अश्लीलता और निर्वस्त्रता में भेद

विचार II - दर्शन/गणित/चिकित्सा
17-08-2018 12:58 PM
अश्लीलता और निर्वस्त्रता में  भेद

समय के साथ, भारत और दुनिया में निर्वस्त्रता पर दृष्टिकोण बदल गया हैं। निर्वस्त्रता केवल प्रकृति के खुलेपन तथा उत्पादन का बोधक है। परंतु निर्वस्त्रता पर आधुनिक भारत की सहनशीलता यूरोपीय देशों की तुलना में बहुत कम है। यूरोपीय देशों में अक्सर सरकार ने गर्मियों में बगीचे और समुद्र तट पर निर्वस्त्रता का समर्थन किया है। यहां निर्वस्त्रता न तो अपमानजनक और न ही अश्लील माना जाता है। सर्वप्रथम हमें ये समझने की जरुरत है कि निर्वस्त्रता अपने आप में अश्लील या पोर्नोग्राफिक नहीं होती है। यदि ऐसा होता तो प्राचीन काल से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी तक यूरोपीय चित्रकला की कई कला कृतियां अश्लील मानी जाती और भारत के कोणार्क में शिल्पकला, स्थापत्य कला, मूर्तीकला, और अद्भुत नक्काशी के साथ साथ सजीव मैथुन दृश्यों का अस्तित्व नहीं होता।

कोणार्क से पहले खजुराहो विश्व की ऐसी इमारत है जहां शृंगार रस को सजीव मैथुनिक रूप में उकेरा है। खजुराहो मंदिर प्राचीन भारत में निर्वस्त्रता के लिए एक उच्च सहनशीलता का एक अलग उदाहरण प्रस्तुत करता है। खजुराहो की दीवारों पर बनी हजारों स्पष्ट मूर्तियों के माध्यम से आधुनिक भारत में निर्वस्त्रता की अपनी परंपराओं को प्रसारित किया है। अतः यह स्पष्ट है कि प्राचीन मंदिरों की सार्वजनिक कला में चित्रित शरीरिक आजादी पश्चिमी जीवनशैली में समाविष्ट नहीं थी।

इतिहास साक्षी है, प्राचीन काल में भारत में भी निर्वस्त्रता के लिए उच्च सहनशीलता थी। माना जाता है कि प्राचीन ग्रीस में सामाजिक निर्वस्त्रता को भारत के पवित्र पुरुषों (नग्न तपस्वी) के अस्तित्व से प्रोत्साहन मिला था। इसके अलावा, जब यूनानी सेना भारत में थी, सैनिकों ने कई धार्मिक अनुष्ठानों में नग्न हो कर भाग लिया। उसके बाद कई शताब्दियों तक, भारत में प्रतिस्पर्धा करने वाले यूनानी एथलीटों को कभी-कभी नग्न और कमर वस्त्र दोनों के रूप में रिपोर्ट किया जाता था।

अश्लीलता निर्वस्त्रता में नही इंसान के दिमाग में होती है, खासकर उन इंसानों के, जो शारीरिक इच्छाओं से भरे होते हैं और ये नहीं जानता कि कपड़े न पहनने का असल मतलब क्या होता है। निर्वस्त्रता वास्तव में लिंग के बीच उच्च सहनशीलता लाता है, और प्रकृति से जुड़ा एक अधिक खुला समाज बनाता है। आप सभी ने पीके मूवी तो देखी ही होगी, यह कहानी एक परग्रही (आमिर खान) की है। जो पृथ्वी में नग्न रूप में आता है। इस विषय पर अभिनेता आमिर खान ने कहा कि "जब बच्चा पैदा होता है तो वह वस्त्र पहनकर नहीं पैदा होता है। मां के प्रसव को नग्नता का दर्जा नहीं दिया जा सकता, जबकि पूरे कपड़े पहनकर भी कोई अश्लील लग सकता है।"

संदर्भ:

1.http://www.primitivism.com/nudity.htm
2.https://www.indiatimes.com/health/healthyliving/top-7-health-benefits-of-being-naked-236343.html#2
3.https://www.thelallantop.com/tehkhana/tarun-sagar-controversy-the-difference-between-nakedness-and-nudity/
4.https://navbharattimes.indiatimes.com/movie-masti/news-from-bollywood/nudity-and-obscenity-are-not-the-same-aamir-khan/articleshow/45403577.cms
5.चित्र स्रोत: http://ministryofwaxing.co.uk/