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दुनिया भर के अधिकांश देशों में कई एतिहासिक वास्तु-कला देखने को मिलती है, जो संभवत: अपना एक अलग महत्व रखती है। इनमें से कई तो ऐसी होती हैं जिनको हमने देखा होता है, परन्तु उनके बारे में जानते नहीं हैं। ऐसी ही 19वीं शताब्दी के मध्य में फेलिस बियातो द्वारा एक मछली के आकार वाली शाही अवध नाव की तस्वीर खींची गई है।

इस नाव को संभवतः गाज़ी-उद-दीन हैदर के राज-दरबार के कलाकार रॉबर्ट होम द्वारा डिज़ाइन (Design) किया गया होगा। तस्वीर में इसके एक तरफ शटर वाली खिड़कियाँ दिखायी देती हैं, जो यात्रियों की गोपनीयता को देखते हुए बनाई गयी होंगी। कदाचित् इस विशाल, चमकदार नाव को गोमती मे चलता देख निश्चित रूप से राजाओं का भी मुँह खुला रह जाता होगा। इसकी लंबाई 37 फीट और चौड़ाई 2 फीट थी। होम ने हंस के आकार वाली नाव भी डिज़ाइन की, और दोनों को एक साथ 1818 में समुद्र में उतारा गया। मिल्ड्रेड आर्चर नामक एक विद्वान ने लिखा है कि, "कलाकारों का झुकाव ज्यादातर चांदी की गाड़ियां, मोर और हंस, मछली या मगरमच्छ के आकार वाली नौकाओं की तरफ था।"
सिर्फ नावों में ही नहीं मछली का स्वारूप अवध के विभिन्न क्षेत्रों में भी दिखाई देता है। सफदर जंग द्वारा गोमती के किनारे एक आधुनिक किला, मछली भवन, बनवाया गया था। इसमें 52 मछलियों की नक्काशी की गयी है। वहीं दूसरी ओर अवध के राज्य-चिह्न में भी दो मछलियाँ दिखाई देती हैं। तथा आज तक उत्तर प्रदेश सरकार के चिह्न में दो मछलियों का प्रयोग किया जाता है। साथ ही आज भी लखनऊ में कई पुरानी इमारतों पर ये दो मछलियाँ देखी जा सकती हैं (अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें- http://lucknow.prarang.in/1805091280)। अवध और इन मछलियों का प्राचीन सम्बन्ध आप इस लेख में पढ़ सकते हैं- http://lucknow.prarang.in/1805191323

इस प्रकार अवध में जलीय और वन्य जीवों के स्वरूप को अपना प्रतीक मान कर मुगलों द्वारा इनका कई जगहों में उपयोग किया गया। साथ ही रॉबर्ट होम द्वारा भी मछली के स्वारूप को अपनी अन्य कई वास्तुकला में प्रयोग किया गया था।
संदर्भ:
1.https://commons.wikimedia.org/wiki/File:Chattar_Manzil.jpg
2.http://aestheteslament.blogspot.com/2011/09/home-away-from-home.html?m=1
3.http://www.milligazette.com/Archives/2004/01-15Aug04-Print-Edition/011508200496.htm
4.http://www.hubert-herald.nl/BhaAwadh.htm