लखनऊ की छुपी हुई प्राकृतिक धरोहर: एकाना आर्द्रभूमि और उसके पंखों वाली दुनिया

पक्षी
23-12-2025 09:14 AM
लखनऊ की छुपी हुई प्राकृतिक धरोहर: एकाना आर्द्रभूमि और उसके पंखों वाली दुनिया

लखनऊवासियों, हमारे शहर की पहचान जितनी उसकी तहज़ीब, नवाबी रौनक और अदब में बसती है, उतनी ही गहराई से यह शहर प्रकृति से भी जुड़ा हुआ है। बहुत कम लोग जानते हैं कि लखनऊ के पास एक ऐसी प्राकृतिक धरोहर मौजूद है, जो किसी भी महानगर के लिए सौभाग्य से कम नहीं - एकाना आर्द्रभूमि (Ekana Wetlands)। शहर की चहल-पहल से कुछ ही किलोमीटर दूर बसे इस शांत जल-क्षेत्र में हर साल देशी और प्रवासी पक्षियों की सौ से भी अधिक प्रजातियाँ अपना बसेरा बनाती हैं। सुबह का कुहासा, पानी की स्थिर सतह, उड़ते हुए बत्तखों के झुंड और पेड़ों पर बैठी चहचहाती चिड़ियाँ - यह सब मिलकर एक ऐसा दृश्य रचते हैं, जो हमें याद दिलाता है कि लखनऊ सिर्फ इमारतों और बाज़ारों तक सीमित नहीं है; यह प्रकृति के स्पर्श से भी उतना ही समृद्ध है। आज जब दुनिया भर के शहर प्रदूषण, शहरीकरण और घटती जैव विविधता से जूझ रहे हैं, ऐसे समय में एकाना आर्द्रभूमि हमारे लिए एक प्राकृतिक ढाल की तरह काम करती है। यह न सिर्फ शहर की हवा को बेहतर बनाती है, बल्कि उन पक्षियों का घर भी है जो हर साल यहाँ हजारों किलोमीटर का सफर तय करके पहुँचते हैं। कई मायनों में यह वेटलैंड लखनऊ की सांसों को धीमा, ठंडा और साफ रखने वाली एक शांत, लेकिन बेहद महत्वपूर्ण शक्ति है - एक ऐसी जगह, जिसे हम जितना समझेंगे, उतना ही हमें महसूस होगा कि यह हमारे शहर का एक जीवंत खजाना है जिसे बचाए रखना ज़रूरी है।
आज के इस लेख में हम क्रमबद्ध रूप से समझेंगे कि भारत में पक्षियों की कुल विविधता कितनी है और इनमें कितनी प्रजातियाँ केवल भारत में ही पाई जाती हैं। इसके बाद हम जानेंगे कि लखनऊ की एकाना आर्द्रभूमि क्यों इतनी खास है और यह 100 से अधिक पक्षी प्रजातियों के लिए कैसे स्वर्ग जैसा निवास स्थान बनी हुई है। फिर हम यहाँ पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियों, उनके विभिन्न अनुक्रमों और परिवारों के बारे में जानेंगे। आगे, हम समझेंगे कि एक आर्द्रभूमि पक्षियों और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए क्यों अनिवार्य है। अंत में, हम उन खतरों पर चर्चा करेंगे जो इस प्राकृतिक स्थल को नुकसान पहुँचा रहे हैं और क्यों इसे बचाने की आवश्यकता है।File:Mustard Field Beauty.jpgभारत में पक्षियों की समृद्ध विविधता और स्थानिक (Endemic) प्रजातियाँ
भारत दुनिया के सबसे समृद्ध पक्षी-विविधता वाले देशों में शुमार है। यहाँ पाई जाने वाली 1,353 पक्षी प्रजातियाँ भारतीय उपमहाद्वीप के अनोखे भौगोलिक और जलवायु विविधताओं को दर्शाती हैं। यह संख्या विश्व की पक्षी प्रजातियों का लगभग 12.4% हिस्सा बनाती है, जो बताती है कि भारत वैश्विक पक्षी - विविधता का एक प्रमुख केंद्र है। इनमें से 78 प्रजातियाँ पूरी तरह से भारत में ही पाई जाती हैं, जिन्हें स्थानिक प्रजातियाँ कहा जाता है, और ये देश की पर्यावरणीय धरोहर का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन प्रजातियों का वितरण भी अत्यंत रोचक और विविध है - पश्चिमी घाट की जैव विविधता में 28, अंडमान - निकोबार द्वीप समूहों के वर्षावनों में 25, पूर्वी हिमालय की ऊँची पहाड़ियों में 4, दक्षिणी दक्कन पठार में 1 और मध्य भारत के घने वनों में 1 प्रजाति पाई जाती है। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण की पुस्तक “75 एन्डेमिक बर्ड्स ऑफ इंडिया” (75 Endemic Birds of India) इन दुर्लभ पक्षियों का विस्तृत परिचय देती है और इनके संरक्षण की आवश्यकता पर विशेष जोर देती है। चिंता की बात यह है कि आईयूसीएन (IUCN) द्वारा इन 78 स्थानिक प्रजातियों में से 25 को ‘थ्रेटन्ड’ (Threatened) माना गया है, यानी वे विलुप्ति के गंभीर खतरे के करीब हैं। बदलती जलवायु, आवास - क्षरण, शहरीकरण और प्रदूषण इन प्रजातियों के लिए प्रमुख खतरे हैं। इन परिस्थितियों में भारत के पक्षी-जगत की रक्षा और संरक्षण आज हमारे सामने एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्यावरणीय जिम्मेदारी बन चुकी है।

