लखनऊ और मछली के चिह्न का जोड़

वास्तुकला I - बाहरी इमारतें
09-05-2018 12:25 PM
लखनऊ और मछली के चिह्न का जोड़

लखनऊ में अक्सर इमारतों पर हमें मछलियों की आकृति दिखाई दे जाती है। ये आकृतियाँ अवध के राज चिन्ह के रूप में प्रस्तुत की गयी थीं तथा वर्तमान काल में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतीक के रूप में उपस्थित हैं। पर इन मछलियों को मात्र लखनऊ से ही नहीं जोड़ के देखा जा सकता है अपितु इनको कई स्थानों पर प्रयोग में लाया गया है।

मछलियों के जोड़े का सम्बन्ध सनातनी, बौद्ध, इस्लाम और ईसाई धर्म में दिखाई देता है, इनका सम्बन्ध इन सभी धर्मों में अत्यंत गहराई तक है। अवध क्षेत्र में इस प्रतीक को गंगा जमुनी तहजीब प्रतीक के रूप में देखा जाता है। दो मछलियाँ बौद्ध धर्म के अनुसार संयम और स्वतंत्रता को दर्शाती हैं। जैसा कि पानी जीवन देने वाला होता है तो यह मूल रूप से दो नदियों का प्रतीक है। महाभारत और रामायण में मछलियों को एक अहम दर्जा दिया जाता है।

यदि ईसाई धर्म में इस चिह्न की बात करें तो यह प्रतीक यूनानी में मछली शब्द की वर्तनी से आता है। मछली के लिए ग्रीक शब्द ‘Ichthys’ है जिसके अक्षर एक ग्रीक कथन को संक्षेप में लिखने का तरीका है। उस कथन का अर्थ है ‘ईसा मसीह, भगवान के पुत्र, सबके रक्षक’। एक समय में इस मछली को एक तरह के इशारे के रूप में इस्तेमाल किया जाता था जिससे यीशु के अनुयायी एक दूसरे को पहचान लेते थे। यीशु के कई अनुयायी मछुआरे थे और यीशु ने कहा था कि पीटर "पुरुषों का मछुआरा" बन जाएगा।

इस प्रकार से हम देख सकते हैं कि विभिन्न धर्मों में मछलियों का महत्व कितना ज्यादा था। इसी महत्व के कारण ही विभिन्न धर्मों में देवी देवताओं के वाहन के रूप में मछलियों को प्रदर्शित किया गया है। पुराणों में विष्णु के मत्स्य अवतार को दर्शाया गया है जो मछलियों की महत्ता को प्रदर्शित करता है। लखनऊ में यह प्रतीक अवध के राजाओं द्वारा प्रस्तुत किया गया था जो कि अवध में एकता और अखंडता का प्रतीक था।

1.https://www.christianitytoday.com/history/2008/august/what-is-origin-of-christian-fish-symbol.html 2.https://www.coraevans.com/blog/article/7-beautiful-ancient-christian-symbols-and-their-meanings 3.https://www.quora.com/What-are-the-meanings-of-the-fishes-and-bow-in-the-logo-of-the-Uttar-Pradesh-government