कैसे बना टाटा का नाम इतना विश्वसनीय

शहरीकरण - नगर/ऊर्जा
15-09-2018 02:25 PM
कैसे बना टाटा का नाम इतना विश्वसनीय

कंपनी की मार्केट कैपिटलाइज़ेशन (Market Capitalization) एक कंपनी के आउटस्टैंडिंग शेयरों (कंपनी के वे सभी शेयर जो वर्तमान में निवेशकों, कंपनी अधिकारियों और अंदरूनी सूत्रों के अधिकार में हैं) की संख्या को बाज़ार मूल्य से गुणा करके प्राप्त की जाती है। इसे मार्केट कैप के नाम से भी जाना जाता है। शेयर बाज़ार में कंपनियों का वर्गीकरण उसके मार्केट कैप के आधार पर किया जाता है। हम यह कह सकते हैं कि मार्केट कैप किसी कंपनी के कद को नापने का सर्वोत्तम तरीका है। यदि हम शेयर बाज़ार में कद की बात करें और टाटा ग्रुप का नाम न आए यह तो संभव नहीं है, देश का यह सबसे बड़ा उद्योग समूह, टाटा ग्रुप, 150 साल से अस्तित्व में है।

टाटा समूह दुनिया के 140 से भी अधिक देशों को उत्पाद व सेवाएँ निर्यात करता है। टाटा ग्रुप की कई देशों में 100 से ज़्यादा कंपनियाँ हैं। टाटा समूह की सफलता को इसके आंकड़े बखूबी बयां करते हैं। 2005-06 में इसकी कुल आय $967,229 मिलियन थी। ये समस्त भारत की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) के 2.8% के बराबर है। वर्तमान में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के मार्केट कैप में टाटा की हिस्सेदारी 7.5% है। इसमें टी.सी.एस. का मार्केट कैप 790,000 करोड़ (14 सितम्बर 2018 को) के करीब है, जो कि रिलाइंस के बाद दूसरे नंबर पर है, टाटा मोटर्स का मार्केट कैप 76,933 करोड़ (14 सितम्बर 2018 को), टाटा स्टील का मार्केट कैप 74,095 करोड़ (14 सितम्बर 2018 को), तथा टाइटन का मार्केट कैप 74,769 करोड़ (14 सितम्बर 2018 को) है। टाटा ग्रुप की कंपनियों में अभी 41 लाख शेयरधारक हैं।

टाटा समूह की नींव 1868 में जमशेदजी नुसीरवानजी टाटा (3 मार्च 1839 - 19 मई 1904) द्वारा रखी गई थी। 29 वर्षीय जमशेदजी ने अपने पिता की बैंकिंग कंपनी में काम करते हुए व्यवसाय की बारीकी को सीख कर बॉम्बे में एक व्यापारिक कंपनी की स्थापना की थी। इस युवा पारसी ने ‘एबीसिनियन युद्ध’ में ब्रिटिश सैनिकों को सामान उपलब्ध करा कर 4 मिलियन रुपये का एक बड़ा लाभ कमाया था। 1968 की शुरुआत में टाटा समूह की बागडोर जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा या जे. आर. डी. टाटा ने संभाली।

जे. आर. डी. टाटा भारत के वायुयान उद्योग और अन्य उद्योगों के अग्रणी थे। उनके योगदान से टाटा ने देश में कई ऊँचाइयाँ छुईं। वह जे. आर. डी. टाटा की अनोखी प्रचार प्रणाली ही थी जिसने टाटा को कई सफलताएँ दिलायीं। इस प्रणाली में टाटा अपने विज्ञापनों के माध्यम से हर देशवासी में देशभक्ति की एक भावना जगा देता था, और साथ ही साथ अपना प्रसार भी कर देता था, जैसे एक कपड़े का विज्ञापन जो यह दर्शाता है कि 30 सालों में भारत कपड़ों के आयातकर्ता से विश्व के दुसरे सबसे बड़े निर्यातकर्ता में परिवर्तित हो चुका है, और विज्ञापन के नीचे लिखा हुआ “निजी उद्यम देश की सेवा करते हैं”; एक विज्ञापन जिसमें कृषि के मशीनीकरण की महत्ता दर्शायी गयी है और बताया गया है कि टाटा ग्रुप स्टील भी बनाती है। इस तरह की कार्यनीति ने देशवासियों का भरोसा जीतने में टाटा की काफी सहायता की। जे. आर. डी. टाटा के बाद 1991 में रतन टाटा ने कार्यभार संभाला। और वर्तमान में टाटा ने नटराजन चंद्रशेखरन को चेयरमैन नियुक्त किया है।


टाटा का कार्यक्षेत्र अनेक व्यवसायों व व्यवसाय से सम्बंधित सेवाओं के क्षेत्र में फैला हुआ है। टाटा का नाम चाय में टाटा चाय तथा घड़ियों में टाइटन से जुड़ा है और सूचना और संचार के क्षेत्र में भी टाटा का नाम टी.सी.एस. जैसी तमाम कंपनियों से जुड़ा है। इसके अलावा टाटा का कार्यक्षेत्र अभियांत्रिकी, सूचना प्रौद्योगिकी, वाहन, रासायनिक उद्योग, ऊर्जा, सॉफ्टवेयर, होटल, इस्पात एवं उपभोक्ता सामग्री आदि क्षेत्र में भी फैला हुआ है।

टाटा समूह का मकसद समझदारी, ज़िम्मेदारी, एकता और बेहतरीन काम से समाज में जीवन के स्तर को उंचा उठाना है। चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो या विज्ञान या तकनीक का क्षेत्र, टाटा का योगदान अहम है। करीब हर भारतीय इस बात का सम्मान भी करता है। हो सकता है कि दुनिया में अधिकांश लोगों ने टाटा स्टील या टाटा मोटर्स का नाम न सुना हो, लेकिन आपने कभी ना कभी तो टाटा की ‘टेटली चाय’ की चुस्कियां ली होंगी या फिर फोन कॉल के लिए समुद्र के नीचे बिछे फाइबर ऑप्टिक केबल (Fibre Optic Cable) का इस्तेमाल किया ही होगा। भारत का पहला आयोडीन युक्त टाटा का नमक (देश का नमक) का उपयोग तो देश के हर किचन में हुआ है। यही वजह है कि टाटा का नाम आज देश भर की ज़ुबान पर है।

संदर्भ:
1.https://scroll.in/magazine/892183/how-jrd-tata-came-up-with-a-marketing-strategy-that-ran-through-tata-ads-for-nearly-a-century
2.http://www.tata.com/aboutus/sub_index/Heritage
3.https://en.wikipedia.org/wiki/Tata_Group