इमली का बूटा

वृक्ष, झाड़ियाँ और बेलें
20-05-2018 11:40 AM
इमली का बूटा

इमली का नाम आते ही मानो मुँह में अपने आप ही एक खटास फ़ैल जाती है। यह खटास बच्चों से लेकर बूढों तक को अपनी तरफ आकर्षित करती है। इमली का प्रयोग पानी पूरी का पानी बनाने से लेकर सूरन की सब्जी बनाने तक में किया जाता है। बच्चों के लिए खट्टी-मीठी गोलियां भी इमली से ही बनायी जाती हैं। लखनऊ में विभिन्न स्थान पर इमली के पेड़ पाए जाते हैं जिसके फल का प्रयोग यहाँ के लोग बड़े पैमाने पर करते हैं। इमली का अंग्रेजी नाम 'टेमारिंड' (Tamarind) है जो कि फारसी नाम तमर-हिन्द से लिया गया है। तमर हिन्द का शाब्दिक अर्थ है हिन्द अर्थात भारत का खजूर। इमली का वैज्ञानिक नाम 'टेमारिंडस इंडिका' है तथा यह मूल रूप से भारत का वृक्ष है। यह माना जाता था कि यह मूल रूप से उष्णकटिबंधीय अफ्रीका का वृक्ष है परन्तु अब यह पूरे एशिया और अमेरिका में पाया जाता है। भारत में यह अत्यंत आम है। सबसे उत्कृष्ट किस्म की इमली अवध के क्षेत्र में पायी जाती है।

इमली एक सदाबहार पेड़ है। इसका पेड़ अत्यंत मजबूत होता है तथा इसका ताना छाल से ढका हुआ होता है। इसका एक पत्ता 10-20 छोटे पत्तों के समूह से बनता है। इस का फूल अप्रैल से जून के महीने में आता है इसका फल लम्बा होता है तथा इसके फल के गूदे में ही इसका बीज भी पाया जाता है। इसके फल के दो प्रकार के गूदे होते हैं एक मीठा गूदा और दूसरा लाल गूदा। लाल गूदा सबसे उत्तम माना जाता है। इमली का पेड़ अत्यंत महंगा माना जाता है क्यूंकि इसका तना अत्यंत मजबूत लकड़ी प्रदान करता है। इमली की लकड़ी का प्रयोग विभिन्न सामानों को बनाने के लिए किया जाता है। इमली की पत्ती का प्रयोग विभिन्न पकवानों को बनाने के लिए भी किया जाता है। इसके बीज से स्टार्च निकलता है जिसको सूती कपड़े, जूट के कपड़े आदि के आकार के निर्धारण के लिए प्रयोग किया जाता है। प्राचीन काल में इमली के पेड़ के नीचे टेंट नहीं लगाया जाता था जिसका एक कारण था कि इससे गिरने वाला अम्ल कपड़े खराब कर देता था। इसका पेड़ मार्च से अप्रैल के महीने में लगाया जात है।

लखनऊ में इमली के पेड़ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। इन्हीं पेड़ों में से एक इमली का पेड़ ऐसा भी है लखनऊ में जिसका सीधा सम्बन्ध 1857 की क्रांति से है। यह पेड़ टीले वाली मस्जिद के पीछे है। जब क्रांति की ज्वाला भड़की थी तो उस समय इसी पेड़ पर कितने ही आज़ादी के मतवालों को कच्ची फांसी दी गयी थी। कच्ची फांसी सबसे बर्बर फांसी के रूप में देखी जाती है। इस प्रकार से हम देख सकते हैं कि इमली के पेड़ का लखनऊ के साथ न मात्र एक फल का रिश्ता है बल्कि 1857 की क्रान्ति से भी है।

1.फ्लावरिंग ट्रीज़, एम. एस. रंधावा
2.https://www.bhaskar.com/uttar-pradesh/lucknow/news/UP-LUCK-independence-day-revolutionary-hanging-on-tamarind-tree-in-lucknow-5084110-PHO.html