुँचने का दैनिक संघर्ष

गतिशीलता और व्यायाम/जिम
03-05-2018 01:13 PM
कार्यस्थल तक पहुँचने का दैनिक संघर्ष

काम पर जाने के लिए मानो रोज लोगों को एक जंग सी लड़नी पड़ती है और कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। कारण है लम्बा थका देने वाला सफ़र। जब कभी हम बड़ी संख्या में काम पर जाने वाले दैनिक यात्रिओं का नाम लेते हैं तो मुंबई की लोकल ट्रेन और कलकत्ता की मेट्रो की तस्वीर हमारे सामने प्रस्तुत हो जाती है। लखनऊ भारत के सबसे ज्यादा घनी आबादी वाले प्रदेश की राजधानी है। यहाँ पर रोजगार की उपलब्धता के कारण रोजाना एक बड़ी आबादी दूर दराज के छोटे शहरों और गावों से यहाँ पर नौकरी करने आती है।

लोगों के लखनऊ आने और जाने में बड़े समय का क्षय होता है। उदाहरण के लिए बनारस से सुबह चलने वाली वरुणा ट्रेन से एक बड़ी कामकाजी आबादी रोजाना लखनऊ का सफ़र करती है। इस यात्रा में औसतन 2-3 घंटे का समय व्यय होता है। इसके अलावा लखनऊ के आस पास के जिलों से भी एक बड़ी आबादी यहाँ काम करने आती है। इस कथन से यह पता चलता है कि रोजगार के लिए यात्रा से मानव अपने जीवन का कितना कीमती समय बर्बाद कर देता है। यह समस्या मात्र लखनऊ की ही नहीं है परन्तु इससे विश्व भर के लोग प्रभावित हैं। लन्दन आदि जैसे स्थानों पर भी लोग 4 घंटे का सफ़र करते हैं जो एक चिंता का विषय है। काम करने के लिए लम्बी दूरी तय करना आज लोगों में आम बात है , पिछले पांच सालों में लोगों की संख्या, जो काम पर जाने के लिए 2 घंटे से अधिक समय लगाते हैं, काफ़ी बढ़ गई है।

कुछ लोग इस बात से खुश हैं कि वे यात्रा के दौरान किताबें पढ़ पाते हैं और इससे उन्हें काम करने की प्रेरणा मिलती है। संयुक्त राज्य अमेरिका के जनगणना विभाग के द्वारा यह पता लगा कि एक औसत कार्यकर्ता को काम पर पहुँचने के लिए 26 मिनट का समय लगता है, पहले के समय में कार्यकर्ता काम पर औसतन मात्र 21.7 मिनट में पहुँच जाते थे। जनगणना विभाग के द्वारा कुल 1390 लाख लोग काम पर पहुँचने के लिए सफ़र करते हैं। एक औसत अमरीकी आदमी काम पर आने-जाने में 26 मिनट लगाता है, इसमें 5 दिन काम और वर्ष में 50 सप्ताह का काम होता है। इस हिसाब से अमरीकी आदमी कुल 1.8 खरब मिनट काम पर जाने वाली यात्रा में लगाते हैं। रोजगार जितना नज़दीक होगा उतना ही उत्तम है देश की तरक्की के लिए क्यूंकि जितना समय यात्रा में दिया जाता है उतने समय में व्यक्ति अन्य कितने ही कार्य कर सकता है।

1.https://www.theguardian.com/commentisfree/2016/nov/22/commute-over-two-hours-super-commuters-priced-out-of-inner-cities
2.https://www.weforum.org/agenda/2016/03/this-is-how-much-time-americans-spend-commuting-to-work
3.https://www.project-resource.co.uk/blog/2017/02/how-long-is-too-long-for-a-commute-to-work
4.https://www.livemint.com/Politics/fGoGvxB8bWUaXV5iN3AdVI/How-people-in-Indias-top-53-cities-commute-to-work.html