लखनऊ का प्राकृतिक सौभाग्य: एकाना आर्द्रभूमि का महत्व
जब देश के कई बड़े शहर तेजी से कंक्रीट और प्रदूषण की भेंट चढ़ रहे हैं, तब लखनऊ अपने मध्य में बसे एकाना आर्द्रभूमि के रूप में प्रकृति का एक अनमोल उपहार संजोए हुए है। यह आर्द्रभूमि हजरतगंज से कुछ ही किलोमीटर दूरी पर स्थित है और शहरी क्षेत्र के बीचों–बीच एक विशाल ‘ग्रीन-लंग’ (Green Lung) की तरह कार्य करती है। प्रकृतिवादियों और पक्षी-विशेषज्ञों के अनुसार, एकाना आर्द्रभूमि में 100 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ नियमित रूप से देखी जाती हैं - जिनमें देशी पक्षियों से लेकर सर्दियों में आने वाले प्रवासी पक्षियों तक सभी शामिल हैं। विशेष बात यह है कि कुछ अत्यंत दुर्लभ प्रजातियाँ भी हर वर्ष इस आर्द्रभूमि को अपना मौसमी घर बनाती हैं। यहाँ की शांत जल - सतह, फैली हरियाली, जलीय पौधों की प्रचुरता और संरक्षित पारिस्थितिकी पक्षियों के प्रजनन, भोजन - संग्रह और विश्राम के लिए आदर्श वातावरण तैयार करती है। बत्तखें, जकाना, बी-इटर्स (bee-eaters), नीलकंठ, तोते, चिड़ियाँ और गौरैया जैसे पक्षी इस क्षेत्र की फलती-फूलती जैव विविधता को सजीव बनाए रखते हैं। एकाना आर्द्रभूमि लखनऊ को उत्तर भारत के उन दुर्लभ शहरों में शामिल करती है, जहाँ शहरीकरण के बीच भी प्राकृतिक आवास इतना भव्य रूप लेकर मौजूद है।

एकाना आर्द्रभूमि में मिलने वाली प्रमुख पक्षी प्रजातियाँ और उनका वर्गीकरण
एकाना आर्द्रभूमि पर किए गए वैज्ञानिक अध्ययन से यह ज्ञात हुआ कि यहाँ की पारिस्थितिकी कितनी समृद्ध और विविधतापूर्ण है। शोध में पाया गया कि इस क्षेत्र में 6 अलग-अलग पक्षी अनुक्रमों (Orders) और 8 पक्षी परिवारों (Families) से संबंधित 17 प्रमुख प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें से सबसे बड़ी संख्या एनाटिडी (Anatidae) परिवार की थी, जो तालाब, झील और आर्द्रभूमि में पाए जाने वाले जल पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। इस परिवार का प्रजातीय घनत्व 41% दर्ज हुआ, जो बताता है कि एकाना जल - आवास पर निर्भर पक्षियों के लिए अत्यंत उपयुक्त स्थान है। इसके अलावा रैलिडे (Rallidae), सिकोनिडे (Ciconiidae), अलसेडिनिडे (Alcedinidae), जकानिडे (Jacanidae) और चराड्रिडे (Charadriidae) परिवारों की प्रजातियाँ भी बड़ी संख्या में दर्ज की गईं। इन परिवारों में पानी में तैरने वाले पक्षियों से लेकर मछली पकड़ने वाले पक्षियों और कमल-पत्तों पर चलने वाले जकाना जैसे अनोखे पक्षी शामिल हैं। अनुक्रमों की बात करें तो एन्सेरिफोर्मेस (Anseriformes) अनुक्रम का वर्चस्व सबसे अधिक था, जो बताता है कि यह स्थल विशेष रूप से जल-पक्षियों का प्रिय आवास है। इस वैज्ञानिक श्रेणी-विभाजन से स्पष्ट होता है कि एकाना आर्द्रभूमि केवल एक जलाशय नहीं, बल्कि एक समृद्ध जीव-वैज्ञानिक केंद्र है जहाँ विभिन्न प्रजातियाँ शांति और सुरक्षा के साथ अपना प्राकृतिक जीवन व्यतीत करती हैं।

