समय - सीमा 263
मानव और उनकी इंद्रियाँ 1061
मानव और उनके आविष्कार 837
भूगोल 245
जीव-जंतु 307
आज विज्ञान ने जीवों की क्षमताओं को समझने और उन्हें बेहतर बनाने में उल्लेखनीय प्रगति की है, और इसी का परिणाम हैं ट्रांसजेनिक (Transgenic) जानवर। ट्रांसजेनिक जानवर वे होते हैं जिनके शरीर में किसी दूसरे जीव से लिया गया एक विशेष जीन प्रयोगशाला तकनीक के माध्यम से उनके डीएनए में जोड़ा जाता है, जिससे यह गुण स्थायी रूप से उनमें और उनकी आने वाली पीढ़ियों में बना रहता है। इस तकनीक का उपयोग जानवरों की उपयोगी विशेषताओं को बढ़ाने के लिए किया जाता है - जैसे अधिक और पोषक दूध उत्पादन, तेज़ विकास दर, बेहतर मांस गुणवत्ता या रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता। कुछ बकरियों को ऐसा बनाया गया है जिनके दूध में औषधीय प्रोटीन (Protein) पाया जाता है, जबकि कुछ मछलियाँ सामान्य से कहीं तेज़ी से बढ़ती हैं, जिससे खाद्य उत्पादन अधिक और स्थिर होता है। चिकित्सा क्षेत्र में भी ट्रांसजेनिक जानवर बेहद महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वैज्ञानिक इनका उपयोग मानव रोगों को समझने, नई दवाओं के परीक्षण और वैक्सीन विकास में करते हैं। इस तरह, ट्रांसजेनिक जानवर आधुनिक युग में कृषि, स्वास्थ्य, विज्ञान और उद्योग - सभी क्षेत्रों में मानव जीवन को अधिक सुरक्षित, स्वस्थ और समृद्ध बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
अब हम इस लेख में जानेंगे कि ट्रांसजेनिक जानवर वास्तव में क्या होते हैं और वैज्ञानिक किस प्रकार उनके जीन में बदलाव करते हैं। साथ ही हम यह भी समझेंगे कि शोध कार्यों में चूहों, गायों और बकरियों जैसे ट्रांसजेनिक जानवरों का उपयोग क्यों किया जाता है। आगे, कृषि और चिकित्सा क्षेत्र में इनका क्या महत्व है और ये मानव समाज को कौन-कौन से प्रत्यक्ष लाभ प्रदान करते हैं, इस पर भी चर्चा करेंगे। इस तरह, आप समझ पाएंगे कि आधुनिक जैव-प्रौद्योगिकी किस तरह हमारे भोजन, स्वास्थ्य और भविष्य को बदल रही है।
ट्रांसजेनिक जानवरों का परिचय
ट्रांसजेनिक जानवर वे जीव होते हैं जिनके आनुवंशिक ढाँचे (DNA) में जानबूझकर एक नया जीन जोड़ा जाता है, जो पहले उनके शरीर में प्राकृतिक रूप से मौजूद नहीं होता। यह नया जीन किसी दूसरे जीव, प्रजाति या वैज्ञानिक रूप से संशोधित डीएनए से लिया जा सकता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य जानवर के अंदर किसी विशेष गुण को विकसित करना होता है — जैसे अधिक प्रोटीन का निर्माण, तेज़ शारीरिक विकास, अधिक दूध उत्पादन, या किसी गंभीर बीमारी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता। उदाहरण के लिए, वैज्ञानिकों ने ऐसी बकरियाँ विकसित की हैं जिनके दूध में औषधीय प्रोटीन मौजूद होता है, जिसे आगे जाकर दवाओं के निर्माण में उपयोग किया जाता है। इसी तरह, सूअरों और मछलियों के ट्रांसजेनिक संस्करणों में उनका विकास सामान्य से तेज़ किया जा सकता है। इस प्रकार, ट्रांसजेनिक जानवर आधुनिक जैव-प्रौद्योगिकी का एक महत्वपूर्ण और उन्नत परिणाम हैं, जहाँ प्रकृति को सावधानीपूर्वक संशोधित कर मानव और पर्यावरण के लाभ के लिए उपयोग किया जाता है।
ट्रांसजेनेसिस कैसे की जाती है?
ट्रांसजेनेसिस एक अत्यंत सूक्ष्म और वैज्ञानिक तकनीक है जिसमें किसी जीव के जीनोम (genome) में बाहरी जीन को स्थायी रूप से स्थापित किया जाता है। सबसे पहले, वैज्ञानिक उस जीन की पहचान करते हैं जिसमें वांछित गुण पाया जाता है, जैसे अधिक प्रोटीन उत्पादन या रोग प्रतिरोध। फिर इस जीन को प्रयोगशाला में अलग, शुद्ध और संरक्षित किया जाता है। इसके बाद इस जीन को जानवर के शुरुआती भ्रूण (Embryo) में डाला जाता है। यह कार्य विशेष तकनीकों से किया जाता है, जैसे - माइक्रोइंजेक्शन (Microinjection), वायरस वेक्टर (Virus Vector), और आधुनिक समय की सबसे उन्नत पद्धति क्रिस्पर-कॅस नाइन (CRISPR-Cas9)। यह जीन भ्रूण के डीएनए (DNA) में मिश्रित होकर स्थायी रूप से उसका हिस्सा बन जाता है। जब भ्रूण विकसित होता है और नया जीव जन्म लेता है, तो इस नए गुण की अभिव्यक्ति उसके शरीर में दिखाई देती है। यदि उस जीव का प्रजनन किया जाए, तो यह गुण उसकी संतानों तक भी पहुंचता है। इस पूरी प्रक्रिया को नियंत्रण, सटीकता और नैतिक मानकों के साथ किया जाता है।

शोध में सबसे ज़्यादा उपयोग होने वाले ट्रांसजेनिक जानवर
वैज्ञानिक अनुसंधान में चूहे सबसे अधिक ट्रांसजेनिक मॉडल के रूप में उपयोग किए जाते हैं क्योंकि उनका जीनोम मानव जीनोम से काफी मिलता-जुलता है। उनकी प्रजनन प्रक्रिया तेज़ होती है और उनकी जीवन अवधि कम होती है, जिससे शोध कार्य के परिणाम जल्दी प्राप्त होते हैं। इसके अलावा, खरगोश, सूअर, भेड़, बकरियाँ, और गाय भी ट्रांसजेनिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन जानवरों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है - जैसे दूध में औषधीय प्रोटीन बनाने के लिए, दवाओं के प्रभाव की जांच करने के लिए, या किसी बीमारी के मॉडल विकसित करने के लिए। उदाहरण के लिए, सूअरों का शरीर संरचनात्मक रूप से मनुष्यों के काफी समान होता है, इसलिए वे अंग प्रत्यारोपण संबंधी अनुसंधान में बहुत मूल्यवान हैं।
कृषि और पशुपालन में ट्रांसजेनेसिस का महत्व
कृषि और डेयरी क्षेत्र में ट्रांसजेनिक तकनीक एक बड़े बदलाव का कारण बन रही है। इस तकनीक की मदद से ऐसे जानवर विकसित किए जा रहे हैं जो अधिक दूध देते हैं, बेहतर गुणवत्ता वाला मांस उत्पन्न करते हैं, और कम खिलाने पर भी तेज़ी से विकसित होते हैं। उदाहरण के रूप में, ट्रांसजेनिक बकरियाँ और गायें ऐसे दूध का उत्पादन कर सकती हैं जिसमें प्रोटीन और पोषक तत्व सामान्य से अधिक होते हैं, जिससे मानव स्वास्थ्य को सीधा लाभ मिलता है। इसी प्रकार, सूअरों और मछलियों को इस तरह संशोधित किया जाता है कि वे कम समय में बड़े आकार में विकसित हो सकें। इसके अलावा, ट्रांसजेनिक तकनीक जानवरों को रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी भी बनाती है, जिससे किसानों को कम नुकसान होता है और पशुपालन अधिक सुरक्षित और लाभदायक बनता है।

चिकित्सा अनुसंधान में ट्रांसजेनिक जानवरों की भूमिका
ट्रांसजेनिक जानवर चिकित्सा विज्ञान में नई खोजों के दरवाजे खोल रहे हैं। वैज्ञानिक इन जानवरों में ऐसे जीन डालते हैं जो मानव रोगों की नकल करते हैं, जिससे वे बीमारियों के कारणों और उपचारों को गहराई से समझ सकते हैं। उदाहरण के लिए, ट्रांसजेनिक चूहे कैंसर, मधुमेह, अल्ज़ाइमर (Alzheimer's), हृदय रोग और प्रतिरक्षा रोगों पर शोध के लिए अत्यधिक उपयोग किए जाते हैं। इन जानवरों पर दवाओं और टीकों का परीक्षण किया जाता है ताकि यह समझा जा सके कि वे मनुष्यों पर कितने प्रभावी और सुरक्षित होंगे। इसके साथ ही, कुछ ट्रांसजेनिक जानवर ऐसे प्रोटीन भी बनाते हैं जिन्हें सीधे दवाओं के निर्माण में उपयोग किया जाता है।

ट्रांसजेनिक जानवरों से मानव समाज को होने वाले प्रत्यक्ष लाभ
ट्रांसजेनिक जानवर मानव समाज के लिए कई स्तरों पर उपयोगी साबित हो रहे हैं। इनके माध्यम से:
भविष्य में, इन जानवरों का उपयोग अंग प्रत्यारोपण, दुर्लभ दवाओं के निर्माण और वैश्विक खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
संदर्भ-
https://tinyurl.com/tf2s6dju
https://tinyurl.com/rrpbd8xj
https://tinyurl.com/57b8s2ys
https://tinyurl.com/n5typuxe
https://tinyurl.com/4p67m8sx
A. City Readerships (FB + App) - This is the total number of city-based unique readers who reached this specific post from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Messaging Subscribers - This is the total viewership from City Portal subscribers who opted for hyperlocal daily messaging and received this post.
D. Total Viewership - This is the Sum of all our readers through FB+App, Website (Google+Direct), Email, WhatsApp, and Instagram who reached this Prarang post/page.
E. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.