आर्द्रभूमि का पारिस्थितिकी तंत्र और पक्षियों के लिए इसका पर्यावरणीय योगदान
आर्द्रभूमियाँ दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण और उत्पादक पारिस्थितिक तंत्रों में से एक मानी जाती हैं, और एकाना आर्द्रभूमि इसका बेजोड़ उदाहरण है। यहाँ की मिट्टी, जल और वनस्पतियाँ मिलकर ऐसा प्राकृतिक चक्र बनाती हैं जहाँ जीवन निरंतर विकसित होता रहता है। जल-पौधों, फाइटोप्लांकटन (Phytoplankton - सूक्ष्म पौधे), जूप्लांकटन (Zooplankton - सूक्ष्म जीव), जलीय कीड़े और खर-पत्ते पक्षियों के लिए भोजन का विशाल भंडार तैयार करते हैं। प्रवासी पक्षियों के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि लंबी उड़ान के बाद उन्हें ऊर्जा, सुरक्षा और भोजन की अत्यंत आवश्यकता होती है। इसके अलावा, आर्द्रभूमियाँ पानी को शुद्ध करने, बाढ़ को नियंत्रित करने, भूजल-स्तर को बनाए रखने, स्थानीय जलवायु को संतुलित रखने और शहरी प्रदूषण को कम करने में भी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह एक प्राकृतिक फिल्टर की तरह काम करती हैं, जो पानी में मौजूद गंदगी और प्रदूषकों को अवशोषित करती हैं। इस तरह एकाना आर्द्रभूमि न केवल पक्षियों को जीवन प्रदान करती है, बल्कि पूरे लखनऊ को पर्यावरण के स्तर पर संतुलित और स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

एकाना आर्द्रभूमि पर बढ़ते खतरे और संरक्षण की आवश्यकता
आज एकाना आर्द्रभूमि तेजी से बढ़ते शहरीकरण, सड़क-निर्माण, इमारतों के विस्तार और अन्य विकास कार्यों की वजह से गंभीर खतरे का सामना कर रही है। लगभग 3-4 वर्ग किलोमीटर में फैली यह वेटलैंड अब धीरे-धीरे अपने मूल क्षेत्रफल से सिकुड़ने लगी है, जिससे यहाँ के पक्षियों और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है। यदि यह निर्माण कार्य इसी गति से बढ़ते रहे, तो कई महत्वपूर्ण पक्षी प्रजातियाँ अपने प्राकृतिक आवास से वंचित होकर लखनऊ छोड़ने पर मजबूर हो जाएँगी। पर्यावरणविदों और पक्षी-प्रेमियों ने प्रदेश सरकार से इस स्थल को संरक्षित करने, इसे इको-सेंसिटिव जोन (Eco-Senstitive Zone), वेटलैंड रिज़र्व (Wetland Reserve) या संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की अपील (appeal) की है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो एकाना आर्द्रभूमि भी उन अनेक प्राकृतिक स्थलों की तरह विलुप्त हो सकती है जो कभी शहरों का पर्यावरणीय सहारा हुआ करती थीं। आज आवश्यकता है कि हम सभी मिलकर इस आर्द्रभूमि को बचाने के लिए आवाज़ उठाएँ, क्योंकि यह केवल पक्षियों का घर नहीं बल्कि लखनऊ का पर्यावरण, जलवायु संतुलन और जैव विविधता का भविष्य भी है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/3d9f2kxt 
https://tinyurl.com/5d42a2b5 
https://tinyurl.com/2s3e8t56 
https://tinyurl.com/3r63t9n3 



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